यह लेख Article 316 (अनुच्छेद 316) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं; |
📜 अनुच्छेद 316 (Article 316) – Original
भाग 14 [संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं] अध्याय 2 – लोक सेवा आयोग |
---|
316. सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि— (1) लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति, यदि वह संघ आयोग या संयुक्त आयोग है तो, राष्ट्रपति द्वारा और, यदि वह राज्य आयोग है तो, राज्य के राज्यपाल 1** द्वारा की जाएगी ; परंतु प्रत्येक लोक सेवा आयोग के सदस्यों में से यथाशक्य निकटतम आधे ऐसे व्यक्ति होंगे जो अपनी-अपनी नियुक्ति की तारीख पर भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कम से कम दस वर्ष तक पद धारण कर चुके हैं और उक्त दस वर्ष की अवधि की संगणना करने में इस संविधान के प्रारंभ से पहले की ऐसी अवधि भी सम्मिलित की जाएगी जिसके दौरान किसी व्यक्ति ने भारत में क्राउन के अधीन या किसी देशी राज्य की सरकार के अधीन पद धारण किया है। 1[(1क) यदि आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है या यदि कोई ऐसा अध्यक्ष अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारण से अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है तो, यथास्थिति, जब तक रिक्त पद पर खंड (1) के अधीन नियुक्त कोई व्यक्ति उस पद का कर्तव्य भार ग्रहण नहीं कर लेता है या जब तक अध्यक्ष अपने कर्तव्यों को फिर से नहीं संभाल लेता है तब तक आयोग के अन्य सदस्यों में से ऐसा एक सदस्य, जिसे संघ आयोग या संयुक्त आयोग की दशा में राष्ट्रपति और राज्य आयोग की दशा में उस राज्य का राज्यपाल इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, उन कर्तव्यों का पालन करेगा।] (2) लोक सेवा आयोग का सदस्य, अपने पद ग्रहण की तारीख से छह वर्ष की अवधि तक या संघ आयोग की दशा में पैंसठ वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक और राज्य आयोग या संयुक्त आयोग की दशा में 2[बासठ वर्ष] की आयु प्राप्त कर लेने तक इनमें से जो भी पहले हो, अपना पद धारण करेगा: परंतु – (क) लोक सेवा आयोग का कोई सदस्य, संघ आयोग या संयुक्त आयोग की दशा में राष्ट्रपति को और राज्य आयोग की दशा में राज्य के राज्यपाल 3*** को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा ; (ख) लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य को, अनुच्छेद 317 के खंड (1) या खंड (3) में उपबंधित रीति से उसके पद से हटाया जा सकेगा। (3) कोई व्यक्ति जो लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में पद धारण करता है, अपनी पदावधि की समाप्ति पर उस पद पर पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा। |
Part XIV [SERVICES UNDER THE UNION AND THE STATES] CHAPTER II.— PUBLIC SERVICE COMMISSIONS |
---|
316. Appointment and term of office of members— (1) The Chairman and other members of a Public Service Commission shall be appointed, in the case of the Union Commission or a Joint Commission, by the President, and in the case of a State Commission, by the Governor of the State: Provided that as nearly as may be one-half of the members of every Public Service Commission shall be persons who at the dates of their respective appointments have held office for at least ten years either under the 1[(1A) If the office of the Chairman of the Commission becomes vacant or if any such Chairman is by reason of absence or for any other reason unable to perform the duties of his office, those duties shall, until some person appointed under clause (1) to the vacant office has entered on the duties thereof or, as the case may be, until the Chairman has resumed his duties, be performed by such one of the other members of the Commission as the President, in the case of the Union Commission or a Joint Commission, and the Governor of the State in the case of a State Commission, may appoint for the purpose.] (2) A member of a Public Service Commission shall hold office for a term of six years from the date on which he enters upon his office or until he attains, in the case of the Union Commission, the age of sixty-five years, and in Provided that— (3) A person who holds office as a member of a Public Service Commission shall, on the expiration of his term of office, be ineligible for reappointment to that office. |
🔍 Article 316 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 14, अनुच्छेद 308 से लेकर अनुच्छेद 323 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं (SERVICES UNDER THE UNION AND THE STATES) के बारे में है। जो कि दो अध्याय में बंटा हुआ है जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapters | Subject | Articles |
---|---|---|
I | सेवाएं (Services) | 308 – 314 |
II | लोक सेवा आयोग (Public Services Commissions) | 315 – 323 |
इस लेख में हम दूसरे अध्याय “लोक सेवा आयोग (Public Services Commissions) ” के तहत आने वाले अनुच्छेद 316 को समझने वाले हैं;
⚫ संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) |
| अनुच्छेद 316 – सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि (Appointment and term of office of members)
अनुच्छेद 316 के तहत संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग (Public Service Commissions for the Union and for the States) की व्यवस्था की है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 3 खंड आते हैं;
Article 316 Clause 1 Explanation
अनुच्छेद 316 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति, यदि वह संघ आयोग या संयुक्त आयोग है तो, राष्ट्रपति द्वारा और, यदि वह राज्य आयोग है तो, राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी ;
यहां तीन बातें हैं;
1) संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा;
2) संयुक्त लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा;
3) राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा किया जाएगा।
हालांकि यहां यह याद रखिए कि प्रत्येक लोक सेवा आयोग के सदस्यों में से लगभग आधे ऐसे व्यक्ति होंगे जो अपनी-अपनी नियुक्ति की तारीख पर भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कम से कम दस वर्ष तक पद धारण कर चुके हैं।
और उक्त दस वर्ष की अवधि की गणना करने में इस संविधान के प्रारंभ से पहले की ऐसी अवधि भी सम्मिलित की जाएगी जिसके दौरान किसी व्यक्ति ने भारत में क्राउन के अधीन या किसी देशी राज्य की सरकार के अधीन पद धारण किया है।
◾ यहां यह भी याद रखें कि यदि आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है या यदि कोई ऐसा अध्यक्ष अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारण से अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है तो, यथास्थिति, जब तक रिक्त पद पर खंड (1) के अधीन नियुक्त कोई व्यक्ति उस पद का कर्तव्य भार ग्रहण नहीं कर लेता है तब तक आयोग के अन्य सदस्यों में से ऐसा एक सदस्य,उन कर्तव्यों का पालन करेगा; जिसे कि संघ आयोग या संयुक्त आयोग की दशा में राष्ट्रपति और राज्य आयोग की दशा में उस राज्य का राज्यपाल इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे;
Article 316 Clause 2 Explanation
अनुच्छेद 316 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि लोक सेवा आयोग का सदस्य, अपने पद ग्रहण की तारीख से छह वर्ष की अवधि तक या संघ आयोग की दशा में पैंसठ वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक और राज्य आयोग या संयुक्त आयोग की दशा में बासठ वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक इनमें से जो भी पहले हो, अपना पद धारण करेगा;
कहने का अर्थ है कि संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य छह वर्षों तक या फिर पैंसठ वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) अपना पद धारण करेगा। वहीं राज्य आयोग या संयुक्त राज्य आयोग के सदस्य छह वर्षों तक या फिर बासठ वर्ष की आयु तक ( जो भी पहले हो) पद धारण करेगा।
हालांकि यहां पर दो बातें याद रखिए;
(1) संघ लोक सेवा आयोग, या संयुक्त आयोग का कोई सदस्य राष्ट्रपति को और राज्य आयोग का कोई सदस्य राज्य के राज्यपाल को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा ;
(1) लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य को, अनुच्छेद 317 के खंड (1) या खंड (3) में उपबंधित रीति से उसके पद से हटाया जा सकेगा। अनुच्छेद 317 में कौन सा तरीका है; यह जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
Article 316 Clause 3 Explanation
अनुच्छेद 316 के खंड (3) के तहत कहा गया है कि कोई व्यक्ति जो लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में पद धारण करता है, अपनी पदावधि की समाप्ति पर उस पद पर पुनर्नियुक्ति (re-appointment) का पात्र नहीं होगा।
तो यही है अनुच्छेद 316 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 316 of the Indian Constitution deals with:
(a) The appointment and term of office of members of a Public Service Commission
(b) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(c) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(d) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
Click to Answer
Question 2: The term of office of a member of a Public Service Commission is:
(a) Five years
(b) Six years
(c) Seven years
(d) Eight years
Click to Answer
Question 3: A member of a Public Service Commission can resign from their office by writing to:
(a) The President, in the case of the Union Commission or a Joint Commission
(b) The Chief Justice of High court of the State, in the case of a State Commission
(c) The Cabinet, in the case of the Joint Commission
(d) None of the Above
Click to Answer
Question 4: A member of a Public Service Commission can be removed from their office for:
(a) Misconduct
(b) Inefficiency
(c) Negligence
(d) All of the above
Click to Answer
| Related Article
⚫ अनुच्छेद 317 – भारतीय संविधान |
⚫ अनुच्छेद 315 – भारतीय संविधान |
⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |