यह लेख Article 349 (अनुच्छेद 349) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 349 (Article 349) – Original
भाग 17 [राजभाषा] अध्याय 3 – उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों आदि की भाषा |
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349. भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया— इस संविधान के प्रारंभ से पन्द्रह वर्ष की अवधि के दौरान, अनुच्छेद 348 के खंड (1) में उल्लिखित किसी प्रयोजन के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा के लिए उपबंध करने वाला कोई विधेयक या संशोधन संसद् के किसी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बिना पुरःस्थापित या प्रस्तावित नहीं किया जाएगा और राष्ट्रपति किसी ऐसे विधेयक को पुरःस्थापित या किसी ऐसे संशोधन को प्रस्तावित किए जाने की मंजूरी अनुच्छेद 344 के खंड (1) के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों पर और उस अनुच्छेद के खंड (4) के अधीन गठित समिति के प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात् ही देगा, अन्यथा नहीं । |
Part XVII [OFFICIAL LANGUAGE] CHAPTER III.—LANGUAGE OF THE SUPREME COURT, HIGH COURTS, ETC. |
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349. Special procedure for enactment of certain laws relating to language— During the period of fifteen years from the commencement of this Constitution, no Bill or amendment making provision for the language to be used for any of the purposes mentioned in clause (1) of article 348 shall be introduced or moved in either House of Parliament without the previous sanction of the President, and the President shall not give his sanction to the introduction of any such Bill or the moving of any such amendment except after he has taken into consideration the recommendations of the Commission constituted under clause (1) of article 344 and the report of the Committee constituted under clause (4) of that article. |
🔍 Article 349 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 17, अनुच्छेद 343 से लेकर अनुच्छेद 351 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग राजभाषा (Official Language) के बारे में है। इस भाग को तीन अध्यायों में बांटा गया है जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं;\
Chapters | Titles | Articles |
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I | संघ की भाषा (Language of the Union) | 343-344 |
II | प्रादेशिक भाषाएं (Regional Language) | 345-347 |
III | उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों आदि की भाषा (Language of Supreme and High Courts etc.) | 348-349 |
IV | विशेष निदेश (Special Directives) | 350-351 |
इस लेख में हम “उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों आदि की भाषा (Language of Supreme and High Courts etc.)” अध्याय के तहत आने वाले, अनुच्छेद 349 को समझने वाले हैं;
⚫ Article 120 (Language to be used in Parliament) ⚫ Article 210 (Language to be used in the Legislature) |
| अनुच्छेद 349 – भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया (Special procedure for enactment of certain laws relating to language)
जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक भाषायी विविधता वाला देश है। 22 भाषाएँ तो सिर्फ संविधान में वर्णित है इसके अलावा भी विभिन्न भाषा परिवारों की सैंकड़ों भाषाएँ भारत में बोली जाती है।
अनुच्छेद 345 के तहत हमने राज्य की राजभाषा (Official language of the State) को बहुत ही विस्तारपूर्वक समझा है। अनुच्छेद 346 के तहत हमने एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा के बारे समझा।
अनुच्छेद 348 के तहत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा की बात की गई है। इसी से आगे की बात करता है अनुच्छेद 349।
अनुच्छेद 349 के तहत भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया का वर्णन है। आइये इसे समझें;
अनुच्छेद 349 के तहत कहा गया है कि इस संविधान के प्रारंभ से पन्द्रह वर्ष की अवधि के दौरान, अनुच्छेद 348 के खंड (1) में उल्लिखित किसी प्रयोजन के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा के लिए उपबंध करने वाला कोई विधेयक या संशोधन संसद् के किसी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बिना पुरःस्थापित या प्रस्तावित नहीं किया जाएगा और राष्ट्रपति किसी ऐसे विधेयक को पुरःस्थापित या किसी ऐसे संशोधन को प्रस्तावित किए जाने की मंजूरी अनुच्छेद 344 के खंड (1) के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों पर और उस अनुच्छेद के खंड (4) के अधीन गठित समिति के प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात् ही देगा, अन्यथा नहीं।
अनुच्छेद 349 भाषा से संबंधित कानून बनाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया बताता है। यह निर्धारित करता है कि संविधान को अपनाने के बाद पहले 15 वर्षों के दौरान, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 के पहले खंड में उल्लिखित किसी भी उद्देश्य के लिए भाषा के उपयोग का प्रावधान करने वाला कोई विधेयक या संशोधन राष्ट्रपति की पूर्वानुमति के बिना संसद के किसी भी सदन में पेश नहीं किया जा सकता है।
राष्ट्रपति किसी ऐसे विधेयक को पुरःस्थापित या किसी ऐसे संशोधन को प्रस्तावित किए जाने की मंजूरी अनुच्छेद 344 के खंड (1) के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों पर और उस अनुच्छेद के खंड (4) के अधीन गठित समिति के प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात् ही देगा, अन्यथा नहीं।
यहां उल्लिखित आयोग राजभाषा आयोग है जो आधिकारिक उद्देश्यों के लिए हिंदी भाषा के प्रगतिशील उपयोग के लिए उपायों की सिफारिश करने के लिए जिम्मेदार है। समिति राजभाषा समिति है जो राजभाषा आयोग की रिपोर्टों की जांच करने और राष्ट्रपति को सिफारिशें करने के लिए जिम्मेदार है।
तो यही है अनुच्छेद 349, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ अनुच्छेद 343 |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |