यह लेख Article 331 (अनुच्छेद 331) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 331 (Article 331) – Original
भाग 16 [कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध] |
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331. लोक सभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व— अनुच्छेद 81 में किसी बात के होते हुए भी, यदि राष्ट्रपति की यह राय है कि लोक सभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो वह लोक सभा में उस समुदाय के दो से अनधिक सदस्य नामनिर्देशित कर सकेगा। |
Part XVI [SPECIAL PROVISIONS RELATING TO CERTAIN CLASSES] |
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331. Representation of the Anglo-Indian Community in the House of the People— Notwithstanding anything in article 81, the President may, if he is of opinion that the Anglo-Indian community is not adequately represented in the House of the People, nominate not more than two members of that community to the House of the People |
🔍 Article 331 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 16, अनुच्छेद 330 से लेकर अनुच्छेद 342 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध (Special provision in respect of certain classes) के बारे में है। इस भाग के अंतर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों को सम्मिलित किया गया है;
- लोक सभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the Lok Sabha)
- राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats for Scheduled Castes and Scheduled Tribes in the Legislative Assemblies of the States)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes)
- पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Backward Classes), इत्यादि।
इस लेख में हम अनुच्छेद 331 को समझने वाले हैं;
⚫ ◾ भारत में आरक्षण (Reservation in India) [1/4] |
| Article 331 – लोक सभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व (Representation of the Anglo-Indian Community in the House of the People)
अनुच्छेद 331 के तहत लोक सभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व (Representation of the Anglo-Indian Community in the House of the People) के बारे में बात की गई है।
अनुच्छेद 331 के तहत कहा गया है कि अनुच्छेद 81 में किसी बात के होते हुए भी, यदि राष्ट्रपति की यह राय है कि लोक सभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो वह लोक सभा में उस समुदाय के दो से अनधिक सदस्य नामनिर्देशित कर सकेगा।
अनुच्छेद 331 के तहत राष्ट्रपति को एक विवेकाधिकार दिया गया है कि यदि राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि लोकसभा में एंग्लो-इंडियन प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो राष्ट्रपति एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को लोकसभा में मनोनीत कर सकता है।
लेकिन याद रखिए कि एंग्लो-इंडियन के कॉन्सेप्ट को जनवरी 2020 में 104th संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा खत्म दिया गया है। इसका मतलब ये है कि अब राष्ट्रपति द्वारा 2 एंग्लो-इंडियन को नामित नहीं किया जाएगा।
कुल मिलाकर स्थिति यह है कि जनवरी 2020 तक लोकसभा में 545 सदस्य हुआ करता था। जिसमें से 530 सदस्य राज्यों से चुन कर आते थे, 13 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों से चुनकर आते थे लेकिन केंद्रशासित प्रदेशों से चुनकर आने वाले सदस्यों की अधिकतम संख्या 20 है यानी कि 7 सदस्य अभी चुनकर नहीं आते थे। और दो सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित या नाम निर्देशित एंग्लो-इंडियन समुदाय से आते थे।
चूंकि एंग्लो-इंडियन के कॉन्सेप्ट को जनवरी 2020 में 104th संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा खत्म दिया गया है। ऐसे में अभी कि बात करें तो 530 सदस्य राज्यों से चुनकर पहले की तरह ही आते हैं, और 20 केंद्रशासित प्रदेशों की सीटों में से 13 सदस्य पहले की ही तरह चुनकर आते हैं, तो अभी कुल 543 सीटें लोकसभा में हैं यानी कि 543 सदस्य अभी लोकसभा में हैं।
एंग्लो-इंडियंस कौन है ये लोग, कहाँ से आते हैं?
1911 की जनगणना में इसे पहली बार परिभाषित किया गया था, इसके अनुसार,
1. ये मिश्रित रक्त का होना चाहिए अर्थात भारतीय रक्त और यूरोपीय रक्त का मिश्रण
2. पिता पक्ष हमेशा यूरोपीय होना चाहिए और माता पक्ष भारतीय
3. इन लोगों के जो बच्चे होंगे वे सब एंग्लो इंडियन (Anglo Indian) होंगे।
15 अगस्त 1947 को भारत से अंग्रेज़ विदा हो गए, पर लगभग 30000 लोग ऐसे थे जो नहीं गए, जो या तो यूरोपीय समुदाय से थे या यूरोपीय और भारतीय मूल के माता-पिताओं के संतान थे। ये कहना मुश्किल है कि भारत में अभी इस समुदाय के कितने लोग है, क्योंकि 1941 की जनगणना के बाद से भारत में जातीय और सामुदायिक आधार पर जनगणना को बंद कर दिया गया है। पर एक अनुमान है की इनकी संख्या लगभग सवा लाख है, जिनमे से ज़्यादातर कोलकाता और चेन्नई में रहते है।
संविधान के अनुसार एंग्लो इंडियन:
भारत के आजाद होने के बाद इनके पुराने मान्यताओं में कुछ संशोधन करके इसे संवैधानिक रूप दे दिया गया। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 366(2) के तहत एंग्लो इंडियन की परिभाषा इस प्रकार की गयी है-
1. पिता, दादा या परदादा यूरोपीय मूल के होने चाहिए।
2. माता और पिता अस्थायी रूप से भारत में नहीं रहना चाहिए। मतलब ये कि अगर पिता यूरोपीय मूल के है और माता भारतीय मूल के है लेकिन वो भारत में स्थायी रूप से नहीं रह रहे है तो उसे एंग्लो-इंडियन नहीं माना जाएगा।
3. वंश परंपरा पुरुष आधारित होना चाहिए। अर्थात पुरुष पक्ष हमेशा यूरोपीय होना चाहिए।
एंग्लो-इंडियन का लोक सभा और विधानसभा में आरक्षण का प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 331 के तहत एंग्लो इंडियन समुदाय को लोकसभा में और अनुच्छेद 333 के तहत राज्य विधानसभा में विशेष प्रतिनिधित्व दिया जाता था। हालांकि अब इसे समाप्त कर दिया गया है।
मसूरी में रहने वाले लेखक रस्किन बॉन्ड, फिल्म अभिनेत्री लारा दत्ता, क्रिकेटर स्टुअर्ट बिन्नी, तृणमूल कॉंग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन और क्रिकेटर नासिर हुसैन एंग्लो इंडियन है।
तो यही है अनुच्छेद 331 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ Article 81 |
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Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 331 of the Indian Constitution deals with:
(a) The reservation of seats for Scheduled Castes (SCs) and Scheduled Tribes (STs) in the Lok Sabha
(b) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(c) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(d) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(e) The representation of the Anglo-Indian community in the Lok Sabha
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Question 2: The reservation of seats for the Anglo-Indian community under Article 331 of the Indian Constitution is a form of affirmative action.
True
False
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Question 3: Article 331 of the Indian Constitution was repealed by the 104th Constitutional Amendment Act, 2019.
True
False
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |