यह लेख Article 313 (अनुच्छेद 313) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं; |
📜 अनुच्छेद 313 (Article 313) – Original
भाग 14 [संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं] अध्याय 1 – सेवाएं |
---|
313. संक्रमणकालीन उपबंध— जब तक इस संविधान के अधीन इस निमित्त अन्य उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी सभी विधियां जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले प्रवृत्त हैं और किसी ऐसी लोक सेवा या किसी ऐसे पद को, जो इस संविधान के प्रारंभ के पश्चात् अखिल भारतीय सेवा के अथवा संघ या किसी राज्य के अधीन सेवा या पद के रूप में बना रहता है, लागू हैं वहां तक प्रवृत्त बनी रहेंगी जहां तक वे इस संविधान के उपबंधों से संगत है। 314. [कुछ सेवाओं के विद्यमान अधिकारियों के संरक्षण के लिए उपबंध।]— संविधान (अद्वाईसवां संशोधन) अधिनियम, 1972 की धारा 3 द्वारा (29-8-1972 से) निरसित। |
Part XIV [SERVICES UNDER THE UNION AND THE STATES] CHAPTER I — SERVICES |
---|
313. Transitional provisions— Until other provision is made in this behalf under this Constitution, all the laws in force immediately before the commencement of this Constitution and applicable to any public service or any post which continues to exist after the commencement of this Constitution, as an all-India service or as service or post under the Union or a State shall continue in force so far as consistent with the provisions of this Constitution. 314. [Provision for protection of existing officers of certain services.].— Omitted by the Constitution (Twenty-eighth Amendment) Act, 1972, s. 3 (w.e.f. 29-8-1972). |
🔍 Article 313 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 14, अनुच्छेद 308 से लेकर अनुच्छेद 323 तक में विस्तारित है जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं (SERVICES UNDER THE UNION AND THE STATES) के बारे में है। जो कि दो अध्याय में बंटा हुआ है जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapters | Subject | Articles |
---|---|---|
I | सेवाएं (Services) | 308 – 314 |
II | लोक सेवा आयोग (Public Services Commissions) | 315 – 323 |
इस लेख में हम पहले अध्याय “सेवाएं (Services)” के तहत आने वाले अनुच्छेद 313 को समझने वाले हैं;
⚫ संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) |
| अनुच्छेद 313 – संक्रमणकालीन उपबंध (Transitional provisions)
Article 312 के तहत अखिल भारतीय सेवाएं (All-India services) का वर्णन है। अनुच्छेद 313 के तहत संक्रमणकालीन उपबंध (Transitional provisions) की व्यवस्था की है।
अनुच्छेद 313 के तहत कहा गया है कि जब तक इस संविधान के अधीन इस निमित्त अन्य उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी सभी विधियां जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले प्रवृत्त हैं और किसी ऐसी लोक सेवा या किसी ऐसे पद को, जो इस संविधान के प्रारंभ के पश्चात् अखिल भारतीय सेवा के अथवा संघ या किसी राज्य के अधीन सेवा या पद के रूप में बना रहता है, लागू हैं वहां तक प्रवृत्त बनी रहेंगी जहां तक वे इस संविधान के उपबंधों से संगत है।
अनुच्छेद 313 यह सुनिश्चित करता है कि संविधान लागू होने से पहले मौजूद सभी कानून लोक सेवकों और उनके पदों पर लागू होते रहेंगे, जब तक कि वे संविधान के साथ टकराव में न हों।
नए कानूनी ढांचे में परिवर्तन के दौरान निरंतरता और स्थिरता प्रदान करने के लिए यह प्रावधान आवश्यक था।
दायरा: अनुच्छेद 313 संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले लागू सभी कानूनों पर लागू होता है, जिसमें सार्वजनिक सेवाओं और पदों से संबंधित कानूनी प्रावधानों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।
उद्देश्य: अनुच्छेद 313 का प्राथमिक उद्देश्य नई संवैधानिक व्यवस्था में परिवर्तन के दौरान निरंतरता बनाए रखना और कानूनी व्यवधानों को रोकना है। यह सुनिश्चित करता है कि संविधान के तहत नए प्रावधान लागू होने तक लोक सेवक मौजूदा कानूनों द्वारा शासित होते रहेंगे।
अनुच्छेद 313 में कहा गया है कि पहले से मौजूद कानून संविधान के प्रावधानों के अनुरूप होने चाहिए। यदि पहले से मौजूद कानून और संविधान के बीच कोई टकराव उत्पन्न होता है, तो संविधान ही मान्य होगा।
संक्रमणकालीन प्रावधान: अनुच्छेद 313 एक संक्रमणकालीन प्रावधान है, जिसका अर्थ है कि इसे संविधान के कार्यान्वयन की प्रारंभिक अवधि के दौरान अस्थायी रूप से लागू होना था। एक बार जब संविधान के तहत नए कानून बन जाते हैं, तो अनुच्छेद 313 की प्रासंगिकता कम हो जाती है।
तो यही है अनुच्छेद 313 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अनुच्छेद 314 की बात करें तो उसे संविधान (अट्ठाईसवां संशोधन) अधिनियम 1972 की मदद से खत्म कर दिया गया है हालांकि इसकी चर्चा अनुच्छेद 312A में एक विशेष संदर्भ में किया गया है तो ज्यादा जानकारी के लिए आप इसे पढ़ सकते हैं;
[कुछ सेवाओं के विद्यमान अधिकारियों के संरक्षण के लिए उपबंध।]— संविधान (अद्वाईसवां संशोधन) अधिनियम, 1972 की धारा 3 द्वारा (29-8-1972 से) निरसित।
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 313 of the Indian Constitution deals with:
(a) The power of the Union Government to levy surcharges on the taxes levied by the State Governments
(b) The power of the State Governments to levy taxes on goods and services
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) Transitional provisions relating to the continuance of existing laws and provisions after the commencement of the Constitution
Click to Answer
Question 2: The purpose of Article 313 of the Indian Constitution is to:
(a) Ensure that the existing laws and provisions are not disrupted when the Constitution comes into force
(b) Give the government time to make new laws and provisions
(c) Protect the rights of existing public servants
(d) All of the above
Click to Answer
Question 3: Article 313 of the Indian Constitution is a transitional provision because it:
(a) Applies only to a specific period of time
(b) Is intended to be replaced by other provisions of the Constitution
(c) Is not a fundamental right
(d) All of the above
Click to Answer
| Related Article
⚫ अनुच्छेद 315 – भारतीय संविधान |
⚫ अनुच्छेद 312 – भारतीय संविधान |
⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |