यह लेख Article 300 (अनुच्छेद 300) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 300 (Article 300) – Original
भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 3 – संपति, संविदाएं अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं ऑर वाद |
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300. वाद और कार्यवाहियां— (1) भारत सरकार भारत संघ के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा और किसी राज्य की सरकार उस राज्य के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा और ऐसे उपबंधों के अधीन रहते हुए, जो इस संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों के आधार पर अधिनियमित संसद् के या ऐसे राज्य के विधान-मंडल के अधिनियम द्वारा किए जाएं, वे अपने-अपने कार्यकलाप के संबंध में उसी प्रकार वाद ला सकेंगे या उन पर उसी प्रकार वाद लाया जा सकेगा जिस प्रकार, यदि यह संविधान अधिनियमित नहीं किया गया होता तो, भारत डोमिनियन और तत्स्थानी प्रांत या तत्स्थानी देशी राज्य वाद ला सकते थे या उन पर वाद लाया जा सकता था। (2) यदि इस संविधान के प्रारंभ पर— (क) कोई ऐसी विधिक कार्यवाहियां लंबित हैं जिनमें भारत डोमिनियन एक पक्षकार है तो उन कार्यवाहियों में उस डोमिनियन के स्थान पर भारत संघ प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा ; और (ख) कोई ऐसी विधिक कार्यवाहियां लंबित हैं जिनमें कोई प्रांत या कोई देशी राज्य एक पक्षकार है तो उन कार्यवाहियों में उस प्रांत या देशी राज्य के स्थान पर तत्स्थानी राज्य प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा। |
Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 3 – PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS |
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300. Suits and proceedings— (1) The Government of India may sue or be sued by the name of the Union of India and the Government of a State may sue or be sued by the name of the State and may, subject to any provisions which may be made by Act of Parliament or of the Legislature of such State enacted by virtue of powers conferred by this Constitution, sue or be sued in relation to their respective affairs in the like cases as the Dominion of India and the corresponding Provinces or the corresponding Indian States might have sued or been sued if this Constitution had not been enacted. (2) If at the commencement of this Constitution— |
🔍 Article 300 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | वित्त (Finance) | Article 264 – 291 |
II | उधार लेना (Borrowing) | Article 292 – 293 |
III | संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) | Article 294 – 300 |
IV | संपत्ति का अधिकार (Rights to Property) | Article 300क |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।
संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;
- कर व्यवस्था (Taxation System)
- विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
- संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
- भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
- संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।
संविधान के इस भाग (भाग 12) का तीसरा अध्याय, संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) से संबंधित है। इस लेख में हम अनुच्छेद 300 को समझने वाले हैं;
⚫ केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations) |
| अनुच्छेद 300 – वाद और कार्यवाहियां (Suits and proceedings)
Article 300 के तहत वाद और कार्यवाहियां (Suits and proceedings) का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड आते हैं;
Article 300 Clause 1 Explanation
अनुच्छेद 300 के खंड (1) तहत कहा गया है कि भारत सरकार भारत संघ के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा और किसी राज्य की सरकार उस राज्य के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा और ऐसे उपबंधों के अधीन रहते हुए, जो इस संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों के आधार पर अधिनियमित संसद् के या ऐसे राज्य के विधान-मंडल के अधिनियम द्वारा किए जाएं, वे अपने-अपने कार्यकलाप के संबंध में उसी प्रकार वाद ला सकेंगे या उन पर उसी प्रकार वाद लाया जा सकेगा जिस प्रकार, यदि यह संविधान अधिनियमित नहीं किया गया होता तो, भारत डोमिनियन और तत्स्थानी प्रांत या तत्स्थानी देशी राज्य वाद ला सकते थे या उन पर वाद लाया जा सकता था।
भारत सरकार भारत संघ के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा इसी तरह से किसी राज्य की सरकार उस राज्य के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा।
यह काम ऐसे उपबंधों के अधीन रहते हुए होगा, जो इस संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों के आधार पर अधिनियमित संसद् के द्वारा या ऐसे राज्य के विधान-मंडल के अधिनियम द्वारा किए जाएं।
