Article 292 of the Constitution | अनुच्छेद 292 व्याख्या

यह लेख Article 292 (अनुच्छेद 292) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 292 (Article 292) – Original

भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 2 – उधार लेना
292. भारत सरकार द्वारा उधार लेना— संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, भारत की संचित निधि की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें संसद्‌ समय-समय पर विधि द्वारा नियत करे, उधार लेने तक और ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें इस प्रकार नियत किया जाए, प्रत्याभूति देने तक है ।
अनुच्छेद 292 हिन्दी संस्करण

Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 2 – BORROWING
292. Borrowing by the Government of India— The executive power of the Union extends to borrowing upon the security of the Consolidated Fund of India within such limits, if any, as may from time to time be fixed by Parliament by law and to the giving of guarantees within such limits, if any, as may be so fixed.
Article 292 English Version

🔍 Article 292 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iवित्त (Finance)Article 264 – 291
IIउधार लेना (Borrowing)Article 292 – 293
IIIसंपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS)294 – 300
IVसंपत्ति का अधिकार (Rights to Property)300क
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।

संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;

  • कर व्यवस्था (Taxation System)
  • विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
  • संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
  • भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
  • संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।

संविधान के इस भाग (भाग 12) का दूसरा अध्याय भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा उधार लेने से संबंधित है। इस लेख में हम अनुच्छेद 292 को समझने वाले हैं;

केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations)
Closely Related to Article 292

| अनुच्छेद 292 – भारत सरकार द्वारा उधार लेना (Borrowing by the Government of India)

Article 292 के तहत भारत सरकार द्वारा उधार लेना (Borrowing by the Government of India) का वर्णन है।

अनुच्छेद 292 के तहत कहा गया है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, भारत की संचित निधि की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें संसद्‌ समय-समय पर विधि द्वारा नियत करे, उधार लेने तक और ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें इस प्रकार नियत किया जाए, प्रत्याभूति देने तक है।

अनुच्छेद 292 के तहत, केंद्र अगर चाहे तो भारत या भारत के बाहर से संचित निधि की गारंटी पर ऋण ले सकता है। लेकिन संसद द्वारा निर्धारित सीमा के ऊपर ऋण नहीं लिया जा सकता।

इसका मतलब यह है कि केंद्र सरकार बांड या अन्य प्रतिभूतियां जारी करके बाजार से पैसा उधार ले सकती है। उधार की आय का उपयोग सरकार के व्यय को वित्तपोषित करने के लिए किया जाता है।

सरकार को भारत की संचित निधि की सुरक्षा पर धन उधार लेने के लिए संसद की सहमति आवश्यक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत की संचित निधि सरकार के राजस्व का मुख्य भंडार है। संसद को यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि सरकार जिम्मेदारी से पैसा उधार ले रही है और उधार लेने से राजकोषीय संकट पैदा नहीं होगा।

अनुच्छेद 292 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो सरकार को अपने खर्चों के वित्तपोषण के लिए धन उधार लेने की अनुमति देता है। यह प्रावधान आवश्यक है क्योंकि सरकार का राजस्व अक्सर उसके व्यय से मेल नहीं खाता है। पैसा उधार लेकर सरकार अपने राजस्व और व्यय के बीच के अंतर को पाटने में सक्षम हो पाता है।

तो यही है अनुच्छेद 292 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

Related MCQs with Explanation

Question 1: Article 292 of the Indian Constitution deals with:

(a) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(b) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) The borrowing powers of the Union Government




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Answer: (d) Explanation: Article 292 of the Indian Constitution deals with the borrowing powers of the Union Government. It states that the Union Government may borrow money from any source within or outside of India.


Question 2: The Union Government can borrow money for a variety of purposes, including:

(a) To finance its development programs
(b) To meet its revenue shortfall
(c) To pay off its existing debt
(d) All of the above




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Answer: (d) Explanation: The Union Government can borrow money for a variety of purposes, including to finance its development programs, to meet its revenue shortfall, and to pay off its existing debt.


Question 3: The Union Government’s borrowing powers are subject to certain restrictions. One such restriction is that the government cannot borrow money without the prior approval of the Parliament.

(a) True
(b) False




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Answer: True Explanation: The Union Government cannot borrow money without the prior approval of the Parliament. This restriction is intended to ensure that the government’s borrowing activities are transparent and accountable to the people.


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भारत की कार्यपालिका
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।