Article 284 of the Constitution | अनुच्छेद 284 व्याख्या

यह लेख Article 284 (अनुच्छेद 284) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 284 (Article 284) – Original

भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध)
284. लोक सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादकर्ताओं की जमा राशियों और अन्य धनराशियों की अभिरक्षा — ऐसी सभी धनराशियां, जो

(क) यथास्थिति, भारत सरकार या राज्य की सरकार द्वारा जुटाए गए या प्रास्त राजस्व या लोक धनराशियों से भिन्‍न हैं, और संघ या किसी राज्य के
कार्यकलाप के संबंध में नियोजित किसी अधिकारी को उसकी उस हैसियत में, या

(ख) किसी वाद, विषय, लेखे या व्यक्तियों के नाम में जमा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर किसी न्यायालय को,
प्राप्त होती है या उसके पास निक्षिप्त की जाती है, यथास्थिति, भारत के लोक लेखे में या राज्य के लोक लेखे में जमा की जाएगी।

अनुच्छेद 284 हिन्दी संस्करण

Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (Miscellaneous Financial Provisions)
284. Custody of suitors’ deposits and other moneys received by public servants and courts— All moneys received by or deposited with—
(a) any officer employed in connection with the affairs of the Union or of a State in his capacity as such, other than revenues or public moneys raised or received by the Government of India or the Government of the State, as the case may be, or
(b) any court within the territory of India to the credit of any cause, matter, account or persons,
shall be paid into the public account of India or the public account of State, as the case may be.
Article 284 English Version

🔍 Article 284 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iवित्त (Finance)Article 264 – 291
IIउधार लेना (Borrowing)Article 292 – 293
IIIसंपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS)294 – 300
IVसंपत्ति का अधिकार (Rights to Property)300क
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।

संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;

  • कर व्यवस्था (Taxation System)
  • विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
  • संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
  • भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
  • संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।

संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Sub-Chapters TitleArticles
साधारण (General)Article 264 – 267
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)Article 268 – 281
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions)282 – 291*
* अनुच्छेद 291 को 26वें संविधान संशोधन अधिनियम 1971 की मदद से निरसित (Repealed) कर दिया गया है।

इस लेख में हम अनुच्छेद 284 को समझने वाले हैं; जो कि प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;

केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations)
Closely Related to Article 284

| अनुच्छेद 284 – लोक सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादकर्ताओं की जमा राशियों और अन्य धनराशियों की अभिरक्षा (Custody of suitors’ deposits and other moneys received by public servants and courts)

Article 284 के तहत लोक सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादकर्ताओं की जमा राशियों और अन्य धनराशियों की अभिरक्षा का वर्णन है।

अनुच्छेद 284 के तहत कहा गया है कि ऐसी सभी धनराशियां, जो निम्नलिखित द्वारा प्राप्त होती है या जमा किये जाते हैं, भारत के लोक लेखे (public accounts) में या राज्य के लोक लेखे में जमा की जाएगी;

(क) ऐसी सभी धनराशियाँ जो कि भारत सरकार या राज्य की सरकार द्वारा जुटाए गए या प्राप्त राजस्व या लोक धनराशियों से भिन्‍न हैं, और संघ या किसी राज्य के कार्यकलाप के संबंध में नियोजित किसी अधिकारी को उसकी उस हैसियत में प्राप्त होती है या जमा किये जाते हैं, भारत के लोक लेखे (public accounts) में या राज्य के लोक लेखे में जमा की जाएगी। या,

(ख) ऐसी सभी धनराशियाँ जो किसी वाद (cause), विषय (matter), अकाउंट या व्यक्तियों के नाम में जमा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर किसी न्यायालय को प्राप्त होती है या जमा किये जाते हैं, भारत के लोक लेखे (public accounts) में या राज्य के लोक लेखे में जमा की जाएगी।

कुल मिलाकर, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 284 लोक सेवकों और अदालतों द्वारा प्राप्त आवेदकों (Suiters) की जमा राशि और अन्य धन की हिरासत से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि लोक सेवकों और अदालतों द्वारा उनकी आधिकारिक क्षमता में प्राप्त सभी धन को भारत के सार्वजनिक खाते (Public Account) या राज्य के सार्वजनिक खाते, जैसा भी मामला हो, में जमा किया जाना चाहिए।

यह अनुच्छेद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि सभी सार्वजनिक धन का उचित हिसाब लगाया जाए और सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाए। यह भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को रोकने में भी मदद करता है।

यहां धन के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो अनुच्छेद 284 के अंतर्गत आते हैं:

◾ न्यायालय का शुल्क
◾ जुर्माना
◾ जमानत जमा
◾ सुरक्षा जमा
◾ लंबित मामलों में वादियों द्वारा जमा किया गया धन
◾ सरकारी कर्मचारियों का वेतन इत्यादि।

अनुच्छेद 284 उस धन पर भी लागू होता है जो लोक सेवकों और अदालतों द्वारा तीसरे पक्ष की ओर से प्राप्त किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई लोक सेवक किसी नाबालिग या विकृत दिमाग वाले व्यक्ति की ओर से धन प्राप्त करता है, तो वह धन भी सार्वजनिक खाते में जमा किया जाना चाहिए।

सार्वजनिक खाता एक सरकारी खाता है जिसमें सभी सार्वजनिक धन जमा किया जाता है। सार्वजनिक खाते का रखरखाव भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा किया जाता है, जो भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक स्वतंत्र अधिकारी है।

CAG सार्वजनिक खातों का ऑडिट करने और यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि सार्वजनिक धन का उचित उपयोग किया जा रहा है। CAG की ऑडिट रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत की जाती है, जिससे सार्वजनिक धन के उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।

अनुच्छेद 284 एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधान है जो सार्वजनिक धन की उचित अभिरक्षा और उपयोग सुनिश्चित करने में मदद करता है। यह भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को रोकने के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

तो यही है अनुच्छेद 284 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

संचित निधि (Consolidate Fund), लोक लेखा (Public Account), आकस्मिक निधि (Contingency Fund)
Must Read

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

Related MCQs with Explanation

Question 1: Article 284 of the Indian Constitution deals with the custody of:

(a) Suitors’ deposits and other moneys received by public servants
(b) Moneys received by the Union Government and the State Governments
(c) Moneys received by the courts
(d) All of the above




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Answer: (d) Explanation: Article 284 of the Indian Constitution deals with the custody of suitors’ deposits and other moneys received by public servants and the courts.


Question 2: The suitors’ deposits and other moneys received by public servants and the courts under Article 284 of the Indian Constitution shall be paid into:

(a) The public account of the Union Government
(b) The public account of the State Government
(c) All of the Above




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Answer: (c)


Question 3: The purpose of Article 284 of the Indian Constitution is to:

(a) Protect the interests of suitors
(b) Promote transparency and accountability in the handling of public funds
(c) Ensure that public funds are used for the purposes for which they are intended
(d) All of the above




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Answer: (d) Explanation: The purpose of Article 284 of the Indian Constitution is to protect the interests of suitors, promote transparency and accountability in the handling of public funds, and ensure that public funds are used for the purposes for which they are intended.


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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।