यह लेख Article 290A (अनुच्छेद 290क) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 290A (Article 290क) – Original
भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध) |
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1[290A. कुछ देवस्वम् निधियों को वार्षिक संदाय— प्रत्येक वर्ष छियालीस लाख पचास हजार रुपए की राशि केरल राज्य की संचित निधि पर भारित की जाएगी और उस निधि में से तिर्वांकुर देवस्वम् निधि को संदत्त की जाएगी और प्रत्येक वर्ष तेरह लाख पचास हजार रुपए की राशि 2[तमिलनाडु] राज्य की संचित निधि पर भारित की जाएगी और उस निधि में से 1 नवंबर, 1956 को उस राज्य को तिरुवांकुर-कोचीन राज्य से अंतरित राज्यक्षेत्रों के हिन्दू मंदिरों और पवित्र स्थानों के अनुरक्षण के लिए उस राज्य में स्थापित देवस्वम् निधि को संदत्त की जाएगी।] 291. [शासकों की निजी थैली की राशि।] – संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971 की धारा 2 द्वारा निरसित। |
Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (Miscellaneous Financial Provisions) |
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1[290A. Annual payment to certain Devaswom Funds— A sum of forty-six lakhs and fifty thousand rupees shall be charged on, and paid out of, the Consolidated Fund of the State of Kerala every year to the Travancore Devaswom Fund; and a sum of thirteen lakhs and fifty thousand rupees shall be charged on, and paid out of, the Consolidated Fund of the State of 2[Tamil Nadu] every year to the Devaswom Fund established in that State for the maintenance of Hindu temples and shrines in the territories transferred to that State on the 1st day of November, 1956, from the State of Travancore-Cochin.] 291. [Privy purse sums of Rulers.].—Omitted by the Constitution (Twenty-sixth Amendment) Act, 1971, s. 2 (w.e.f. 28-12-1971). |
🔍 Article 290A Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | वित्त (Finance) | Article 264 – 291 |
II | उधार लेना (Borrowing) | Article 292 – 293 |
III | संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) | 294 – 300 |
IV | संपत्ति का अधिकार (Rights to Property) | 300क |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।
संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;
- कर व्यवस्था (Taxation System)
- विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
- संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
- भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
- संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।
संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Sub-Chapters Title | Articles |
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साधारण (General) | Article 264 – 267 |
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) | Article 268 – 281 |
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) | 282 – 291* |
इस लेख में हम अनुच्छेद 290A को समझने वाले हैं; जो कि प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations) |
| Article 290A – कुछ देवस्वम् निधियों को वार्षिक संदाय (Annual payment to certain Devaswom Funds)
Article 290A के तहत कुछ देवस्वम् निधियों को वार्षिक संदाय (Annual payment to certain Devaswom Funds) का वर्णन है। यह अनुच्छेद मूल संविधान का भाग नहीं था बल्कि इसे 7वां संविधान संशोधन अधिनियम 1956 के तहत संविधान का हिस्सा बनाया गया था।
अनुच्छेद 290A के तहत कहा गया है कि प्रत्येक वर्ष छियालीस लाख पचास हजार रुपए की राशि केरल राज्य की संचित निधि पर भारित की जाएगी और उस निधि में से त्रावणकोर देवस्वम् निधि को भुगतान की जाएगी और प्रत्येक वर्ष तेरह लाख पचास हजार रुपए की राशि तमिलनाडु राज्य की संचित निधि पर भारित की जाएगी और उस निधि में से 1 नवंबर, 1956 को उस राज्य को त्रावणकोर-कोचीन राज्य से अंतरित राज्यक्षेत्रों के हिन्दू मंदिरों और पवित्र स्थानों के अनुरक्षण के लिए उस राज्य में स्थापित देवस्वम् निधि को भुगतान की जाएगी।
इस अनुच्छेद के तहत मुख्य रूप से दो बातें कही गई है;
पहली बात) प्रत्येक वर्ष 46 लाख 50 हजार रुपए की राशि केरल राज्य की संचित निधि से ली जाएगी और उस निधि में से त्रावणकोर देवस्वम् निधि (Travancore Devaswom Fund) को भुगतान की जाएगी;
दूसरी बात) प्रत्येक वर्ष 13 लाख 50 हजार रुपए की राशि तमिलनाडु राज्य की संचित निधि से ली जाएगी और उस निधि में से त्रावणकोर-कोचीन राज्य से तमिलनाडु अंतरित राज्यक्षेत्रों के हिन्दू मंदिरों और पवित्र स्थानों के अनुरक्षण के लिए उस राज्य में स्थापित देवस्वम् निधि को भुगतान की जाएगी। दरअसल यह विशेष रूप से उन हिंदू मंदिरों और तीर्थस्थलों से संबंधित है जिन्हें 1 नवंबर, 1956 को त्रावणकोर-कोचीन से तमिलनाडु में स्थानांतरित किया गया था।
याद रखिए कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 द्वारा कोचीन राज्य के त्रावणकोर तथा मद्रास राज्य के मलाबार तथा दक्षिण कन्नड के कसरगोड़े को मिलाकर एक नया राज्य केरल स्थापित किया गया था।
त्रावणकोर देवस्वम् बोर्ड (Travancore Devaswom Board):
त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) एक वैधानिक एवं स्वायत्त निकाय है जो त्रावणकोर की पूर्ववर्ती रियासत में मंदिरों का प्रबंधन करता है। TDB की स्थापना 1950 में त्रावणकोर महाराजा चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा द्वारा सरकार से मंदिरों को चलाने के लिए एक अलग निकाय बनाने के अनुरोध के बाद की गई थी। 1957 में जब केरल राज्य का गठन हुआ, तो TDB राज्य सरकार के अधीन आ गया।
TDB एक अध्यक्ष और दो सदस्यों से बना है। एक सदस्य को मंत्रिपरिषद में हिंदुओं द्वारा नामित किया जाता है, और दूसरे सदस्य को केरल राज्य की विधान सभा के सदस्यों में से हिंदुओं द्वारा चुना जाता है। अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है।
TDB 1,206 मंदिरों का प्रबंधन करता है, जिनमें से 224 मुख्य मंदिर हैं। प्रसिद्ध मंदिरों में से एक सबरीमाला का प्रबंधन इसके अधीन है।
चूंकि साल 1956 में जब राज्य पुनर्गठन का काम किया गया तब तत्कालीन मद्रास का कुछ भाग केरल को चला गया और केरल का कुछ भाग मद्रास को आ गया। त्रावणकोर में तो यह पहले से ही था लेकिन साल 1956 के बाद से तमिलनाडु में भी एक देवस्वम बोर्ड बनाया गया और यह तय कर दिया गया कि राज्य की संचित निधि से कुछ धन इस देवश्वम फ़ंड को दिया जाएगा ताकि जो मंदिर तमिलनाडु के हिस्से में आया है उसका सही से संरक्षण हो सके और उसका दैनिक कामकाज चलता रहे।
अभी की व्यवस्था के अनुसार, प्रत्येक वर्ष 46 लाख 50 हजार रुपए की राशि केरल राज्य की संचित निधि से ली जाती है, और 13 लाख 50 हजार रुपए की राशि तमिलनाडु राज्य की संचित निधि से ली जाती है।
हालांकि यह भी याद रखिए कि जितना इसको पैसा मिलता है उससे ज्यादा यह कमाई करता है। एकआंकड़ें के अनुसार, केरल की देवस्वम कंपनियां सालाना लगभग 1,000 करोड़ रुपये से अधिक कमाती हैं।
त्रावणकोर देवासम बोर्ड का गठन निम्नलिखित उद्देश्य से किया गया है;
◾ तीर्थ कल्याण के लिए;
◾ मंदिर की संपत्तियों का रखरखाव के लिए;
◾ मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए;
◾ इसके द्वारा प्रबंधित मंदिरों में कार्यरत कर्मचारियों के कल्याण के लिए;
◾ मंदिर अनुष्ठान सामग्री की खरीद के लिए; एवं,
◾ सभी कानूनी मामलों में अदालत में मंदिर का प्रतिनिधित्व करने के लिए, इत्यादि।
Article 291 of the Indian Constitution
Article 291. शासकों की निजी थैली की राशि (Privy purse sums of Rulers) – संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971 की धारा 2 द्वारा (1-11-1956 से) निरसित।
प्रिवी पर्स भारत में रियासतों के शासक परिवारों को किया जाने वाला भुगतान था। यह भुगतान 1947 में भारत के साथ एकीकरण और बाद में 1949 में अपने राज्यों का विलय करने के उनके समझौते का हिस्सा था।
प्रिवी पर्स एक विशिष्ट धनराशि थी जो भारत सरकार द्वारा रियासतों के शासकों और उनके उत्तराधिकारियों को प्रतिवर्ष दी जाती थी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 291 के तहत इन शासकों को प्रिवी पर्स की गारंटी दी गई थी। “प्रिवी पर्स” की मात्रा 5,000 रुपये प्रति वर्ष से लेकर 26 लाख रुपये प्रति वर्ष तक थी।
हालांकि संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971 की धारा 2 द्वारा इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया।
तो यही है Article 290A एवं Article 291 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |