यह लेख Article 283 (अनुच्छेद 283) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 283 (Article 283) – Original
भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध) |
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283. संचित निधियों, आकस्मिकता निधियों और लोक लेखाओं में जमा धनराशियों की अभिरक्षा, आदि — (1) भारत की संचित निधि और भारत की आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, ऐसी निधियों में धनराशियों के संदाय, उनसे धनराशियों के निकाले जाने, ऐसी निधियों में जमा धनराशियों से भिन्न भारत सरकार द्वारा या उसकी ओर से प्राप्त लोक धनराशियों की अभिरक्षा, भारत के लोक लेखे में उनके संदाय और ऐसे लेखे से धनराशियों के निकाले जाने का तथा पूर्वोक्त विषयों से संबंधित या उनके आनुषंगिक अन्य सभी विषयों का विनियमन संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा किया जाएगा और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा किया जाएगा। (2) राज्य की संचित निधि और राज्य की आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, ऐसी निधियों में धनराशियों के संदाय, उनसे धनराशियों के निकाले जाने, ऐसी निधियों में जमा धनराशियों से भिन्न राज्य की सरकार द्वारा या उसकी ओर से प्राप्त लोक धनराशियों की अभिरक्षा, राज्य के लोक लेखे में उनके संदाय और ऐसे लेखे से धनराशियों के निकाले जाने का तथा पूर्वोक्त विषयों से संबंधित या उनके आनुषंगिक अन्य सभी विषयों का विनियमन राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा किया जाएगा और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक राज्य के राज्यपाल 1*** द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा किया जाएगा। |
Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (Miscellaneous Financial Provisions) |
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283. Custody, etc., of Consolidated Funds, Contingency Funds and moneys credited to the public accounts— (1) The custody of the Consolidated Fund of India and the Contingency Fund of India, the payment of moneys into such Funds, the withdrawal of moneys therefrom, the custody of public moneys other than those credited to such Funds received by or on behalf of the Government of India, their payment into the public account of India and the withdrawal of moneys from such account and all other matters connected with or ancillary to matters aforesaid shall be regulated by law made by Parliament, and, until provision in that behalf is so made, shall be regulated by rules made by the President. (2) The custody of the Consolidated Fund of a State and the Contingency Fund of a State, the payment of moneys into such Funds, the withdrawal of moneys therefrom, the custody of public moneys other than those credited to such Funds received by or on behalf of the Government of the State, their payment into the public account of the State and the withdrawal of moneys from such account and all other matters connected with or ancillary to |
🔍 Article 283 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | वित्त (Finance) | Article 264 – 291 |
II | उधार लेना (Borrowing) | Article 292 – 293 |
III | संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) | 294 – 300 |
IV | संपत्ति का अधिकार (Rights to Property) | 300क |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।
संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;
- कर व्यवस्था (Taxation System)
- विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
- संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
- भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
- संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।
संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Sub-Chapters Title | Articles |
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साधारण (General) | Article 264 – 267 |
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) | Article 268 – 281 |
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) | 282 – 291* |
इस लेख में हम अनुच्छेद 283 को समझने वाले हैं; जो कि प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations) |
| अनुच्छेद 283 – संचित निधियों, आकस्मिकता निधियों और लोक लेखाओं में जमा धनराशियों की अभिरक्षा, आदि (Custody, etc., of Consolidated Funds, Contingency Funds and moneys credited to the public accounts)
Article 283 के तहत संचित निधियों, आकस्मिकता निधियों और लोक लेखाओं में जमा धनराशियों की अभिरक्षा, आदि (Custody, Etc., Of Consolidated Funds, Contingency Funds And Moneys Credited To The Public Accounts) का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 2 खंड आते हैं;
अनुच्छेद 283 के खंड (1) तहत कहा गया है कि भारत की संचित निधि और भारत की आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, ऐसी निधियों में धनराशियों के संदाय, उनसे धनराशियों के निकाले जाने, ऐसी निधियों में जमा धनराशियों से भिन्न भारत सरकार द्वारा या उसकी ओर से प्राप्त लोक धनराशियों की अभिरक्षा, भारत के लोक लेखे में उनके संदाय और ऐसे लेखे से धनराशियों के निकाले जाने का तथा पूर्वोक्त विषयों से संबंधित या उनके आनुषंगिक अन्य सभी विषयों का विनियमन संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा किया जाएगा और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा किया जाएगा।
भारत की संचित निधि और भारत की आकस्मिकता निधि (contingency fund) की अभिरक्षा, ऐसी निधियों में धन का भुगतान, उसमें से धन की निकासी, सरकार द्वारा या उसकी ओर से प्राप्त ऐसी निधियों में जमा किए गए धन के अलावा अन्य सार्वजनिक धन की अभिरक्षा, भारत के सार्वजनिक खाते (public accounts) में उनका भुगतान और ऐसे खाते से धन की निकासी और उपरोक्त मामलों से जुड़े या सहायक अन्य सभी मामले संसद द्वारा बनाए गए कानून द्वारा विनियमित होंगे, और, जब तक कि इस संबंध में प्रावधान नहीं किया जाता है, तब तक राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा विनियमित किया जाएगा।
इस अनुच्छेद के तहत तीन टर्म्स का इस्तेमाल किया गया है जिसे कि हमने पहले के अनुच्छेदों के तहत समझा है;
1. संचित निधि (Consolidated funds): इसे भारत का राजकोष या खज़ाना के नाम से भी जाना जाता है। ये सभी राज्यों के लिए भी होता है और राज्यों के संचित निधि के लिए भी इन्ही शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।
संविधान का अनुच्छेद 266(1), भारत के लिए और भारत के राज्यों के लिए संचित निधि की व्यवस्था करता है।
भारत के संदर्भ में, यह भारत की सर्वाधिक बड़ी निधि है जो कि संसद के अधीन रखी गयी है यानी कि कोई भी धन इसमे बिना संसद की पूर्व स्वीकृति के निकाला/जमा या भारित नहीं किया जा सकता है।
2. भारत का लोकलेखा (Public Accounts of India): अनुच्छेद 266(2) के तहत, भारत और भारत के राज्यों के लिए इसकी व्यवस्था की गई है।
लोक लेखा (Public Accounts) एक ऐसा कोष है जिसमें उन धनराशियों को रखा जाता है जो सरकार की आय का प्रमुख स्रोत नहीं है। ये सरकार के पास एक धरोहर एवं जमानत के रूप में रखा गया होता है।
उदाहरण के लिए; कर्मचारी भविष्य निधि (Employee provident fund) – ये पब्लिक का पैसा होता है जो सरकार के पास लोक लेखा में जमा होता है, समय आने पर उसे लौटना पड़ता है।
3. भारत की आकस्मिकता निधि (Contingency fund of India): अनुच्छेद 267(1) के तहत भारत की आकस्मिकता निधि की व्यवस्था की गई है। इसी तरह अनुच्छेद 267(2) के तहत भारत के राज्यों के लिए आकस्मिकता निधि की व्यवस्था की गई है।
1951 में भारत में एक आकस्मिकता निधि अधिनियम पारित किया गया। जिसके तहत एक आकस्मिकता निधि का निर्माण किया गया। वर्तमान समय में ये निधि 500 करोड़ रुपए का है जो कि संचित निधि से इसमें डाला जाता है।
कुल मिलाकर इस खंड में निहित प्रावधान यह स्थापित करता है कि भारत में सरकारी धन का प्रबंधन क्रमशः संसद और भारत के राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए कानूनों और नियमों द्वारा शासित होता है।
संसद की यह ज़िम्मेदारी है कि वो इस संबंध में कानून बनाए और जब तक कि इस संबंध में प्रावधान नहीं किया जाता है, तब तक राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा इन funds को विनियमित किया जाएगा।
यह निर्दिष्ट करता है कि समेकित निधि और आकस्मिकता निधि को ठीक से प्रबंधित किया जाना चाहिए और सरकार द्वारा प्राप्त सभी सार्वजनिक धन को उचित खातों में जमा किया जाना चाहिए और पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से हिसाब लगाया जाना चाहिए।
अनुच्छेद 283 के खंड (2) तहत कहा गया है कि राज्य की संचित निधि और राज्य की आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, ऐसी निधियों में धनराशियों के संदाय, उनसे धनराशियों के निकाले जाने, ऐसी निधियों में जमा धनराशियों से भिन्न राज्य की सरकार द्वारा या उसकी ओर से प्राप्त लोक धनराशियों की अभिरक्षा, राज्य के लोक लेखे में उनके संदाय और ऐसे लेखे से धनराशियों के निकाले जाने का तथा पूर्वोक्त विषयों से संबंधित या उनके आनुषंगिक अन्य सभी विषयों का विनियमन राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा किया जाएगा और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक राज्य के राज्यपाल द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा किया जाएगा।
अनुच्छेद 283 का खंड (2) यह स्थापित करता है कि हमारे देश में राज्य स्तर पर सरकारी धन का प्रबंधन क्रमशः राज्य के विधानमंडल और राज्यपाल द्वारा बनाए गए कानूनों और नियमों द्वारा शासित होता है।
अनुच्छेद 283 का खंड (2) पिछले खंड में दिए गए प्रावधान के काफी समान है। अंतर केवल इतना है कि यह खंड किसी राज्य की समेकित निधि और आकस्मिकता निधि के संबंध में है। जबकि पहला खंड देश या संघ के संबंध में है। संघ के स्तर पर जहां राष्ट्रपति एवं संसद था वहीं राज्य के स्तर पर यह क्रमशः राज्यपाल एवं विधानमंडल है।
तो यही है Article 283, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ संचित निधि (Consolidate Fund), लोक लेखा (Public Account), आकस्मिक निधि (Contingency Fund) |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |