Article 303 of the Constitution | अनुच्छेद 303 व्याख्या

यह लेख Article 303 (अनुच्छेद 303) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 303 (Article 303) – Original

भाग 13 [भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम]
303. व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बंधन— (1) अनुच्छेद 302 में किसी बात के होते हुए भी, सातवीं अनुसूची की सूचियों में से किसी में व्यापार और वाणिज्य संबंधी किसी प्रविष्टि के आधार पर, संसद्‌ को या राज्य के विधान-मंडल को, कोई ऐसी विधि बनाने की शक्ति नहीं होगी जो एक राज्य को दूसरे राज्य से अधिमान देती है या दिया जाना प्राधिकृत करती है अथवा एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच कोई विभेद करती है या किया जाना प्राधिकृत करती है ।

(2) खंड (1) की कोई बात संसद्‌ को कोई ऐसी विधि बनाने से नहीं रोकेगी जो कोई ऐसा अधिमान देती है या दिया जाना प्राधिकृत करती है अथवा कोई ऐसा विभेद करती है या किया जाना प्राधिकृत करती है, यदि ऐसी विधि द्वारा यह घोषित किया जाता है कि भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में माल की कमी से उत्पन्न किसी स्थिति से निपटने के प्रयोजन के लिए ऐसा करना आवश्यक है ।

अनुच्छेद 303 हिन्दी संस्करण

Part XIII [TRADE, COMMERCE AND INTERCOURSE WITHIN THE TERRITORY OF INDIA]
303. Restrictions on the legislative powers of the Union and of the States with regard to trade and commerce— (1) Notwithstanding anything in article 302, neither Parliament nor the Legislature of a State shall have power
to make any law giving, or authorising the giving of, any preference to one State over another, or making, or authorising the making of, any discrimination between one State and another, by virtue of any entry relating to trade and commerce in any of the Lists in the Seventh Schedule.

(2) Nothing in clause (1) shall prevent Parliament from making any law giving, or authorising the giving of, any preference or making, or authorising the making of, any discrimination if it is declared by such law that it is
necessary to do so for the purpose of dealing with a situation arising from scarcity of goods in any part of the territory of India.

Article 303 English Version

🔍 Article 303 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 13, अनुच्छेद 301 से लेकर अनुच्छेद 307 तक में विस्तारित है। जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम (TRADE, COMMERCE AND INTERCOURSE WITHIN THE
TERRITORY OF INDIA) के बारे में है।

संविधान के इस भाग केअंतर्गत कुल 7 अनुच्छेद आते हैं जिसमें से एक अनुच्छेद (अनुच्छेद 306) को निरसित (Repealed) कर दिया गया है। यानि कि अभी भाग 13 में 6 वर्किंग अनुच्छेद है। इस लेख में हम अनुच्छेद 303 को समझने वाले हैं;

Article 302 of the Constitution | अनुच्छेद 302 व्याख्या
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| अनुच्छेद 303 – व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बंधन (Restrictions on the legislative powers of the Union and of the States with regard to trade and commerce)

Article 303 के तहत व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बंधन का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड आते हैं;

अनुच्छेद 303 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि अनुच्छेद 302 में किसी बात के होते हुए भी, सातवीं अनुसूची की सूचियों में से किसी में व्यापार और वाणिज्य संबंधी किसी प्रविष्टि के आधार पर, संसद्‌ को या राज्य के विधान-मंडल को, कोई ऐसी विधि बनाने की शक्ति नहीं होगी जो एक राज्य को दूसरे राज्य से अधिमान देती है या दिया जाना प्राधिकृत करती है अथवा एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच कोई विभेद करती है या किया जाना प्राधिकृत करती है ।

अनुच्छेद 302 के तहत कहा गया है कि संसद्‌ विधि द्वारा, एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग के भीतर व्यापार, वाणिज्य या समागम की स्वतंत्रता पर ऐसे निर्बंधन अधिरोपित कर सकेगी जो लोक हित में अपेक्षित हो।

अनुच्छेद 303 के खंड (1) में कहा गया है कि अनुच्छेद 302 में कुछ भी क्यों न कहा गया हो, सातवीं अनुसूची के तहत जो तीन सूचियां है उसमें जो व्यापार और वाणिज्य संबंधी विषय है, उन विषयों के आधार पर संसद को या राज्य विधानमंडल को ऐसी कोई विधि बनाने की शक्ति नहीं होगी जो कि एक राज्य को दूसरे राज्य की तुलना में प्राथमिकता दे या जिससे कि राज्यों के बीच भेदभाव की स्थिति बने।

अनुच्छेद 303 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि खंड (1) की कोई बात संसद्‌ को कोई ऐसी विधि बनाने से नहीं रोकेगी जो कोई ऐसा अधिमान देती है या दिया जाना प्राधिकृत करती है अथवा कोई ऐसा विभेद करती है या किया जाना प्राधिकृत करती है, यदि ऐसी विधि द्वारा यह घोषित किया जाता है कि भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में माल की कमी से उत्पन्न किसी स्थिति से निपटने के प्रयोजन के लिए ऐसा करना आवश्यक है।

खंड (1) तहत हमने समझा कि किस तरह से संसद को या राज्य विधानमंडल को 7वीं अनुसूची के विषयों पर एक राज्य के ऊपर किसी दूसरे राज्य को प्राथमिकता देने से रोका गया है या फिर भेदभाव करने वाले कानून बनाने से रोका गया है, लेकिन इस खंड के तहत सिर्फ संसद को यह विशेष शक्ति दी गई है कि वो ऐसी भेदभाव वाला कानून या एक राज्य को प्राथमिकता देने वाला कानून बना सकती है लेकिन तभी यदि भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में माल की कमी से उत्पन्न किसी स्थिति से निपटने के प्रयोजन के लिए ऐसा करना आवश्यक हो जाए।

तो यही है अनुच्छेद 303 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Article 302 of the Constitution | अनुच्छेद 302 व्याख्या
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Related MCQs with Explanation

Q. The aim of Article 303 is to:

A) Promote free trade and commerce without any restrictions.
B) Prevent discrimination against goods and services from one State in favor of another.
C) Empower State governments to impose restrictions on trade and commerce.
D) Establish a monopoly of trade and commerce in the hands of the Union government.




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Explanation: B) The aim of Article 303 is to prevent discrimination against goods and services from one State in favor of another, promoting free trade and commerce within the country.


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