यह लेख Article 298 (अनुच्छेद 298) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 298 (Article 298) – Original
भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 3 – संपति, संविदाएं अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं ऑर वाद |
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1[298. व्यापार करने, आदि की शक्ति— संघ की और प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, व्यापार या कारबार करने और किसी प्रयोजन के लिए संपत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन तथा संविदा करने पर, भी होगा: परंतु – (क) जहां तक ऐसा व्यापार या कारबार या ऐसा प्रयोजन वह नहीं है जिसके संबंध में संसद् विधि बना सकती है वहां तक संघ की उक्त कार्यपालिका शक्ति प्रत्येक राज्य में उस राज्य के विधान के अधीन होगी ; और (ख) जहां तक ऐसा व्यापार या कारबार या ऐसा प्रयोजन वह नहीं है जिसके संबंध में राज्य का विधान-मंडल विधि बना सकता है वहां तक प्रत्येक राज्य की उक्त कार्यपालिका शक्ति संसद् के विधान के अधीन होगी।] =================== |
Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 3 – PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS |
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1[298. Power to carry on trade, etc— The executive power of the Union and of each State shall extend to the carrying on of any trade or business and to the acquisition, holding and disposal of property and the making of contracts for any purpose: Provided that— |
🔍 Article 298 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | वित्त (Finance) | Article 264 – 291 |
II | उधार लेना (Borrowing) | Article 292 – 293 |
III | संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) | Article 294 – 300 |
IV | संपत्ति का अधिकार (Rights to Property) | Article 300क |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।
संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;
- कर व्यवस्था (Taxation System)
- विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
- संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
- भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
- संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।
संविधान के इस भाग (भाग 12) का तीसरा अध्याय, संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) से संबंधित है। इस लेख में हम अनुच्छेद 298 को समझने वाले हैं;
⚫ केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations) |
| अनुच्छेद 298 – व्यापार करने, आदि की शक्ति (Power to carry on trade, etc)
Article 298 के तहत व्यापार करने, आदि की शक्ति (Power to carry on trade, etc) का वर्णन है।
अनुच्छेद 298 के तहत कहा गया है कि संघ की और प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, व्यापार या कारबार करने और किसी प्रयोजन के लिए संपत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन तथा संविदा करने पर, भी होगा;
संघ और प्रत्येक राज्य की कार्यकारी शक्ति का विस्तार किसी भी व्यापार या व्यवसाय को चलाने और संपत्ति के अधिग्रहण, धारण और निपटान और किसी भी उद्देश्य के लिए अनुबंध (Contract) करने तक होगा:
हालांकि यह दो शर्तों के अधीन है;
पहला) संघ की उपरोक्त कार्यकारी शक्ति, प्रत्येक राज्य में राज्य द्वारा कानून के अधीन होगी, लेकिन वहां तक जहां तक ऐसे व्यापार या व्यवसाय या ऐसा उद्देश्य ऐसा नहीं है जिसके संबंध में संसद कानून बना सकती है, और
दूसरा) प्रत्येक राज्य की उक्त कार्यकारी शक्ति, जहां तक ऐसा व्यापार या व्यवसाय या ऐसा उद्देश्य ऐसा नहीं है जिसके संबंध में राज्य विधानमंडल कानून बना सकता है, संसद द्वारा कानून के अधीन होगी।
कुल मिलाकर भारतीय संविधान का अनुच्छेद 298 केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को व्यापार या व्यवसाय करने और संपत्ति का अधिग्रहण, धारण और निपटान करने और किसी भी उद्देश्य के लिए अनुबंध करने की शक्ति देता है।
इस शक्ति का प्रयोग कुछ सीमाओं के अधीन है। विशेष रूप से, केंद्र सरकार की कार्यकारी शक्ति राज्य कानून के अधीन है यदि व्यापार या व्यवसाय या उद्देश्य ऐसा नहीं है जिसके लिए संसद कानून बना सकती है।
इसी प्रकार, राज्यों की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रीय कानून के अधीन है यदि व्यापार या व्यवसाय या उद्देश्य ऐसा नहीं है जिसके लिए राज्य विधायिका कानून बना सकती है।
तो यही है अनुच्छेद 298 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 298 of the Indian Constitution deals with:
(a) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(b) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) The power of the Union Government and the State Governments to carry on any trade or business, acquire, hold, and dispose of property, and make contracts for any purpose
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Question 2: The power to carry on any trade or business under Article 298 of the Indian Constitution extends to:
(a) The establishment of commercial enterprises by the government
(b) The undertaking of economic activities by the government
(c) The provision of goods and services to the public by the government
(d) All of the above
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Question 3: The power to acquire, hold, and dispose of property under Article 298 of the Indian Constitution includes the power to:
(a) Purchase land and buildings
(b) Construct and maintain public infrastructure
(c) Enter into lease agreements
(d) All of the above
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Question 4: The power to make contracts under Article 298 of the Indian Constitution includes the power to:
(a) Enter into contracts for the supply of goods and services
(b) Enter into employment contracts
(c) Enter into loan agreements
(d) All of the above
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Question 5: Article 298 of the Indian Constitution is subject to any law made by the appropriate Legislature. This means that:
(a) The Parliament can restrict the powers granted under Article 298 by enacting laws
(b) The State Legislatures can restrict the powers granted under Article 298 by enacting laws
(c) Both the Parliament and the State Legislatures can restrict the powers granted under Article 298 by enacting laws
(d) All of the above
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |