Article 307 of the Constitution | अनुच्छेद 307 व्याख्या

यह लेख Article 307 (अनुच्छेद 307) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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Article 307 अनुच्छेद 307

📜 अनुच्छेद 307 (Article 307) – Original

भाग 13 [भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम]
307. अनुच्छेद 301 से अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए प्राधिकारी की नियुक्ति — संसद्‌ द्वारा, ऐसे प्राधिकारी की नियुक्ति कर सकेगी जो वह अनुच्छेद 301, अनुच्छेद 302, अनुच्छेद 303 और अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए समुचित समझे और इस प्रकार नियुक्त प्राधिकारी को ऐसी शक्तियां प्रदान कर सकेगी और ऐसे कर्तव्य सौंप सकेगी जो वह आवश्यक समझे।
अनुच्छेद 307 हिन्दी संस्करण

Part XIII [TRADE, COMMERCE AND INTERCOURSE WITHIN THE TERRITORY OF INDIA]
307. Appointment of authority for carrying out the purposes of articles 301 to 304—Parliament may by law appoint such authority as it considers appropriate for carrying out the purposes of articles 301, 302, 303 and 304, and confer on the authority so appointed such powers and such duties as it thinks necessary.
Article 307 English Version

🔍 Article 307 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 13, अनुच्छेद 301 से लेकर अनुच्छेद 307 तक में विस्तारित है। जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम (TRADE, COMMERCE AND INTERCOURSE WITHIN THE
TERRITORY OF INDIA) के बारे में है।

संविधान के इस भाग केअंतर्गत कुल 7 अनुच्छेद आते हैं जिसमें से एक अनुच्छेद (अनुच्छेद 306) को निरसित (Repealed) कर दिया गया है। यानि कि अभी भाग 13 में 6 वर्किंग अनुच्छेद है। इस लेख में हम अनुच्छेद 307 को समझने वाले हैं;

केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations)
Closely Related to Article 307

| अनुच्छेद 307 – अनुच्छेद 301 से अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए प्राधिकारी की नियुक्ति (Appointment of authority for carrying out the purposes of articles 301 to 304)

Article 307 के तहत अनुच्छेद 301 से ‘अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए प्राधिकारी की नियुक्ति का वर्णन है।

अनुच्छेद 307 के तहत कहा गया है कि संसद्‌ द्वारा, ऐसे प्राधिकारी की नियुक्ति कर सकेगी जो वह अनुच्छेद 301, अनुच्छेद 302, अनुच्छेद 303 और अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए समुचित समझे और इस प्रकार नियुक्त प्राधिकारी को ऐसी शक्तियां प्रदान कर सकेगी और ऐसे कर्तव्य सौंप सकेगी जो वह आवश्यक समझे।

अनुच्छेद 307 के तहत संसद विधि द्वारा, ऐसे प्राधिकारी की नियुक्ति कर सकता है जो कि अनुच्छेद 301, 302, 303 और 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए उपयुक्त हो।

कहने का अर्थ है कि संसद के पास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 301 से अनुच्छेद 304 में उल्लिखित सभी उद्देश्यों को विनियमित करने और पूरा करने के लिए कानूनी रूप से एक प्राधिकारी नियुक्त करने का अधिकार है।

साथ ही इस अनुच्छेद में यह भी व्यवस्था किया गया है कि यदि संसद अनिवार्य समझती है तो ऐसे प्राधिकारियों को शक्तियां प्रदान कर सकती है, ऐसी शक्तियां जो वह ठीक समझें;

तो यही है अनुच्छेद 307 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Article 301 of the Constitution | अनुच्छेद 301 व्याख्या
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Chapter Wise Polity Quiz

केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 8
  2. Passing Marks – 75 %
  3. Time – 6 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।



1 / 8

ऋण को ध्यान में रखकर दिए गए कथनों में से सही कथन की पहचान करें।

  1. अनुच्छेद 291 के तहत, केंद्र अगर चाहे तो भारत या भारत के बाहर से संचित निधि की गारंटी पर ऋण ले सकता है।
  2. अगर कोई राज्य भारत में कहीं से ऋण लेता है तो वो अनुच्छेद 293(1) के तहत ले सकता है
  3. अनुच्छेद 292(2) के तहत, केंद्र सरकार भी राज्यों को ऋण दे सकती है।
  4. अगर राज्य के ऊपर पहले से ही बकाया ऋण हो तो राज्य फिर से दूसरा ऋण केंद्र की अनुमति के बिना नहीं ले सकता।



2 / 8

अनुदान के संबंध में केंद्र-राज्य संबंध को ध्यान में रखते हुए कौन सा कथन सही है?

  1. अनुच्छेद 276 ये कहता है कि जब भी किसी राज्य को अनुदान की आवश्यकता हो केंद्र उसे अनुदान उपलब्ध कराये।
  2. अनुच्छेद 275 विधिक अनुदान की बात करता है।
  3. विवेकाधीन अनुदान की चर्चा अनुच्छेद 282 के तहत की गई है।
  4. विधिक अनुदान, भारत की संचित निधि पर भारित होती है।



3 / 8

अनुच्छेद 268 के संबंध में इनमें से कौन सा कथन गलत है?

  1. इस अनुच्छेद के अंतर्गत आनेवाले कर (Tax) राज्य के खाते में जाता है।
  2. विनिमय पत्रों, चेकों, वादा नोटों एवं बीमा तथा शेयरों के अंतरण इसके तहत करों के विषय है।
  3. एल्कोहल इसी के तहत एक विषय है जिसे कि 2020 में जीएसटी के दायरे में लाया गया।
  4. 88वां संविधान संशोधन 2003 से इसमें संशोधन करके ‘सेवा कर’ लाया गया जो कि आज भी इसके तहत चल रहा है।



4 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथनों का चुनाव करें।

  1. वित्त आयोग अनुच्छेद 280 के तहत एक अर्ध-न्यायिक निकाय है।
  2. अनुच्छेद 271 के तहत अधिभार (surcharge) लगाया जाता है।
  3. सेस जिस काम के लिए लगाया जाता है उसी काम में इसे खर्च करना पड़ता है।
  4. अनुच्छेद 246 और अनुच्छेद 254 में किसी बात के होते हुए भी, संसद को, संघ द्वारा या राज्य द्वारा लगाए गए जीएसटी के संबंध में विधियाँ बनाने की शक्ति होगी।



5 / 8

दिए गए कथनों पर विचार करें एवं सही कथनों का चुनाव करें।

  1. अनुच्छेद 269 अंतर्राज्यीय व्यापार और वाणिज्य में क्रय-विक्रय से संबन्धित कर के बारे में बताता है।
  2. अनुच्छेद 269’क’ अंतर्राज्यिक व्यापार या वाणिज्य के दौरान वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी भारत सरकार द्वारा उद्गृहित और संगृहीत किया जाएगा।
  3. अनुच्छेद 269’क’ के तहत व्यवस्था को IGST कहा जाता है।
  4. अनुच्छेद 269 के तहत अधिभार (Surcharge) की बात कही गई है।



6 / 8

करों के बँटवारे के संबंध में इनमें से कौन सा कथन सत्य है?

  1. संघ सूची के विषय संख्या 82, 83 एवं 84 पर केंद्र कर लगाता है।
  2. राज्य सूची के विषय संख्या 46, 51, 53 एवं 54 पर राज्य कर लगाता है।
  3. समवर्ती सूची के विषय संख्या 43, 44 और 47 पर केंद्र और राज्य दोनों कर लगाता है।
  4. तीनों सूचियों के बाहर के किसी विषय पर केंद्र और राज्य दोनों मिलकर टैक्स लगाता है।



7 / 8

वित्तीय संबंध के बारे में इनमें से कौन सा कथन सत्य है?



8 / 8

दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें।

  1. राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति चाहे तो वित्तीय अंतरण (Financial transfer) को कम कर सकता है।
  2. वित्तीय आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति राज्य की सेवा में लगे कर्मचारियों के वेतन और भत्ते कम कर सकता है।
  3. अनुच्छेद 286 के तहत, केंद्र की सम्पत्ति को राज्य के सभी करों से छूट मिलेगी।
  4. अनुच्छेद 289 के तहत, राज्य की परिसंपत्तियों या आय को केन्द्रीय करों से छूट प्राप्त है।



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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।