यह लेख Article 341 (अनुच्छेद 341) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं; |
📜 अनुच्छेद 341 (Article 341) – Original
भाग 16 [कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध] |
---|
341. अनुसूचित जातियां— (1) राष्ट्रपति, 1[किसी राज्य 2[या संघ राज्यक्षेत्] के संबंध में और जहां वह 3** राज्य है वहां उसके राज्यपाल 4** से परामर्श करने के पश्चात] लोक अधिसूचना द्वारा5, उन जातियों, मूलवंशों या जनजातियों, अथवा जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भागों या उनमें के यूथों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए 2[यथास्थिति,] उस राज्य 2[या संघ राज्यक्षेत्र] के संबंध में अनुसूचित जातियां समझा जाएगा। (2) संसद, विधि द्वारा, किसी जाति, मूलवंश या जनजाति को अथवा जाति, मूलवंश या जनजाति के आग या उसमें के यूथ को खंड (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित कर सकेगी, किन्तु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय उक्त खंड के अधीन निकाली गई अधिसूचना में किसी पश्चातवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा। |
Part XVI [SPECIAL PROVISIONS RELATING TO CERTAIN CLASSES] |
---|
341. Scheduled Castes—(1) The President 1[may with respect to any State 2[or Union territory], and where it is a State 3***, after consultation with the Governor 4*** thereof], by public notification5, specify the castes, races or tribes or parts of or groups within castes, races or tribes which shall for the purposes of this Constitution be deemed to be Scheduled Castes in relation to that State 2[or Union territory, as the case may be.] (2) Parliament may by law include in or exclude from the list of Scheduled Castes specified in a notification issued under clause (1) any caste race or tribe or part of or group within any caste, race or tribe, but save as aforesaid a notification issued under the said clause shall not be varied by any subsequent notification. |
🔍 Article 341 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 16, अनुच्छेद 330 से लेकर अनुच्छेद 342 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध (Special provision in respect of certain classes) के बारे में है। इस भाग के अंतर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों को सम्मिलित किया गया है;
- लोक सभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the Lok Sabha)
- राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the Legislative Assemblies of the States)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes)
- पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Backward Classes), इत्यादि।
इस लेख में हम अनुच्छेद 341 को समझने वाले हैं;
⚫ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग [NCSC] |
| अनुच्छेद 341 – अनुसूचित जातियां (Scheduled Castes)
अनुच्छेद 341 के तहत अनुसूचित जातियां (Scheduled Castes) के बारे में बात की गई है।
अनुसूचित जाति (एससी), जिन्हें दलित भी कहा जाता है, भारत में ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर और वंचित समुदाय हैं। “अनुसूचित जाति” शब्द उन लोगों के समूहों को संदर्भित करता है जो ऐतिहासिक रूप से भारतीय सामाजिक व्यवस्था में समाज के कुछ वर्गों द्वारा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक भेदभाव, बहिष्कार और अस्पृश्यता के अधीन रहे हैं।
अनुसूचित जाति की अवधारणा एक आधुनिक अवधारणा है जिसकी शुरुआत आमतौर पर ब्रिटिश काल से मानी जाती है। प्राचीन काल में वर्ण व्यवस्था अस्तित्व में था और कालांतर में इसी व्यवस्था से जातियों को निर्माण हुआ जो कि अपने मूल रूप में कार्य पर आधारित एक विभाजन था।
पर समय के साथ यह व्यवस्था भ्रष्ट होती गई, और कई ऐसी परंपराएं विकसित हुई जिसमें समाज के कुछ वर्गों को हेय दृष्टि से देखा गया, उसके साथ समानता का व्यवहार नहीं अपनाया गया।
ऐसे ही ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदाय को औपचारिक रूप से दलित या अनुसूचित जाति कहा गया। 1935 में अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए भारत सरकार अधिनियम में अधिनियम के भाग 14 में आधिकारिक तौर पर “Scheduled Castes” शब्द का इस्तेमाल किया गया था, और स्वतंत्रता के बाद भी भारत सरकार द्वारा इसी परिभाषा का उपयोग जारी रखा गया।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इसी समाज को “दलित” कहा। और Intellectual Liberal Class इसी को Depressed Class कहता है। लेकिन संविधान इसके बारे में क्या कहता है?
अनुच्छेद 341 परिभाषित करता है कि अनुसूचित जाति (SC) कौन है।
Article 341 Clause 1 Explanation
अनुच्छेद 341 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि राष्ट्रपति, किसी राज्य या संघक्षेत्र के संबंध में, जहां वह राज्य है, वहाँ उसके राज्यपाल से परामर्श करने के बाद, लोक अधिसूचना द्वारा, उन जातियों (castes), मूलवंशों (races) या जनजातियों (Tribes) या उसके भाग या उनके समूह को विनिर्दिष्ट (specify) कर सकेगा। जिन्हे इस संविधान के प्रयोजनों के लिए उस राज्य या संघक्षेत्र के संबंध में अनुसूचित जाति (SC) समझा जाएगा।
कहने का अर्थ है कि राष्ट्रपति संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श करने के बाद देश के किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के लिए अनुसूचित जाति निर्दिष्ट कर सकते हैं।
राष्ट्रपति द्वारा जारी अधिसूचना निर्दिष्ट राज्य या केंद्र शासित प्रदेश पर लागू होगी, और अधिसूचना में पहचानी गई जाति, नस्ल या जनजाति को उस विशिष्ट राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जाति माना जाएगा।
राष्ट्रपति द्वारा जारी अधिसूचना में संपूर्ण जातियाँ, नस्लें या जनजातियाँ, या इन जातियों, नस्लों या जनजातियों के विशिष्ट हिस्से या समूह शामिल हो सकते हैं।
Article 341 Clause 2 Explanation
अनुच्छेद 341 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि संसद के पास यह अधिकार है कि विधि द्वारा किसी जाति, मूलवंश या जनजाति को या उसके भाग को या उसके समूह को, खंड (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट (specified) अनुसूचित जाति को, सूची में सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित (exclude) कर सकेगी।
कहने का अर्थ है कि अनुच्छेद 341 का खंड (2) संसद को इसी अनुच्छेद के खंड (1) के तहत राष्ट्रपति द्वारा जारी अधिसूचना में निर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची से किसी भी जाति, नस्ल या जनजाति को शामिल करने या बाहर करने की शक्ति देता है।
संसद इस शक्ति का उपयोग संपूर्ण जातियों, नस्लों या जनजातियों, या इन जातियों, नस्लों या जनजातियों के विशिष्ट भागों या समूहों को अनुसूचित जातियों की सूची से जोड़ने या हटाने के लिए कर सकती है।
यह प्रावधान संसद को बदलती परिस्थितियों के अनुसार अनुसूचित जातियों की सूची को अनुकूलित करने की अनुमति देता है।
Article 341 in the Nutshell
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 341 अनुसूचित जाति (एससी) को परिभाषित करता है, एक समूह जो ऐतिहासिक रूप से अस्पृश्यता और सामाजिक भेदभाव के अधीन है।
यह भारत के राष्ट्रपति को किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में जातियों, नस्लों या जनजातियों को अनुसूचित जाति घोषित करने का अधिकार देता है। यह घोषणा संबंधित राज्य के राज्यपाल के परामर्श से की जाती है।
1. उद्देश्य:
- अनुसूचित जातियों के लिए संविधान और विभिन्न कानूनों द्वारा प्रदान किए गए लाभों और सुरक्षा के हकदार लोगों के समूह की पहचान और परिभाषित करना।
- उनके सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करना, और उनके ऐतिहासिक हाशिये पर और भेदभाव का मुकाबला करना।
2. प्रक्रिया:
- राष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद की सलाह से, एक सार्वजनिक अधिसूचना जारी करते हैं जिसमें किसी विशेष राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अनुसूचित जाति मानी जाने वाली जातियों, नस्लों या जनजातियों को निर्दिष्ट किया जाता है।
- यह अधिसूचना विभिन्न कारकों पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं:
- छुआछूत और सामाजिक कलंक का ऐतिहासिक साक्ष्य।
- सामाजिक आर्थिक पिछड़ापन और संसाधनों तक पहुंच की कमी।
- समूह से जुड़े विशिष्ट रीति-रिवाज और परंपराएँ।
- राज्य सरकारों और विशेषज्ञ समितियों की सिफारिशें।
3. महत्व:
- अनुच्छेद 341 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो अनुसूचित जातियों की स्थितियों में सुधार लाने के उद्देश्य से सकारात्मक कार्रवाई नीतियों का आधार बनता है।
- यह उन्हें विभिन्न लाभों का अधिकार देता है, जिनमें शामिल हैं:
- विधायिकाओं और सरकारी नौकरियों में सीटों का आरक्षण।
- शैक्षिक छात्रवृत्ति और अन्य सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रमों तक पहुंच।
- सामाजिक बहिष्कार और भेदभावपूर्ण प्रथाओं से सुरक्षा।
4. विवाद:
- अनुसूचित जाति की परिभाषा पर बहस हुई है, कुछ लोगों का तर्क है कि यह जाति की पुरानी धारणाओं पर आधारित है और इसमें योग्य समुदायों को शामिल नहीं किया गया है।
- कुछ जातियों के अधिक प्रतिनिधित्व और योग्यता-आधारित चयन की कमी के बारे में चिंताओं के साथ, आरक्षण नीतियों के कार्यान्वयन को भी आलोचना का सामना करना पड़ा है।
5. निष्कर्ष:
विवादों के बावजूद, अनुच्छेद 341 अनुसूचित जातियों द्वारा सामना किए गए ऐतिहासिक अन्याय को संबोधित करने और उनके सामाजिक समावेशन और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बना हुआ है। हालाँकि, इसके प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने और निष्पक्षता और पारदर्शिता के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।
तो यही है अनुच्छेद 341, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 341 defines a Scheduled Caste as:
(a) Any socially and educationally backward caste or class
(b) Any tribe or tribal community
(c) Any caste or class that is deemed to be a Scheduled Caste by the President
(d) All of the above
Click to Answer
Question 2: The criteria used by the President to determine whether a caste or class should be declared a Scheduled Caste include:
(a) Social, educational, and economic backwardness
(b) Historical untouchability
(c) Lack of access to basic necessities
(d) All of the above
Click to Answer
Question 3: The purpose of the Scheduled Caste designation is to:
(a) Provide special safeguards and benefits to these communities
(b) Promote their social and economic development
(c) Protect them from discrimination
(d) All of the above
Click to Answer
Question 4: Article 341 has been criticized for:
(a) Not being inclusive enough
(b) Perpetuating casteism
(c) Being based on outdated criteria
(d) All of the above
Click to Answer
| Related Article
⚫ अनुच्छेद 342 – भारतीय संविधान |
⚫ अनुच्छेद 340 – भारतीय संविधान |
⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |