Article 343 of the Constitution | अनुच्छेद 343 व्याख्या

यह लेख Article 343 (अनुच्छेद 343) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं;
⬇️⬇️⬇️

📜 अनुच्छेद 343 (Article 343) – Original

भाग 17 [राजभाषा] अध्याय 1 – संघ की भाषा
343. संघ की राजभाषा— (1) संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी।

संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।

(2) खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था।

परन्तु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान, आदेश’ द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिन्दी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।

(3) इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, संसद्‌ उक्त पन्द्रह वर्ष की अवधि के पश्चात्‌, विधि द्वारा

(क) अंग्रेजी भाषा का, या
(ख) अंकों के देवनागरी रूप का,
ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं;
====================

अनुच्छेद 343 हिन्दी संस्करण

Part XVII [OFFICIAL LANGUAGE] CHAPTER I.—LANGUAGE OF THE UNION
343. Official language of the Union— (1) The official language of the Union shall be Hindi in Devanagari script.
The form of numerals to be used for the official purposes of the Union shall be the international form of Indian numerals.

(2) Notwithstanding anything in clause (1), for a period of fifteen years from the commencement of this Constitution, the English language shall continue to be used for all the official purposes of the Union for which it was being used immediately before such commencement:

Provided that the President may, during the said period, by order authorise the use of the Hindi language in addition to the English language and of the Devanagari form of numerals in addition to the international form of
Indian numerals for any of the official purposes of the Union.

(3) Notwithstanding anything in this article, Parliament may by law provide for the use, after the said period of fifteen years, of—
(a) the English language, or
(b) the Devanagari form of numerals,
for such purposes as may be specified in the law.

Article 343 English Version

🔍 Article 343 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 17, अनुच्छेद 343 से लेकर अनुच्छेद 351 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग राजभाषा (Official Language) के बारे में है। इस भाग को तीन अध्यायों में बांटा गया है जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं;\

ChaptersTitlesArticles
Iसंघ की भाषा (Language of the Union)343-344
IIप्रादेशिक भाषाएं (Regional Language)345-347
IIIउच्चतम एवं उच्च न्यायालयों आदि की भाषा (Language of Supreme and High Courts etc.)348-349
IVविशेष निदेश (Special Directives)350-351
Part 17 of the Constitution

इस लेख में हम “संघ की भाषा (Language of the Union)” अध्याय के तहत आने वाले, अनुच्छेद 343 को समझने वाले हैं;

Article 120 (Language to be used in Parliament)
Article 210 (Language to be used in the Legislature)
Closely Related to Article 343

| अनुच्छेद 343 – संघ की राजभाषा (Official language of the Union)

भारत एक भाषायी विविधता वाला देश है। 22 भाषाएँ तो सिर्फ संविधान में वर्णित है इसके अलावा भी विभिन्न भाषा परिवारों की सैंकड़ों भाषाएँ भारत में बोली जाती है। हालांकि किन्ही वजहों से यह विविधता कभी-कभी विवाद में भी बदलता रहा है।

भारत में भाषा विवाद, मुख्य रूप से भाषाई विविधता और भाषाओं की मान्यता के मुद्दे के आसपास घूमता है। भारतीय संविधान के निर्माताओं ने भाषाई विविधता के महत्व को पहचाना और विभिन्न प्रावधानों के माध्यम से इसका समाधान करने का प्रयास किया, जैसे कि राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर करना, मुख्य भाषाओं को संविधान का हिस्सा बनाना इत्यादि। संविधान का भाग 17 भी इसी को और स्पष्ट करने की एक पहल थी और अंग्रेजी को जारी रखने की एक व्यवस्था थी।

इस अनुच्छेद के तहत कुल तीन खंड आते हैं; आइये इसे समझें;

अनुच्छेद 343 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि संघ की राजभाषा (Official Language) हिन्दी और लिपि (Script) देवनागरी होगी।

इसका मतलब यह है कि भारत की केंद्र सरकार के सभी आधिकारिक संचार, दस्तावेज़ीकरण और कार्यवाही के लिए हिंदी का उपयोग किया जाएगा। और यह हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाएगी, नस्तालीक़ या रोमन लिपि में नहीं।

नोट – उर्दू को नस्तालीक़ लिपि में लिखा जाता है जबकि इंग्लिश को रोमन लिपि में। हालांकि अब तो हिन्दी को भी रोमन लिपि में लिखा जाता है (ख़ासकर के इंटरनेट की दुनिया में) लेकिन आधिकारिक तौर पर हिन्दी को सिर्फ देवनागरी लिपि में ही लिखा जा सकता है।

हालांकि यहाँ पर एक ट्विस्ट है, वो ये है कि आधिकारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।

आपको पता होगा कि देवनागरी लिपि में अंकों को अलग चिन्हों से निर्धारित किया जाता है, लेकिन अनुच्छेद के इस खंड के तहत देवनागरी अंक प्रणाली की जगह पर अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को जगह दिया गया है।

Article 343 Information Snippet

यहाँ यह भी याद रखिए कि राजभाषा (Official Language) और राष्ट्र भाषा (National Language) में अंतर होता है। जिसे कि आप नीचे देख सकते हैं;

Article 343 Information Snippet

अनुच्छेद 343 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था।

कहने का अर्थ है कि खंड (1) में भले ही हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है लेकिन भारत के संविधान के प्रारंभ होने के बाद पंद्रह वर्षों की अवधि तक, संघ के सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया जाता रहेगा, जैसा कि उसका उपयोग पहले से होता आ रहा था।

हालांकि यह व्यवस्था पूर्ण नहीं है बल्कि इसमें एक परंतुक भी जोड़ा गया है। जो ये कहता है कि राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान, आदेश’ द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिन्दी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।

कहने का अर्थ है कि संघ के राष्ट्रपति को, संघ के किसी आधिकारिक उद्देश्य के लिए, अंग्रेजी और भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अलावा हिंदी भाषा और अंकों के देवनागरी रूप के उपयोग की अनुमति देने का अधिकार है। इसके लिए राष्ट्रपति एक आदेश जारी कर सकता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो यह प्रावधान पंद्रह साल की अवधि के दौरान आधिकारिक उद्देश्यों के लिए कई भाषाओं का उपयोग करने की संभावना की अनुमति देता है। हालांकि भाषायी विवाद के कारण इसका क्रियान्वयन मूल रूप में हो नहीं पाया। जिस इंग्लिश को 15 साल की अवधि के बाद खत्म हो जाना चाहिए था या फिर न्यून हो जाना चाहिए था वो और बढ़ता ही गया और हिन्दी बस एक लोक भाषा बनकर रह गया।

अनुच्छेद 343 के खंड (3) के तहत कहा गया है कि इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, संसद्‌ उक्त पन्द्रह वर्ष की अवधि के पश्चात्‌, विधि द्वारा अंग्रेजी भाषा का, या अंकों के देवनागरी रूप का, ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं;

कहने का अर्थ है कि भले ही इस अनुच्छेद में कुछ भी क्यों न लिखा हो लेकिन संसद के पास उपरोक्त पंद्रह वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद (यानि कि 26 जनवरी 1965 के बाद) विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी भाषा या अंकों के देवनागरी रूप के उपयोग की अनुमति देने वाला कानून पारित करने का अधिकार है।

तो ऐसे में सवाल आता है कि क्या संसद द्वारा ऐसा कोई कानून बनाया गया है। तो उत्तर है; हाँ। साल 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया। इसके तहत हिन्दी के पक्ष में कुछ प्रावधान बनाए गए; (इसे और विस्तार से समझिए)

1963 का आधिकारिक भाषा अधिनियम भारत में कानून का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो केंद्र सरकार और संसद के साथ-साथ उच्च न्यायालयों में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए भाषाओं के उपयोग को नियंत्रित करता है। यहां इसके प्रमुख प्रावधानों का विवरण दिया गया है:

मुख्य उद्देश्य:

  • हिंदी का प्रगतिशील प्रचार: अधिनियम का उद्देश्य अधिनियम के प्रारंभ होने के बाद 15 वर्षों तक अंग्रेजी के उपयोग को जारी रखते हुए धीरे-धीरे संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को बढ़ावा देना है। बाद में इस अवधि को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया गया।
  • अंग्रेजी का निरंतर उपयोग: केंद्र सरकार और संसद के आधिकारिक उद्देश्यों के लिए हिंदी के साथ अंग्रेजी का उपयोग जारी रहेगा।
  • राज्य भाषाएँ: राज्यों को अपनी आधिकारिक भाषाएँ चुनने की स्वतंत्रता होगी।
  • अनुवाद और संचार: केंद्रीय और राज्य अधिनियमों, नियमों, विनियमों आदि का अधिकृत हिंदी अनुवाद प्रदान किया जाएगा।

कुल मिलाकर आप यहाँ यह समझ सकते हैं कि इंग्लिश को खत्म नहीं किया गया और हिन्दी को ठीक से लागू नहीं किया गया। संघ के आधिकारिक उद्देश्यों और संसद में उपयोग के लिए अंग्रेजी भाषा को जारी रखा गया।-

आज भी केन्द्रीय कार्य एवं केंद्र और गैर-हिंदी भाषी राज्यों के बीच संचार मुख्य रूप से अंग्रेजी में किया जाता है। हिंदी अनुवाद उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी इस अधिनियम के तहत किया गया है हालांकि आज भी सभी नियमों, क़ानूनों के हिन्दी अनुवाद उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।

इस अधिनियम के तहत उच्च न्यायालयों के निर्णयों आदि में हिन्दी या अन्य राजभाषा का वैकल्पिक प्रयोग करने की बात की गई लेकिन यह बहुत ज्यादा कारगर साबित नहीं हुआ।

इस अधिनियम के तहत यह व्यवस्था किया गया कि राजभाषा पर एक 30 सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा, जो इस आशय का एक प्रस्ताव राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के साथ संसद के किसी भी सदन में पेश किया जाएगा और पारित किया जाएगा।

उपरोक्त कारणों के वजह से ही राजभाषा अधिनियम अपने अधिनियमन के बाद से ही बहस और विवाद का विषय रहा है। हिंदी के समर्थकों का तर्क है कि राष्ट्रभाषा को बढ़ावा देना और विविधतापूर्ण देश में एकता को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

जबल्कि विरोधी, अक्सर गैर-हिंदी भाषी राज्यों से, उन पर हिंदी थोपे जाने को लेकर चिंता व्यक्त करते हैं और महसूस करते हैं कि इससे उनकी भाषाओं और संस्कृतियों को हाशिये पर धकेला जा सकता है।

इनमें से कुछ चिंताओं को दूर करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में अधिनियम में कई बार संशोधन किया गया है। हालाँकि, भारत में भाषा नीति पर बहस एक संवेदनशील मुद्दा बनी हुई है।

यहाँ पर यह याद रखिए कि गृह मंत्रालय के तहत राजभाषा विभाग (Department of Official Language) भी चल रहा है, जहां से आप नवीनतम जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। वो भी इंग्लिश और हिन्दी दोनों में। Visit – https://rajbhasha.gov.in/en

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 343 केंद्र सरकार और संसद की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी के उपयोग से संबंधित है।

◾ संविधान के प्रारंभ होने के बाद हिंदी को संघ की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया, लेकिन अंग्रेजी को जारी रखा गया। भारत के लिए एक राष्ट्रीय भाषा के प्रश्न पर संविधान सभा में बहुत ही ज्यादा बहस हुआ था।

आधिकारिक भाषा के लिए ड्राफ्ट को 12 सितंबर, 1949 को भारत के मसौदा संविधान 1948 में पेश किया गया था। कुछ सदस्यों ने राजभाषा के रूप में हिंदी का विरोध किया और इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ संविधान में शामिल कर लेने से कोई भी भाषा भारत पर थोपी नहीं जा सकती।

वहीं कुछ सदस्य हिंदी को हटाने की कोशिश में लगे रहे और इसके स्थान पर हिंदुस्तानी का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा। हालांकि हिन्दी को आधिकारिक भाषा के तौर पर संविधान में जगह तो मिल गई लेकिन अंकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय पद्धति को ही अपनाया गया। हालांकि इसका काफी विरोध हुआ और अंततः इसी अनुच्छेद के खंड (2) के तहत संसद को देवनागरी अंकों पर भी कानून बनाने की अनुमति दी।

◾ अनुच्छेद 343 राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी के महत्व को मान्यता देता है लेकिन इसे गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर नहीं थोपता। यह अंग्रेजी की निरंतर आवश्यकता को स्वीकार करते हुए आधिकारिक कामकाज में हिंदी को धीरे-धीरे अपनाने को बढ़ावा देता है।

◾ यह भारत के भाषाई परिदृश्य की विविधता पर जोर देता है और अपनी आधिकारिक भाषाओं को चुनने में राज्यों की स्वायत्तता का सम्मान करता है।

भारत के संविधान ने शुरू में हिंदी को संघ की आधिकारिक भाषा और अंग्रेजी को सहायक आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी थी। हालाँकि, संविधान ने एक संक्रमणकालीन अवधि की भी अनुमति दी जिसके दौरान अंग्रेजी का उपयोग आधिकारिक उद्देश्यों के लिए जारी रखा जा सकता है।

◾ संविधान की आठवीं अनुसूची में भारत गणराज्य की मान्यता प्राप्त भाषाओं की सूची है। प्रारंभ में, संविधान ने 14 भाषाओं को मान्यता दी, और बाद के संशोधनों में पिछले कुछ वर्षों में और अधिक भाषाएँ जोड़ी गईं। इनमें से प्रत्येक भाषा को विशेष दर्जा दिया गया है, और उनके संरक्षण और प्रचार को महत्वपूर्ण माना जाता है। अभी ये भाषाएँ संख्या में 22 है जिसमें इंग्लिश शामिल नहीं है।

1) Assamese, (2) Bengali, (3) Gujarati, (4) Hindi, (5) Kannada, (6) Kashmiri, (7) Konkani, (8) Malayalam, (9) Manipuri, (10) Marathi, (11) Nepali, (12) Oriya, (13) Punjabi, (14) Sanskrit, (15) Sindhi, (16) Tamil, (17) Telugu, (18) Urdu (19) Bodo, (20) Santhali, (21) Maithili and (22) Dogri.

जबकि हिंदी और अंग्रेजी को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है, भारत में प्रत्येक राज्य को राज्य विधायिका और सरकार के भीतर उपयोग के लिए अपनी स्वयं की आधिकारिक भाषा नामित करने की स्वतंत्रता है। इस प्रावधान का उद्देश्य भाषाई विविधता को समायोजित करना और क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देना है।

अभी की बात करें तो हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में मानने वाले निम्नलिखित राज्य है:

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, बिहार, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, [19] हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, लद्दाख, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड

बंगाली के अलावा अतिरिक्त भाषा के रूप में पश्चिम बंगाल भी हिन्दी को मान्यता देता है।

Image Credit : https://www.reddit.com/media?url=https%3A%2F%2Fi.redd.it%2Fi5tibu3csth91.jpg

◾ हाल ही में सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत, बहुभाषावाद और भाषाई विविधता को बढ़ावा देने के लिए तीन-भाषा फॉर्मूला पेश किया। यह स्कूलों में तीन भाषाओं – हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा – के अध्ययन का सुझाव देता है। हालाँकि, इस फॉर्मूले के कार्यान्वयन को विभिन्न राज्यों में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिससे बहस और विवाद पैदा हुए हैं।

कई राज्यों में अपनी-अपनी भाषाओं की मान्यता और प्रचार-प्रसार की मांग को लेकर भाषा आंदोलन हुए हैं। उदाहरण के लिए, तमिल को मान्यता देने की मांग के कारण तमिलनाडु राज्य में हिंदी थोपे जाने के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ। हालांकि इस आंदोलन का आधार राजनीतिक रहा है।

कुल मिलाकर भाषा अक्सर सांस्कृतिक पहचान से जटिल रूप से जुड़ी होती है, और विवाद तब उत्पन्न होते हैं जब एक भाषा को दूसरी भाषा पर थोपने या प्राथमिकता देने का प्रयास किया जाता है, या फिर जनता द्वारा ऐसा किन्ही वजहों से समझा जाता है। क्षेत्रीय भाषाओं की सुरक्षा के साथ राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी के प्रचार-प्रसार में संतुलन बनाना एक लगातार चुनौती रही है।

संविधान के संदर्भ में भारत में भाषा विवाद एक बहुआयामी मुद्दा है जिसमें राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर भाषाओं की मान्यता, प्रचार और संरक्षण शामिल है। संवैधानिक प्रावधानों का उद्देश्य भाषाई विविधता को स्वीकार करने और राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देने के बीच संतुलन बनाना है। हालाँकि, चुनौतियाँ बरकरार हैं और यह मुद्दा भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य का एक गतिशील पहलू बना हुआ है।

तो यही है अनुच्छेद 343, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

https://rajbhasha.gov.in/en
Must Visit

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

Related MCQs with Explanation

(a) The power of the Union Government to levy surcharges on the taxes levied by the State Governments
(b) The official languages of the Union
(c) The power of the State Governments to levy taxes on goods and services
(d) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess

(a) The President shall have the power to make rules for the progressive use of Hindi for the official purposes of the Union.
(b) The Government of India shall take all necessary steps to develop Hindi.
(c) English shall continue to be used for official purposes alongside Hindi for fifteen years from the commencement of the Constitution.
(d) Any person shall have the right to submit a representation in Hindi to any officer or authority of the Union or a State.

(a) All proceedings in the Supreme Court and High Courts shall be in English.
(b) The Governor of a State may, with the consent of the President, authorize the use of the Hindi language in addition to the mother-tongue of a substantial portion of the population of any State for proceedings in the High Court of that State.
(c) For a period of fifteen years from the commencement of the Constitution, the President may by order authorize the use of the English language for all or any of the specified purposes of the Union not mentioned in clause (1).
(d) No minority shall be subjected to any disability solely on the ground of the language of their community.

Answer: (c) Clause (1) of Article 343 explicitly prohibits the President from authorizing the use of English for the specified purposes listed within the clause. However, as mentioned earlier, the Official Languages Act of 1963 effectively superseded this restriction.

(a) Hindiphobia due to some political reasons
(b) The practical challenges of implementing Hindi usage across India’s diverse linguistic landscape. (c) Both (a) and (b).
(d) Neither (a) nor (b).

Answer 1: (b) Explanation: Article 343 of the Indian Constitution defines Hindi as the official language of the Union and grants English a special status, allowing its continued use for official purposes alongside Hindi.

Answer 2: (c) Explanation: While the Constitution initially stipulated a timeframe of fifteen years for the continued use of English alongside Hindi, the Official Languages Act of 1963 extended this period indefinitely.

Answer 3: (c) Clause (1) of Article 343 explicitly prohibits the President from authorizing the use of English for the specified purposes listed within the clause. However, as mentioned earlier, the Official Languages Act of 1963 effectively superseded this restriction.

Answer 4: (c) Explanation: Article 343 and the promotion of Hindi have indeed been at the center of controversy and tensions very much due to some political reasons.

| Related Article

अनुच्छेद 344 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 342 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 343
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।