यह लेख Article 342A (अनुच्छेद 342क) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 342A (Article 342क) – Original
भाग 16 [कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध] |
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1[342A. सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग— (1) राष्ट्रपति, किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में और जहां वह राज्य है, वहां उसके राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात् लोक अधिसूचना द्वारा, 2[केंद्रीय सूची में सामाजिक और शैक्षिक इष्टि से ऐसे पिछड़े वर्गों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा, जिन्हें केंद्रीय सरकार के प्रयोजनों के लिए, यथास्थिति, उस राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग समझा जाएगा। (2) संसद, विधि द्वारा, किसी सामाजिक और शैक्षिक इष्टि से पिछड़े वर्ग को खंड (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की केन्द्रीय सूची में सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित कर सकेगी, किन्तु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय उक्त खंड के अधीन निकाली गई अधिसूचना में किसी पश्चातवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा।] 3[स्पष्टीकरण — खंड (1) और खंड (2) के प्रयोजनों के लिए “केन्द्रीय सूची” अभिव्यक्ति से केंद्रीय सरकार द्वारा और उसके लिए सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की तैयार की गई और रखी गई सूची अभिप्रेत है। (3) खंड (1) और खंड (2) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, प्रत्येक राज्य या संघ राज्यक्षेत्र, विधि द्वारा, अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिए, सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की एक सूची तैयार कर सकेगा और रख सकेगा, जिसमें प्रविष्टियां केन्द्रीय सूची से भिन्न हो सकेंगी।] |
Part XVI [SPECIAL PROVISIONS RELATING TO CERTAIN CLASSES] |
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1[342A. Socially and educationally backward classes— (1) The President may with respect to any State or Union territory, and where it is a State, after consultation with the Governor thereof, by public notification, specify 2[the socially and educationally backward classes in the Central List which shall for the purposes of the Central Government] be deemed to be socially and educationally backward classes in relation to that State or Union territory, as the case may be. (2) Parliament may by law include in or exclude from the Central List of socially and educationally backward classes specified in a notification issued under clause (1) any socially and educationally backward class, but save as aforesaid a notification issued under the said clause shall not be varied by any subsequent notification.] 3[Explanation.—For the purposes of clauses (1) and (2), the expression “Central List” means the list of socially and educationally backward classes prepared and maintained by and for the Central Government. (3) Notwithstanding any contained in clauses (1) and (2), every State or Union territory may, by law, prepare and maintain, for its own purposes, a list of socially and educationally backward classes, entries in which may be different from the Central List.] |
🔍 Article 342A Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 16, अनुच्छेद 330 से लेकर अनुच्छेद 342 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध (Special provision in respect of certain classes) के बारे में है। इस भाग के अंतर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों को सम्मिलित किया गया है;
- लोक सभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the Lok Sabha)
- राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the Legislative Assemblies of the States)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes)
- पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Backward Classes), इत्यादि।
इस लेख में हम अनुच्छेद 342A को समझने वाले हैं;
⚫ ◾ राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) |
| अनुच्छेद 342A – सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग (Socially and educationally backward classes)
अनुच्छेद 342A के तहत सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग (Socially and educationally backward classes) के बारे में बात की गई है।
“पिछड़ा वर्ग (Backward Class)” एक शब्द है जिसका उपयोग भारत में उन सामाजिक समूहों या समुदायों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है जो ऐतिहासिक रूप से समाज के अधिक विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों की तुलना में आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से वंचित रहे हैं।
इन समूहों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रावधान और सकारात्मक कार्रवाई के उपाय प्रदान करने के लिए आधिकारिक तौर पर “पिछड़े वर्ग” के रूप में मान्यता और वर्गीकृत किया गया है।
अनुच्छेद 342 ‘क’ के तहत इसकी व्याख्या की गई है कि पिछड़ा वर्ग (BC) कौन है या होंगे। इस अनुच्छेद के तहत हम इसी को समझने वाले हैं। इस अनुच्छेद के तहत कुल तीन खंड आते हैं। आइये समझें;
आरक्षण (Reservation) वाले लेख में आप समझ पाएंगे कि किस तरह से मंडल आयोग, जिसे आधिकारिक तौर पर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग आयोग के रूप में जाना जाता है, की स्थापना 1970 के दशक के अंत में पिछड़े वर्गों की पहचान और वर्गीकरण के लिए की गई थी।
Article 342A Clause 1 Explanation
अनुच्छेद 342A के खंड (1) के तहत कहा गया है कि राष्ट्रपति, किसी राज्य या संघक्षेत्र के संबंध में, जहां वह राज्य है, वहाँ उसके राज्यपाल से परामर्श करने के बाद, लोक अधिसूचना द्वारा, सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से ऐसे पिछड़े वर्गों को विनिर्दिष्ट (specify) कर सकेगा। जिन्हे इस संविधान के प्रयोजनों के लिए उस राज्य या संघक्षेत्र के संबंध में सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग समझा जाएगा।
यह प्रावधान भारत के राष्ट्रपति को सार्वजनिक अधिसूचना के माध्यम से सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से ऐसे पिछड़े वर्गों को निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है जिन्हें किसी विशेष राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग माना जाता है। लेकिन राष्ट्रपति को अधिसूचना जारी करने से पहले राज्य के राज्यपाल से परामर्श करना आवश्यक है।
Article 342A Clause 2 Explanation
अनुच्छेद 342A के खंड (2) के तहत कहा गया है कि संसद के पास यह अधिकार है कि विधि द्वारा किसी सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग को, खंड (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट (specified) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों को, सूची में सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित (exclude) कर सकेगी।
यह प्रावधान संसद को इस पहले खंड के तहत राष्ट्रपति द्वारा जारी अधिसूचना में निर्दिष्ट सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की सूची से किसी भी जाति या समुदाय को शामिल करने या बाहर करने की अनुमति देता है।
Article 342A Clause 3 Explanation
अनुच्छेद 342A के खंड (3) के तहत कहा गया है कि खंड (1) और खंड (2) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, प्रत्येक राज्य या संघ राज्यक्षेत्र, विधि द्वारा, अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिए, सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की एक सूची तैयार कर सकेगा और रख सकेगा, जिसमें प्रविष्टियां केन्द्रीय सूची से भिन्न हो सकेंगी।
Article 342A in the Nutshell
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 342ए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) को निर्दिष्ट करने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है। इसे 2018 में पारित 102वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से संविधान में शामिल किया गया था।
राष्ट्रपति की शक्तियाँ:
◾ राष्ट्रपति, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा, किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में केंद्रीय सूची में एसईबीसी को निर्दिष्ट कर सकते हैं।
◾ इसका मतलब यह है कि राष्ट्रपति यह निर्णय लेते हैं कि केंद्र सरकार की योजनाओं और लाभों के लिए किन जातियों/समुदायों को एसईबीसी माना जाए। किसी राज्य के लिए राष्ट्रपति राज्यपाल से परामर्श के बाद यह निर्णय लेते हैं।
एसईबीसी की केंद्रीय सूची:
◾ राष्ट्रपति एसईबीसी की एक केंद्रीय सूची रखता है।
◾ इस सूची में प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए राष्ट्रपति द्वारा पहचाने गए एसईबीसी शामिल हैं। केंद्रीय सूची के अलावा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास एसईबीसी की अपनी सूची भी हो सकती है।
संसद की भूमिका:
◾ संसद, कानून द्वारा, किसी भी एसईबीसी को केंद्रीय सूची से शामिल या बाहर कर सकती है। हालाँकि, एक बार जब राष्ट्रपति द्वारा एसईबीसी को निर्दिष्ट करते हुए एक अधिसूचना जारी की जाती है, तो इसे किसी भी बाद की अधिसूचना द्वारा बदला नहीं जा सकता है।
अनुच्छेद 342ए का उद्देश्य:
◾ इस लेख का उद्देश्य कुछ जातियों और समुदायों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को संबोधित करना है।
◾ इन समुदायों को एसईबीसी के रूप में पहचानकर, वे केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले विभिन्न सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रमों और लाभों के लिए पात्र हो सकते हैं।
◾ इन कार्यक्रमों में शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण, छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता शामिल हो सकते हैं।
अनुच्छेद 342ए का महत्व:
◾ यह लेख महत्वपूर्ण है क्योंकि यह केंद्र सरकार की योजनाओं में एसईबीसी की पहचान और समावेश के लिए संवैधानिक आधार प्रदान करता है।
◾ इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि इन समुदायों को अपने सामाजिक और शैक्षिक नुकसानों को दूर करने के लिए आवश्यक लाभ प्राप्त हों। हालाँकि, इस प्रावधान के कार्यान्वयन को चुनौतियों और विवादों का सामना करना पड़ा है, कुछ लोगों का तर्क है कि यह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में प्रभावी नहीं है।
◾ राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) एसईबीसी से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह देता है।
◾ सुप्रीम कोर्ट ने एसईबीसी की पहचान और समावेशन के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं, जिसमें सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर मात्रात्मक डेटा की आवश्यकता भी शामिल है।
तो यही है अनुच्छेद 342A, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं। ◾ राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)↗
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 342A of the Indian Constitution empowers:
(a) The Parliament to identify and declare socially and educationally backward classes (SEBCs).
(b) The National Commission for Backward Classes (NCBC) to recommend communities for inclusion in the SEBC list.
(c) The President, in consultation with the Governor of a State, to notify and specify SEBCs in relation to that State or Union territory.
(d) The State Governments to prepare their own list of SEBCs for the Country.
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Question 2: The Central List of SEBCs specified under Article 342A:
(a) Is binding on all States and Union territories.
(b) Can be modified by State Governments based on their specific criteria.
(c) Is used solely for the purpose of Central Government schemes and benefits.
(d) Serves as a reference for State Governments in identifying their own SEBCs.
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Question 3: The Parliament can, under Article 342A:
(a) Include or exclude any SEBC from the Central List.
(b) Abolish the reservation benefits for any SEBC.
(c) Create a separate list of SEBCs for each State and Union territory.
(d) Override the State Governments’ decisions regarding their SEBC list.
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Question 4: The inclusion of a community in the SEBC list under Article 342A primarily aims to:
(a) Promote their economic advancement and social integration.
(b) Increase their representation in political and administrative spheres.
(c) Protect them from discrimination and exploitation.
(d) All of the above.
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Question 5: Article 342A has been criticized for:
(a) Being based on outdated criteria for identifying backwardness.
(b) Failing to address the specific needs of different SEBC sub-groups.
(c) Leading to political manipulation and misuse of reservation benefits.
(d) All of the above.
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⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |