यह लेख Article 280 (अनुच्छेद 280) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं; |
📜 अनुच्छेद 280 (Article 280) – Original
भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण) |
---|
280. वित्त आयोग — (1) राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर और तत्पश्वात् प्रत्येक पांचवें वर्ष की समाप्ति पर या ऐसे पूर्वतर समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझता है, आदेश द्वारा, वित्त आयोग का गठन करेगा जो राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाने वाले एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा। (2) संसद् विधि द्वारा, उन अर्हताओं का, जो आयोग के सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिए अपेक्षित होंगी और उस रीति का, जिससे उनका चयन किया जाएगा, अवधारण कर सकेगी। (3) आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह— 1[(खख) राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों के संसाधनों की अनुपूर्ति के लिए किसी राज्य की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्यक अध्युपायों के बारे में ;] 2(ग) राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में नगरपालिकाओं के संसाधनों की अनुपूर्ति के लिए किसी राज्य की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्यक अध्युपायों के बारे में ;] 3(घ)] सुदृढ़ वित्त के हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्दिष्ट किए गए किसी अन्य विषय के बारे में, राष्ट्रपति को सिफारिश करे। (4) आयोग अपनी प्रक्रिया अवधारित करेगा और अपने कृत्यों के पालन में उसे ऐसी शक्तियां होंगी जो संसद, विधि द्वारा, उसे प्रदान करे। |
Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (Distribution of revenues between the Union and the States) |
---|
280. Finance Commission— (1) The President shall, within two years from the commencement of this Constitution and thereafter at the expiration of every fifth year or at such earlier time as the President considers necessary, by order constitute a Finance Commission which shall consist of a Chairman and four other members to be appointed by the President. (2) Parliament may by law determine the qualifications which shall be requisite for appointment as members of the Commission and the manner in which they shall be selected. (3) It shall be the duty of the Commission to make recommendations to the President as to— (4) The Commission shall determine their procedure and shall have such powers in the performance of their functions as Parliament may by law confer on them. |
🔍 Article 280 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
---|---|---|
I | वित्त (Finance) | Article 264 – 291 |
II | उधार लेना (Borrowing) | Article 292 – 293 |
III | संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) | 294 – 300 |
IV | संपत्ति का अधिकार (Rights to Property) | 300क |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।
संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;
- कर व्यवस्था (Taxation System)
- विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
- संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
- भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
- संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।
संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Sub-Chapters Title | Articles |
---|---|
साधारण (General) | Article 264 – 267 |
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) | Article 268 – 281 |
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) | 282 – 291* |
इस लेख में हम अनुच्छेद 280 को समझने वाले हैं; जो कि संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations) |
| अनुच्छेद 280 – वित्त आयोग (Finance Commission):
अनुच्छेद 280 के तहत वित्त आयोग (Finance Commission) का वर्णन है। केंद्र एवं राज्य के मध्य पैसों का बंटवारा कैसे हो, इसी सिद्धान्त को बताने के लिए इस अनुच्छेद के तहत वित्त आयोग का गठन किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत कुल 4 खंड आते हैं;
Article 280 Clause 1 Explanation
अनुच्छेद 280 के खंड (1) तहत कहा गया है कि राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर और तत्पश्वात् प्रत्येक पांचवें वर्ष की समाप्ति पर या ऐसे पूर्वतर समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझता है, आदेश द्वारा, वित्त आयोग का गठन करेगा जो राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाने वाले एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा।
इस खंड के तहत दो बातें हैं;
पहली बात) राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर और तत्पश्चात प्रत्येक पांचवें वर्ष की समाप्ति पर या ऐसे पूर्वतर समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझता है, आदेश द्वारा, वित्त आयोग का गठन करेगा।
दूसरी बात) वित्त आयोग एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा।
Article 280 Clause 2 Explanation
अनुच्छेद 280 के खंड (2) तहत कहा गया है कि संसद् विधि द्वारा, उन अर्हताओं का, जो आयोग के सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिए अपेक्षित होंगी और उस रीति का, जिससे उनका चयन किया जाएगा, अवधारण कर सकेगी।
जैसा कि हमने पहले खंड में समझा कि वित्त आयोग एक अध्यक्ष एवं चार अन्य सदस्यों से मिलकर बनता है। इन सदस्यों के लिए क्या अर्हताएं (Qualification) होंगी और इनका चयन किस विधि से किया जाएगा इसको निर्धारित करने की शक्ति संसद के पास है।
वित्त आयोग का अध्यक्ष सार्वजनिक मामलों का अनुभवी होना चाहिए और अन्य चार सदस्यों को निम्नलिखित में से चुना जाना चाहिए-
(1) किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या इस पद के लिए योग्य व्यक्ति,
(2) ऐसा व्यक्ति जिसे भारत के लेखा एवं वित्त मामलों का विशेष ज्ञान हो,
(3) ऐसा व्यक्ति, जिसे प्रशासन और वित्तीय मामलों का व्यापक अनुभव हो, और
(4) ऐसा व्यक्ति, जो अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञाता हो।
Article 280 Clause 3 Explanation
अनुच्छेद 280 के खंड (3) तहत आयोग के कर्तव्यों को बताया गया है जिसके तहत वित्त आयोग, भारत के राष्ट्रपति को निम्नलिखित मामलों पर सिफ़ारिशें करता है;
1) संघ और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगमों के, जो इस अध्याय के अधीन उनमें विभाजित किए जाने हैं, वितरण के बारे में और राज्यों के बीच ऐसे आगमों के तत्संबंधी भाग के आबंटन के बारे में ;
केंद्र और राज्य के मध्य करों का वितरण दो तरीके से होता है एक ऊर्ध्वाधर वितरण और दूसरा क्षैतिज वितरण। ऊर्ध्वाधर वितरण के तहत 14वें वित्त आयोग ने 42 प्रतिशत राज्यों को अंतरण की सिफ़ारिशें की थी। जिसे कि स्वीकार भी किया गया था।
लेकिन चूंकि 2019 में जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया, ऐसे में जाहिर है कि केंद्र को ही इन दोनों केंद्रशासित प्रदेशों को मैनेज करना है। 15वें वित्त आयोग ने इसी तथ्य को ध्यान में रखकर राज्यों को की जाने वाली अंतरण को 41 प्रतिशत कर दिया।
क्षैतिज वितरण की बात करें तो इसका मतलब ये है कि राज्यों को जो 41 प्रतिशत मिला है उसमें से 1-1 राज्य को कितना मिलेगा।
ये काफी चुनौतीपूर्ण काम होता है क्योंकि कई राज्य इस बात को लेकर नाराज हो जाता है कि उसने जनसंख्या को कम किया है उसे उसके लिए वित्तीय प्रोत्साहन मिलने के बजाय हतोत्साहन ही मिलता है क्योंकि आमतौर पर अधिक जनसंख्या वाले राज्यों को अधिक हिस्सा मिल जाया करता है।
क्षैतिज बंटवारा न्यायोचित एवं युक्तिसंगत हो सके इसके लिए 15वें वित्त आयोग ने 6 मानदंडों को अपनाया, जबकि 14वें वित्त आयोग की बात करें तो उन्होने सिर्फ 4 मानदंडों को अपनाया था। आप नीचे के टेबल में इसे देख सकते हैं;
करों के क्षैतिज अंतरण के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा सुझाये गए मानदंड:
मानदंड | महत्व (प्रतिशत में) |
जनसंख्या | 15 |
क्षेत्र | 15 |
वन और पारिस्थितिकी | 10 |
आय अंतराल | 45 |
कर एवं राजकोषीय प्रयास | 2.5 |
जनसांख्यिकीय कार्यनिष्पादन | 12.5 |
कुल | 100 प्रतिशत |
करों के क्षैतिज अंतरण के लिए 14वें वित्त आयोग द्वारा सुझाये गए मानदंड
मानदंड | महत्व (प्रतिशत में) |
जनसंख्या | 27.5 |
क्षेत्र | 15 |
वन क्षेत्र | 7.5 |
आय | 50 |
कुल | 100 प्रतिशत |
कुल मिलाकर दोनों टेबल के तुलनात्मक अध्ययन से ये पता चल जाता है कि किस तरह से 15वें वित आयोग ने सभी राज्यों को खुश रखने की कोशिश की है।
2) भारत की संचित निधि में से राज्यों के राजस्व में सहायता अनुदान को शासित करने वाले सिद्धांतों के बारे में ;
सहायता अनुदान कुछ खास लक्ष्य को ध्यान में रखकर दी जाती है। ये भारत की संचित निधि से राज्यों को आयोग की अनुशंसा पर दी जाती है। 15वें वित्त आयोग ने मुख्य रूप से पाँच अनुदानों की सिफ़ारिश की हैं, जिसे कि आप नीचे की तालिका में देख सकते हैं –
क्र. सं. | अनुदान के घटक | 2021 -26 (करोड़ में) |
1. | राजस्व घाटा अनुदान | 294514 |
2. | स्थानीय सरकारों का अनुदान | 436361 |
3. | आपदा प्रबंधन अनुदान | 122601 |
4. | क्षेत्र विशेष से संबन्धित अनुदान | 129987 |
(I) | – स्वास्थ्य के लिए क्षेत्रीय अनुदान | 31755 |
(II) | – स्कूली शिक्षा | 4800 |
(III) | – उच्च शिक्षा | 6143 |
(IV) | – कृषि सुधारों पर अमल | 45000 |
(V) | – सड़कों का रखरखाव | 27539 |
(VI) | – न्यायपालिक | 10425 |
(VII) | – सांख्यिकी | 1175 |
(VIII) | – आकांक्षी जिले और ब्लॉक | 3150 |
5. | राज्य विशेष से संबन्धित | 49599 |
कुल | 1033062 |
3) राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के संसाधनों की अनुपूर्ति के लिए किसी राज्य की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्यक अध्युपायों के बारे में;
नोट – इस प्रावधान को 73वां और 74वां संविधान संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था। यहाँ से पढ़ें – 73वां संविधान संशोधन और 74वां संविधान संशोधन
हम जानते हैं कि अनुच्छेद 243 (I) के तहत राज्य वित्त आयोग की बात कही गई है जो कि राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है।
ये आयोग मुख्य रूप से स्थानीय ग्रामीण शासन और स्थानीय शहरी शासन के वित्तीय अंतरण के बारे में राज्यपाल को सिफ़ारिश करता है। (बिलकुल केन्द्रीय वित्त आयोग के तरह ही)
इस प्रावधान के तहत केन्द्रीय वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग के सिफ़ारिशों के आधार पर, पंचायतों और नगरपालिकाओं के संसाधनों में वृद्धि करने के उद्देश्य से आवश्यक उपाय सुझाता है। वित्तीय संघवाद की स्थापना की दृष्टि से इस प्रावधान को अच्छा माना जाता है।
4) सुदृढ़ वित्त के हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्दिष्ट किए गए किसी अन्य विषय के बारे में;
जैसे कि 15वें वित्त आयोग को कुछ अतिरिक्त ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। उसे विशेष रूप से उपलब्ध करायी जाने वाली विभिन्न प्रकार की अनुदान सहायता देने के राजकोषीय सिद्धांतों की समीक्षा करने और उन पर टिप्पणी करने को कहा गया।
इसके अलावा आयोग को कार्य निष्पादन के आधार पर प्रोत्साहनों पर विचार करने को कहा गया ताकि राज्य और स्थानीय सरकारों को उनके प्रयासों के विभिन्न नीतिगत क्षेत्रों में समुचित स्तर पर मदद देकर प्रोत्साहित किया जा सके।
कुल मिलाकर इस तरह से आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो इसे संसद के दोनों सदनों में रखता है। रिपोर्ट के साथ उसका आकलन संबंधी ज्ञापन एवं इस संबंध मे उठाए जा सकने वाले कदमों के बारे में विवरण भी रखा जाता है। इसके बारे में अनुच्छेद 281 में बताया गया है।
Article 280 Clause 4 Explanation
अनुच्छेद 280 के खंड (4) तहत कहा गया है कि आयोग अपनी प्रक्रिया अवधारित करेगा और अपने कृत्यों के पालन में उसे ऐसी शक्तियां होंगी जो संसद, विधि द्वारा, उसे प्रदान करे।
तो यही है अनुच्छेद 280 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ वित्त आयोग (Financial Commission) (Art 280) |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 280 of the Indian Constitution deals with:
(a) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(b) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) The establishment of the Finance Commission
Click to Answer
Question 2: The Finance Commission is a:
(a) Constitutional body
(b) Quasi-judicial body
(c) Statutory body
(d) None of the above
Click to Answer
Question 3: The Finance Commission is responsible for:
(a) Recommending the distribution of the proceeds of taxes levied by the Union Government between the Union Government and the State Governments
(b) Recommending the principles that should govern the grants-in-aid to the States by the Union Government
(c) Recommending measures to augment the consolidated fund of India
(d) All of the above
Click to Answer
Question 4: Which of the following is NOT a factor that the Finance Commission considers when making its recommendations?
(a) The population of each State
(b) The financial needs of each State
(c) The geographical conditions of each State
(d) The political affiliations of the State Governments
Click to Answer
Question 5: What is the main challenge associated with the Finance Commission?
(a) Balancing the competing interests of the Union Government and the State Governments
(b) Ensuring that its recommendations are fair and equitable
(c) Making recommendations that are realistic and achievable
(d) All of the above
Click to Answer
| Related Article
⚫ अनुच्छेद 281 – भारतीय संविधान |
⚫ अनुच्छेद 279A – भारतीय संविधान |
⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |