यह लेख Article 286 (अनुच्छेद 286) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 286 (Article 286) – Original
भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध) |
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286. माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन — (1) राज्य की कोई विधि, 1[माल के या सेवाओं के या दोनों के प्रदाय पर, जहां ऐसा प्रदाय]— (क) राज्य के बाहर, या (ख) भारत के राज्यक्षेत्र में 2[माल के या सेवाओं के या दोनों के आयात अथवा माल के या सेवाओं के या दोनो के] बाहर निर्यात के दौरान, होता है वहां, कोई कर अधिरोपित नहीं करेगी या अधिरोपित करना प्राधिकृत नहीं करेगी। 3[* * * *] 4[(2) संसद, यह अवधारित करने के लिए कि 5[माल का या सेवाओं का या दोनों का प्रदाय] खंड (1) में वर्णित रीतियों में से किसी रीति से कब होता है विधि द्वारा, सिद्धांत बना सकेगी। 6[(3)* * * *] |
Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (Miscellaneous Financial Provisions) |
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286. Restrictions as to imposition of tax on the sale or purchase of goods— (1) No law of a State shall impose, or authorise the imposition of, a tax on 1[the supply of goods or of services or both, where such supply takes place]— (a) outside the State; or (b) in the course of the import of the 2[goods or services or both] into, or export of the 2[goods or services or both] out of, the territory of India. 3[* * * *] 4[(2) Parliament may by law formulate principles for determining when a 5[supply of goods or of services or both] in any of the ways mentioned in clause (1). 6[(3) * * * *] |
🔍 Article 286 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | वित्त (Finance) | Article 264 – 291 |
II | उधार लेना (Borrowing) | Article 292 – 293 |
III | संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) | 294 – 300 |
IV | संपत्ति का अधिकार (Rights to Property) | 300क |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।
संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;
- कर व्यवस्था (Taxation System)
- विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
- संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
- भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
- संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।
संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Sub-Chapters Title | Articles |
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साधारण (General) | Article 264 – 267 |
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) | Article 268 – 281 |
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) | 282 – 291* |
इस लेख में हम अनुच्छेद 286 को समझने वाले हैं; जो कि प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations) |
| अनुच्छेद 286 – माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन (Restrictions as to imposition of tax on the sale or purchase of goods)
Article 286 के तहत माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड आते हैं;
अनुच्छेद 286 के खंड (1) तहत राज्यों को कुछ प्रकार के करों (taxes) को न लगाने को निर्बंधित किया गया है।
इस खंड के तहत कहा गया है राज्य की कोई विधि, वस्तुओं के या सेवाओं के या दोनों के प्रदाय (supply) निम्नलिखित मामलों में कर नहीं लगा सकती है;
(क) अगर राज्य के बाहर वस्तुओं का या सेवाओं का या दोनों का सप्लाई हो रहा हो , या
(ख) अगर भारत के राज्यक्षेत्र में वस्तुओं का या सेवाओं का या दोनों का आयात अथवा निर्यात हो रहा हो।
अनुच्छेद 286 के खंड (2) तहत कहा गया है कि संसद, यह अवधारित करने के लिए कि माल का या सेवाओं का या दोनों का प्रदाय खंड (1) में वर्णित रीतियों में से किसी रीति से कब होता है विधि द्वारा, सिद्धांत बना सकेगी।
खंड (1) में जो वस्तुओं के या सेवाओं के या दोनों के प्रदाय (supply) की बात की गई है, वो कब माना जाएगा इसकी शक्ति संसद को है कि वह इस संबंध में कानून बनाए।
Article 286 in Nutshell
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 286 राज्यों के बीच वस्तुओं की बिक्री और खरीद पर कराधान पर प्रतिबंध से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि कोई भी राज्य माल की बिक्री या खरीद पर कोई कर नहीं लगाएगा, या लगाने का अधिकार नहीं देगा, जहां ऐसी बिक्री या खरीद अंतर-राज्य व्यापार या वाणिज्य के दौरान होती है।
अंतरराज्यीय व्यापार या वाणिज्य से तात्पर्य उस व्यापार या वाणिज्य से है जो भारत में दो या दो से अधिक राज्यों के बीच होता है। इसमें भारत और अन्य देशों के बीच व्यापार या वाणिज्य भी शामिल है।
अनुच्छेद 286 का उद्देश्य राज्यों के बीच मुक्त और निर्बाध व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देना है। यदि राज्यों को राज्यों के बीच व्यापार की जाने वाली वस्तुओं की बिक्री और खरीद पर कर लगाने की अनुमति दी गई, तो इससे व्यापार और वाणिज्य में बाधा उत्पन्न होगी।
राज्यों के बीच व्यापार की जाने वाली वस्तुओं की बिक्री और खरीद पर करों पर प्रतिबंध के कुछ अपवाद हैं। उदाहरण के लिए, राज्य निम्नलिखित पर कर लगा सकते हैं:
पेट्रोलियम उत्पाद
मानव उपभोग के लिए मादक शराब
तम्बाकू और तम्बाकू उत्पाद
विलासिता के सामान
यदि संसद विशेष रूप से इसके विपरीत कोई कानून बनाती है तो राज्य भी राज्यों के बीच व्यापार किए जाने वाले सामानों की बिक्री या खरीद पर कर लगा सकते हैं।
अनुच्छेद 286 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो राज्यों के बीच मुक्त और निर्बाध व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह देश के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है।
तो यही है अनुच्छेद 286 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि ◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |