यह लेख Article 329 (अनुच्छेद 329) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
यहां यह याद रखें कि अनुच्छेद 329A को संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1978 से समाप्त कर दिया गया है।
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📜 अनुच्छेद 329 (Article 329) – Original
भाग 15 [निर्वाचन] |
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329. निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन— 1[इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी ***2] (क) अनुच्छेद 327 या अनुच्छेद 328 के अधीन बनाई गई या बनाई जाने के लिए तात्पर्यित किसी ऐसी विधि की विधिमान्यता, जो निर्वाचन-क्षेत्रों के परिसीमन या ऐसे निर्वाचन-क्षेत्रों को स्थानों के आबंटन से संबंधित है, किसी न्यायालय में प्रश्नगत नहीं की जाएगी ; (ख) संसद् के प्रत्येक सदन या किसी राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिए कोई निर्वाचन ऐसी निर्वाचन अर्जी पर ही प्रश्नगत किया जाएगा, जो ऐसे प्राधिकारी को और ऐसी रीति से प्रस्तुत की गई है जिसका समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन उपबंध किया जाए, अन्यथा नहीं। 3329क. [प्रधान मंत्री और अध्यक्षा के मामले में संसद् के लिए निर्वाचनों के बारे में विशेष उपबंध]— संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 36 द्वारा (20-6-1979 से) निरसित। |
Part XV [Elections] |
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329. Bar to interference by courts in electoral matters— 1[Notwithstanding anything in this Constitution 2***—] (a) the validity of any law relating to the delimitation of constituencies or the allotment of seats to such constituencies, made or purporting to be made under article 327 or article 328, shall not be called in question in any court; (b) no election to either House of Parliament or to the House or either House of the Legislature of a State shall be called in question except by an election petition presented to such authority and in such manner as may be provided for by or under any law made by the appropriate Legislature. 3329A. [Special provision as to elections to Parliament in the case of Prime Minister and Speaker.].—Omitted by the Constitution (Forty-fourth Amendment) Act, 1978, s. 36 (w.e.f. 20-6-1979). |
🔍 Article 329 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 15, अनुच्छेद 324 से लेकर अनुच्छेद 329 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग निर्वाचन (Elections) के बारे में है। भारत का चुनाव आयोग (ECI) एक स्वायत्त और स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जो भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित करने और संचालित करने के लिए जिम्मेदार है। इसकी स्थापना हमारे देश की चुनावी प्रक्रिया के प्रबंधन के लक्ष्य के साथ 25 जनवरी 1950 को की गई थी। ECI राष्ट्रपति से लेकर राज्य विधान सभा तक के चुनावों की देखरेख का प्रभारी है।
इस भाग के अंतर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों को सम्मिलित किया गया है;
- चुनाव आयोग (Election Commission)
- वयस्क मताधिकार की व्यवस्था (adult suffrage system)
- निर्वाचन के मामले में न्यायालय का हस्तक्षेप न होना (non-interference of the court in the matter of election)
- विधान मंडलों के निर्वाचन के मामले में संसद द्वारा कानून बनाने का प्रावधान (Provision for Parliament to make laws in the matter of elections to the Legislatures); इत्यादि।
इस लेख में हम अनुच्छेद 329 को समझने वाले हैं;
◾ राज्यसभा चुनाव कैसे होता है? |
| अनुच्छेद 329 – निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन (Bar to interference by courts in electoral matters)
अनुच्छेद 329 के तहत निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन के बारे में बात की गई है।
अनुच्छेद 329 के तहत दो बातें कही गई है;
पहली बात) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी अनुच्छेद 327 या अनुच्छेद 328 के अधीन बनाई गई या बनाई जाने के लिए तात्पर्यित किसी ऐसी विधि की विधिमान्यता, जो निर्वाचन-क्षेत्रों के परिसीमन या ऐसे निर्वाचन-क्षेत्रों को स्थानों के आबंटन से संबंधित है, किसी न्यायालय में प्रश्नगत नहीं की जाएगी;
जैसा कि हमने पढ़ा है कि अनुच्छेद 327 के तहत संसद को निर्वाचन के संबंध में कानून बनाने की शक्ति दी गई जिसमें कि परिसीमन भी शामिल है। उसी तरह से अनुच्छेद 328 के तहत राज्यों के विधानमंडल को निर्वाचन के संबंध में कानून बनाने की शक्ति दी गई है हालांकि विधानमंडल को प्राप्त शक्ति, संसद की शक्ति के कमतर है।
अनुच्छेद 329 में यही कहा गया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 327 या अनुच्छेद 328 द्वारा अधिकृत, संसद द्वारा बनाए गए परिसीमन कानून या प्रत्येक जिले को प्रतिनिधित्व के लिए आवंटित सीटों की संख्या से संबंधित पारित कोई भी कानून, किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
दूसरे शब्दों में कहें तो अनुच्छेद 327-328 के अधीन बनाई गई विधियों के बारे में न्यायालय की अधिकारिता का वर्जन (exclusion) करता है, जैसे कि जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम। ये विधियां निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन या ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों को सीट के आवंटन से संबंधित हो सकती है।
दूसरी बात) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी संसद् के प्रत्येक सदन या किसी राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिए कोई निर्वाचन ऐसी निर्वाचन अर्जी पर ही प्रश्नगत किया जाएगा, जो ऐसे प्राधिकारी को और ऐसी रीति से प्रस्तुत की गई है जिसका समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन उपबंध किया जाए, अन्यथा नहीं।
कहने का अर्थ है कि संसद के किसी भी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी भी सदन के लिए किसी भी चुनाव पर न्यायालय में सवाल नहीं उठाया जाएगा।
अगर सवाल उठाया भी जाएगा तो वो उस निर्वाचन अर्जी पर उठाया जाएगा जो ऐसे प्राधिकारी को और ऐसी रीति से प्रस्तुत की गई है जिसका समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन उपबंध किया गया है।
इसका मतलब यह है कि यह खंड निर्वाचन* से संबंधित सभी विषयों में न्यायालयों की अधिकारिता का अपवर्जन करता है। इन विषयों को समुचित विधानमंडल द्वारा बनाए गए विधि के तहत निर्वाचन अर्जी द्वारा ही प्रश्नगत किया जा सकता है। यानि कि निर्वाचन को समाप्त करने के लिए वाद नहीं लाया जा सकता है।
यहां जो निर्वाचन शब्द का इस्तेमाल किया गया है इससे वह सभी प्रक्रिया है जिसकी समाप्ति किसी अभ्यर्थी को निर्वाचित घोषित करने में होती है। यह केवल अंतिम परिणाम तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इसके अलावा भी विषय हो सकते हैं जैसे कि निर्वाचन नामावली का सही नहीं होना।
कुल मिलाकर, भारतीय संविधान का यह प्रावधान चुनावी मामलों में हस्तक्षेप करने की न्यायपालिका की शक्तियों को सीमित करता है और ऐसे मामलों को विनियमित करने के लिए उचित कानून को अधिकार देने का प्रयास करता है।
तो यही है अनुच्छेद 329 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ चुनावी पद्धति के प्रकार (Types of Electoral System) ◾ आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) : Concept |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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Question 1: Article 329 of the Indian Constitution deals with:
(a) The power of the Union Government to levy surcharges on the taxes levied by the State Governments
(b) The power of the State Governments to levy taxes on goods and services
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) The bar to interference by courts in electoral matters
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Question 2: The purpose of Article 329 of the Indian Constitution is to:
(a) Protect the independence of the Election Commission
(b) Ensure that elections are conducted in a fair and impartial manner
(c) Prevent frivolous election petitions from being filed
(d) All of the above
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |