Premanand Ji Maharaj Biography: प्रेमानंद महाराज जी की जीवनी

Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi

प्रेमानंद जी महाराज एक प्रसिद्ध संत और धार्मिक गुरु है जिन्होंने भारतीय समाज में विशेष स्थान प्राप्त किया। उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। इस लेख में, हम Premanand Ji Maharaj Biography, कार्यों और उनकी शिक्षाओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Premanand Ji Maharaj Biography Overview

बचपन का नामअनिरुद्ध कुमार पांडे
जन्म स्थलअखरी गांव, सरसोल ब्लॉक, कानपुर, उत्तर प्रदेश
माता-पिता का नाममाता: रमा देवी और पिता: श्री शंभू पाण्‍डेय
घर त्यागा13 साल की उम्र में
महाराज जी के गुरुश्री गौरंगी शरण जी महाराज
गुरु की सेवा10 वर्षो तक
महाराज की उम्र (age)60 वर्ष लगभग
WebsitePremanand Ji Maharaj Official Website

प्रेमानंद महाराज जी का जन्म

उत्तर प्रदेश के कानपुर के सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव में प्रेमानंद महाराज जी का जन्म हुआ था। उनके शुरुआती साल बहुत ही सादगी भरे तरीके से बीते क्योंकि उनका परिवार बेहद विनम्र और धार्मिक था। बचपन से ही उनका ध्यान भक्ति पर अधिक था और उनका बौद्धिक स्तर अन्य बच्चों से अलग था। उन्होंने बचपन से ही मंदिरों में जाना, कीर्तन में भाग लेना और चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया था। श्री प्रेमानंद जी महाराज वर्तमान में 60 के दशक के मध्य में हैं।

प्रेमानंद जी महाराज का बचपन

प्रेमानंद जी महाराज बचपन से ही आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित थे। जब बच्चे खेलने में व्यस्त होते थे , तब  प्रेमानंद जी महाराज धार्मिक भक्ति में डूबे रहते थे। घर का माहौल भी आध्यात्मिक रूप से पोषक था, इसलिए उन्हें बचपन में ही भगवान के प्रति भक्ति का भाव महसूस हुआ। प्रेमानंद जी महाराज जब छोटे थे, तो वे हनुमान चालीसा का पाठ करते थे। घर पर हर दिन उनके बड़े भाई, जिन्होंने संस्कृत पढ़ी थी, श्रीमद्भागवत का पाठ करते थे। इन सब बातों ने उनके मन को प्रभावित करना शुरू कर दिया। बचपन को उपजाऊ मिट्टी की तरह कहा जाता है, जहाँ जो भी बोया जाता है, वह उगता है।

महाराज के साथ भी यही हुआ। स्कूल जाते समय उनमें आसक्ति पैदा हुई और उनका मन मोह और मोह के दायरे से बाहर निकल गया। युवा व्यक्ति आध्यात्मिकता से इतना प्रभावित हुआ कि 13 वर्ष की आयु में उसने अपना घर-परिवार त्यागकर संन्यासी धर्म अपनाने का निर्णय लिया, जिसमें ब्रह्मचर्य की आवश्यकता होती है।

Premanand ji Maharaj का परिवार

स्वामी प्रेमानंद जी महाराज का घर सामान्यतः शांत और पवित्र था; उनके माता-पिता निरंतर साधु-संतों की सेवा करते थे; उनके बड़े भाई को श्रीमद्भागवतम् का आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त था, जिसे पूरा परिवार एक साथ बैठकर सुनता था; और उनके दादा भी संन्यासी थे। स्वामी प्रेमानंद जी महाराज के पिता श्री शंभू पांडे एक भक्त थे।

Premanand ji Maharaj Vrindavan Wale

कुछ समय बाद महाराज जी ने स्वामी जी की सलाह पर और श्री नारायण दास भक्त माली के शिष्य की सहायता से मथुरा की यात्रा करने का निर्णय लिया। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि वृंदावन बार-बार उनका दिल जीत लेगा। वृंदावन में महाराज जी किसी को नहीं जानते थे। बाबा प्रेमानंद ने शुरू में वृंदावन को ही अपना घर बनाया था। वृंदावन की परिक्रमा और श्री बांके बिहारी के दर्शन से ही उनके दिन की शुरुआत होती थी। राधावल्लभ जी पूरे दिन महाराज जी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते थे।

एक बार महाराज जी को वृंदावन के पुजारी ने श्री राधारस सुधा निधि से एक श्लोक दिया। लेकिन वे उसका अर्थ नहीं समझ पाए। गोस्वामी जी ने उन्हें श्री हरिवंश जी का पाठ करने को कहा ताकि वे उसका अर्थ समझ सकें। चूंकि महाराज जी ने पहले कभी ऐसा नहीं किया था, इसलिए वे इसे करने से डर रहे थे। अगले दिन वृंदावन परिक्रमा करते समय महाराज जी ने पाया कि वे श्री हरिवंश महाप्रभु का नाम जप रहे थे। वे श्री हरिवंश की लीला में कुछ हद तक लीन हो गए।

वृंदावन में एक आध्यात्मिक संगठन है। प्रेमानंद महाराज जी ने इस संगठन की स्थापना की। महाराज जी का प्राथमिक लक्ष्य विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में शामिल होकर वृंदावन में प्रेम और शांति का प्रचार करना था। अपने मन और दिल में खुशी और शांति प्राप्त करने के लिए, वे व्यक्तियों को योग, ध्यान और अन्य आध्यात्मिक अनुशासन का अभ्यास करने का सुझाव देते हैं। ये सभी सेवाएँ महाराज जी द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाती हैं।

Swami Premanand ji का स्वास्थ्य

वर्तमान में वृंदावन में निवास कर रहे महाराज जी ने अपना पूरा जीवन आध्यात्मिक गतिविधियों, भगवान कृष्ण ध्यान और निस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। भले ही प्रेमानंद जी महाराज बुजुर्ग हैं, लेकिन उनका स्वास्थ्य अच्छा है। इसके अलावा, उनके दर्शन और ज्ञान को जानने के इच्छुक लोग भारत और विदेशों से भी उनसे मिलने आते हैं। उनका सम्मान सर्वविदित है। उनके ज्ञान और दर्शन ने उन्हें दुनिया भर के लोगों से सम्मान दिलाया है।

इस अफवाह के बावजूद कि उनकी दोनों किडनी लंबे समय से खराब हैं, वे अच्छे स्वास्थ्य में दिखाई देते हैं। उन्हें लगता है कि राधा जी की सेवा और उनके प्रति समर्पित रहना ही उनका पूरा जीवन है। उन्होंने अपना सब कुछ भगवान को सौंप दिया है। अब भी, वे अपना पूरा दिन भक्ति के कार्य करते हुए, आगंतुकों का अभिवादन करते हुए, उनकी चिंताओं को सुनते हुए और उनका समाधान खोजने में मदद करते हुए बिताते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज आश्रम पता

श्री हित राधा केली कुंज

वृन्दावन परिक्रमा मार्ग, वराह घाट,

भक्ति वेदांत धर्मशाला के सामने,

वृन्दावन-281121

उत्तर प्रदेश

महाराज जी के दर्शन करने के लिए इस पते पर जाएँ। प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन से मिलने का समय दोपहर 2 बजे से शुरू होता है। अधिक जानकारी के लिए आप उनकी आधिकारिक वेबसाइट देख सकते हैं।

निष्कर्ष

Premanand Ji Maharaj Biography, प्रेमानंद जी महाराज का जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है, जिसमें भक्ति, ज्ञान, और समर्पण की गहराइयों को छुआ गया है। उनके शिक्षाएं और कार्य आज भी लाखों लोगों को मार्गदर्शन और आत्मिक शांति प्रदान कर रहे हैं। उनकी जीवन कथा हमें सिखाती है कि सच्चे भक्ति और सेवा से हम जीवन में गहरी संतोष और शांति प्राप्त कर सकते हैं।

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