इस तरह से संघ एवं राज्य अपने-अपने कार्यकलाप के संबंध में उसी प्रकार वाद ला सकेंगे या उन पर उसी प्रकार वाद लाया जा सकेगा जिस प्रकार, यदि यह संविधान अधिनियमित नहीं किया गया होता तो, भारत डोमिनियन और उस समय के प्रांत या देशी राज्य वाद ला सकते थे या उन पर वाद लाया जा सकता था।
◾ भारतीय संविधान का अनुच्छेद 300 भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा या उसके विरुद्ध मुकदमों और कार्यवाही से संबंधित है। यह सरकार से जुड़े विवादों को शुरू करने और हल करने के लिए कानूनी प्रक्रिया स्थापित करता है और ऐसे मामलों में सरकार के अधिकारों और दायित्वों को निर्धारित करता है।
◾ याद रखिए कि संविधान का यही वह अनुच्छेद है जो कि भारत की राज्य की उपयुक्तता पर विचार करता है। कहने का अर्थ है कि अगर राज्य को उसकी गलतियों के लिए सजा देने की व्यवस्था नहीं की गई तो फिर राज्य निरंकुश हो जाएगा। जैसे कि राज्य द्वारा अगर मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो हम सीधे राज्य पर मुकदमा करते हैं। और उस मामले का नाम भी भारत संघ बनाम ……. होता है, या राज्य सरकार बनाम….. होता है।
उदाहरण के लिए अगर केशवानन्द भारती मामले को देखें तो इस मामले का पूरा नाम है – Kesavananda Bharati v. State of Kerala; यानि कि एक पक्ष केशवानन्द भारती है जबकि दूसरा पक्ष स्वयं राज्य है। इसी तरह से हम Laxmi vs. Union of India को देख सकते हैं जिसमें कि भारत सरकार स्वयं एक पक्षकार है क्योंकि उसी के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
तो हम समझ सकते हैं यह वो चीज़ है जो कि लोकतंत्र को व्यावहारिक एवं लोगों का तंत्र बनाता है। यही इस अनुच्छेद का मूल है, जो कहता है कि भारत सरकार भारत संघ के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा। यानि कि भारत सरकार जब किसी पर मुकदमा करता है या भारत सरकार पर कोई मुकदमा करता है तो वो भारत संघ (Union of India) के नाम पर होता है। यही व्यवस्था राज्यों पर भी लागू होता है।
Article 300 Clause 2 Explanation
अनुच्छेद 300 के खंड (2) तहत दो व्यवस्थाएं की गई है;
पहला) यदि इस संविधान के प्रारंभ पर कोई ऐसी विधिक कार्यवाहियां लंबित हैं जिनमें भारत डोमिनियन एक पक्षकार है तो उन कार्यवाहियों में उस डोमिनियन के स्थान पर भारत संघ प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा ; और
दूसरा) यदि इस संविधान के प्रारंभ पर कोई ऐसी विधिक कार्यवाहियां लंबित हैं जिनमें कोई प्रांत या कोई देशी राज्य एक पक्षकार है तो उन कार्यवाहियों में उस प्रांत या देशी राज्य के स्थान पर तत्स्थानी राज्य प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा।
आजादी के पहले भारत डोमिनियन (संघ के स्तर पर) और प्रांत या देशी राज्य (राज्य के स्तर पर) किसी मामले में एक पक्षकार हुआ करता था लेकिन संविधान लागू होने के बाद चूंकि भारत डोमिनियन, भारत संघ बन गया और इसी तरह से प्रांत या देशी राज्य, राज्य (State) बन गया तो संविधान लागू होने से पहले जो इन पर कार्यवाही भारत डोमिनियन या प्रांत के नाम पर चल रहा था वो अब भारत संघ एवं राज्य के नाम से प्रतिस्थापित हो जाएगा।
Article 300 in Nutshell
अनुच्छेद 300 स्पष्ट करता है कि भारत सरकार और भारतीय संघ के भीतर राज्यों की सरकारों पर मुकदमा दायर किया जा सकता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300 में प्रावधान है कि भारत सरकार किसी भी अदालत में मुकदमा कर सकती है या उस पर मुकदमा दायर किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि सरकार किसी अन्य पार्टी के खिलाफ मुकदमा ला सकती है, या किसी अन्य पार्टी द्वारा उस पर मुकदमा किया जा सकता है।
इस सामान्य नियम के कुछ अपवाद हैं। उदाहरण के लिए, सरकार पर निम्नलिखित के लिए अदालत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता:
◾ सरकार की संप्रभु शक्तियों के प्रयोग से होने वाली क्षति।
◾ अपने आधिकारिक कर्तव्यों के दौरान सरकार द्वारा किया गया अत्याचार।
◾ सार्वजनिक लाभ के लिए सरकार द्वारा किए गए अनुबंध।
इन अपवादों का उद्देश्य सरकार को उन कार्यों के लिए मुकदमा चलाने से बचाना है जो वह सार्वजनिक हित में करती है।
तो यही है अनुच्छेद 300 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ https://wonderhindi.com/article-299/ |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 300 of the Indian Constitution deals with:
(a) The power of the Union Government to sue or be sued
(b) The power of the State Governments to sue or be sued
(c) The power of the Union Government to sue or be sued and the power of the State Governments to sue or be sued
(d) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
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Question 2: The Union Government can sue or be sued by the name of the Union of India.
(a) True
(b) False
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Question 3: Which article of the Indian Constitution considers the suitability of India for statehood?
(a) Article 100
(b) Article 200
(c) Article 300
(d) None
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |