यह लेख Article 328 (अनुच्छेद 328) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 328 (Article 328) – Original
भाग 15 [निर्वाचन] |
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328. किसी राज्य के विधान-मंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की उस विधान-मंडल की शक्ति— इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए और जहां तक संसद् इस निमित्त उपबंध नहीं करती है वहां तक, किसी राज्य का विधान-मंडल समय-समय पर, विधि द्वारा, उस राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिए निर्वाचनों से संबंधित या संसक्त सभी विषयों के संबंध में, जिनके अंतर्गत निर्वाचक-नामावली तैयार कराना और ऐसे सदन या सदनों का सम्यक् गठन सुनिश्चित करने के लिए अन्य सभी आवश्यक विषय हैं, उपबंध कर सकेगा। |
Part XV [Elections] |
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328. Power of Legislature of a State to make provision with respect to elections to such Legislature— Subject to the provisions of this Constitution and in so far as provision in that behalf is not made by Parliament, the Legislature of a State may from time to time by law make provision with respect to all matters relating to, or in connection with, the elections to the House or either House of the Legislature of the State including the preparation of electoral rolls and all other matters necessary for securing the due constitution of such House or Houses. |
🔍 Article 328 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 15, अनुच्छेद 324 से लेकर अनुच्छेद 329 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग निर्वाचन (Elections) के बारे में है। भारत का चुनाव आयोग (ECI) एक स्वायत्त और स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जो भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित करने और संचालित करने के लिए जिम्मेदार है। इसकी स्थापना हमारे देश की चुनावी प्रक्रिया के प्रबंधन के लक्ष्य के साथ 25 जनवरी 1950 को की गई थी। ECI राष्ट्रपति से लेकर राज्य विधान सभा तक के चुनावों की देखरेख का प्रभारी है।
इस भाग के अंतर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों को सम्मिलित किया गया है;
- चुनाव आयोग (Election Commission)
- वयस्क मताधिकार की व्यवस्था (adult suffrage system)
- निर्वाचन के मामले में न्यायालय का हस्तक्षेप न होना (non-interference of the court in the matter of election)
- विधान मंडलों के निर्वाचन के मामले में संसद द्वारा कानून बनाने का प्रावधान (Provision for Parliament to make laws in the matter of elections to the Legislatures); इत्यादि।
इस लेख में हम अनुच्छेद 328 को समझने वाले हैं;
⚫ ◾ राजनीतिक दल (Political Party): क्या क्यों, कब और कैसे? |
| अनुच्छेद 328 – किसी राज्य के विधान-मंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की उस विधान-मंडल की शक्ति (Power of Legislature of a State to make provision with respect to elections to such Legislature)
अनुच्छेद 328 के तहत किसी राज्य के विधान-मंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की उस विधान-मंडल की शक्ति के बारे में बात की गई है। यह अनुच्छेद अपने पिछले अनुच्छेद (अनुच्छेद 327) का ही विस्तार है।
अनुच्छेद 328 के तहत कहा गया है कि इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए और जहां तक संसद् इस निमित्त उपबंध नहीं करती है वहां तक, किसी राज्य का विधान-मंडल समय-समय पर, विधि द्वारा, उस राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिए निर्वाचनों से संबंधित या संसक्त सभी विषयों के संबंध में, जिनके अंतर्गत निर्वाचक-नामावली तैयार कराना और ऐसे सदन या सदनों का सम्यक् गठन सुनिश्चित करने के लिए अन्य सभी आवश्यक विषय हैं, उपबंध कर सकेगा।
अनुच्छेद 327 के तहत हमने समझा था कि यह अनुच्छेद संसद को चुनाव से संबंधित मामलों पर कानून बनाने का व्यापक अधिकार देता है, इस अधिकार में मतदाता सूची (पात्र मतदाताओं की सूची), निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन (किसी क्षेत्र को चुनावी जिलों में विभाजित करने की प्रक्रिया) और संबंधित अन्य मामले की तैयारी शामिल है।
जिस तरह से यह अनुच्छेद संसद की शक्ति से संबंधित है उसी तरह से अनुच्छेद 328 राज्य विधानमंडलों की शक्ति से संबंधित है। हालांकि विधानमंडल की यह शक्ति कुछ शर्तों के अधीन है;
अनुच्छेद 328 में कहा गया है कि राज्य विधानसभाएं विधान सभा के चुनावों से संबंधित कानून बना सकती हैं। लेकिन तब तक, जब तक कि वे कानून संविधान के प्रावधानों के अनुरूप हों और जब तक ऐसे कानून पहले से ही संसद द्वारा नहीं बनाए गए हों।
कहने का अर्थ है कि अगर चुनाव से संबंधित किसी विषय पर पहले से ही संसद ने कानून बना रखा है तो फिर विधानमंडल वो कानून नहीं बना सकता है।
यहां यह याद रखिए कि विधानमंडल की कानून बनाने की शक्तियों में मतदाता सूची की तैयारी शामिल है, और कोई भी अन्य मामले जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं कि विधान सभा का उचित गठन हो।
यानि कि परिसीमन (Delimitation) का काम राज्य विधानमंडल नहीं कर सकती है। परिसीमन (Delimitation) के कॉन्सेप्ट को विस्तार से समझने के लिए दिये गए लेख को अवश्य पढ़ें; Delimitation (परिसीमन): अर्थ व आयोग [Concept]↗
कुल मिलाकर, यह प्रावधान इसीलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य विधानमंडलों को यह तय करने में कुछ स्वायत्तता प्रदान करता है कि उनकी विधान सभाओं के चुनाव कैसे आयोजित किए जाएं। हालाँकि, वो बात अलग है कि यह स्वायत्तता पूर्ण नहीं है, क्योंकि राज्य के कानून संविधान के प्रावधानों से संगत होने चाहिए, और संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के साथ टकराव नहीं होना चाहिए।
तो यही है अनुच्छेद 328 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ चुनावी पद्धति के प्रकार (Types of Electoral System) ◾ आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) : Concept |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 328 of the Indian Constitution deals with:
(a) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(b) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) The power of the Legislature of a State to make provision with respect to all matters relating to, or in connection with, the elections to the House or either House of the Legislature of the State
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Question 2: The power of the Legislature of a State under Article 328 of the Indian Constitution is subject to the following restrictions:
(a) The Legislature of a State cannot make any provisions that are inconsistent with the provisions of the Constitution
(b) The Legislature of a State must consult with the Election Commission before making any provisions
(c) The Legislature of a State cannot make any provisions that are discriminatory
(d) All of the above
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |