Article 275 of the Constitution | अनुच्छेद 275 व्याख्या

यह लेख Article 275 (अनुच्छेद 275) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 275 (Article 275) – Original

भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण)
275. कुछ राज्यों को संघ से अनुदान — (1) ऐसी राशियां, जिनका संसद्‌ विधि द्वारा उपबंध करे, उन राज्यों के राजस्वों में सहायता अनुदान के रूप में प्रत्येक वर्ष भारत की संचित निधि पर भारित होंगी जिन राज्यों के विषय में संसद्‌ यह अवधारित करे कि उन्हें सहायता की आवश्यकता है और भिन्न-भिन्न राज्यों के लिए भिन्न-भिन्न राशियां नियत की जा सकेंगी;

परंतु किसी राज्य के राजस्वों में सहायता अनुदान के रूप में भारत की संचित निधि में से ऐसी पूंजी और आवर्ती राशियां संदत्त की जाएंगी जो उस राज्य को उन विकास स्कीमों के खर्चों को पूरा करने में समर्थ बनाने के लिए आवश्यक हों जिन्हें उस राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण की अभिवृद्धि करने या उस राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन स्तर को उस राज्य के शेष क्षेत्रों के प्रशासन स्तर तक उन्‍नत करने के प्रयोजन के लिए उस राज्य द्वारा भारत सरकार के अनुमोदन से हाथ में लिया जाए;

परंतु यह और कि असम राज्य के राजस्व में सहायता अनुदान के रूप में भारत की संचित निधि में से ऐसी पूंजी और आवर्ती राशियां संदत्त की जाएंगी

(क) जो छठी अनुसूची के पैरा 20 से संलग्न सारणी के 1[भाग 1] में विनिर्दिष्ट जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पूर्ववर्ती दो वर्ष के दौरान औसत व्यय राजस्व से जितना अधिक है, उसके बराबर है ; और

(ख) जो उन विकास स्कीमों के खर्चों के बराबर हैं जिन्हें उक्त क्षेत्रों के प्रशासन स्तर को उस राज्य के शेष क्षेत्रों के प्रशासन स्तर तक उन्‍नत करने के प्रयोजन के लिए उस राज्य द्वारा भारत सरकार के अनुमोदन से हाथ में लिया जाए।

2[(1क) अनुच्छेद 244क के अधीन स्वशासी राज्य के बनाए जाने की तारीख को और से

(i) खंड (1) के दूसरे परंतुक के खंड (क) के अधीन संदेय कोई राशियां स्वशासी राज्य को उस दशा में संदत्त की जाएंगी जब उसमें निर्दिष्ट सभी जनजाति क्षेत्र उस स्वशासी राज्य में समाविष्ट हों और यदि स्वशासी राज्य में उन जनजाति क्षेत्रों में से केवल कुछ ही समाविष्ट हों तो वे राशियां असम राज्य और स्वशासी राज्य के बीच ऐसे प्रभाजित की जाएंगी जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करे;

(ii) स्वशासी राज्य के राजस्वों में सहायता अनुदान के रूप में भारत की संचित में से ऐसी पूंजी और आवर्ती राशियां संदत्त की जाएंगी जो उन विकास स्कीमों के खर्चा के बराबर है जिन्हें स्वशासी राज्य के प्रशासन स्तर को शेष असम राज्य के प्रशासन स्तर तक उन्नत करने के प्रयोजन के लिए स्वशासी राज्य द्वारा भारत सरकार के अनुमोदन से हाथ में लिया जाए।]

(2) जब तक संसद खंड (1) के अधीन उपबंध नहीं करती है तब तक उस खंड के अधीन संसद को प्रदत्त शक्ति राष्ट्रपति द्वारा, आदेश द्वारा, प्रयोक्तव्य होंगी और राष्ट्रपति द्वारा इस खंड के अधीन किया गया कोई आदेश संसद्‌ द्वारा इस प्रकार किए गए किसी उपबंध के अधीन रहते हुए प्रभावी होगा;

परंतु वित्त आयोग का गठन किए जाने के पश्चात्‌ राष्ट्रपति द्वारा इस खंड के अधीन कोई आदेश वित्त आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के पश्चात्‌ ही किया जाएगा, अन्यथा नहीं।
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1. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81) की धारा 71 द्वारा (21-1-1972 से) “भाग क” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
2. संविधान (बाईसवां संशोधन) अधिनियम, 1969 की धारा 3 द्वारा (25-9-1969 से) अंतःस्थापित।

अनुच्छेद 275 हिन्दी संस्करण

Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (Distribution of revenues between the Union and the States)
275. Grants from the Union to certain States —(1) Such sums as Parliament may by law provide shall be charged on the Consolidated Fund of India in each year as grants-in-aid of the revenues of such States as Parliament may determine to be in need of assistance, and different sums may be fixed for
different States:

Provided that there shall be paid out of the Consolidated Fund of India as grants-in-aid of the revenues of a State such capital and recurring sums as may be necessary to enable that State to meet the costs of such schemes of development as may be undertaken by the State with the approval of the Government of India for the purpose of promoting the welfare of the Scheduled Tribes in that State or raising the level of administration of the Scheduled Areas therein to that of the administration of the rest of the areas of that State:

Provided further that there shall be paid out of the Consolidated Fund of India as grants-in-aid of the revenues of the State of Assam sums, capital and recurring, equivalent to—

(a) the average excess of expenditure over the revenues during the two years immediately preceding the commencement of this Constitution in respect of the administration of the tribal areas specified in 1[Part I] of
the table appended to paragraph 20 of the Sixth Schedule; and
(b) the costs of such schemes of development as may be undertaken by that State with the approval of the Government of India for the purpose of raising the level of administration of the said areas to that of the administration of the rest of the areas of that State.

2[(1A) On and from the formation of the autonomous State under article 244A,—

(i) any sums payable under clause (a) of the second proviso to clause (1) shall, if the autonomous State comprises all the tribal areas referred to therein, be paid to the autonomous State, and, if the autonomous State comprises only some of those tribal areas, be apportioned between the State of Assam and the autonomous State as the
President may, by order, specify;
(ii) there shall be paid out of the Consolidated Fund of India as grants-in-aid of the revenues of the autonomous State sums, capital and recurring, equivalent to the costs of such schemes of development as may be undertaken by the autonomous State with the approval of the Government of India for the purpose of raising the level of
administration of that State to that of the administration of the rest of the State of Assam.]

(2) Until provision is made by Parliament under clause (1), the powers conferred on Parliament under that clause shall be exercisable by the President by order and any order made by the President under this clause shall have effect subject to any provision so made by Parliament:

Provided that after a Finance Commission has been constituted no order shall be made under this clause by the President except after considering the recommendations of the Finance Commission.
==============
1. Subs. by the North-Eastern Areas (Reorganisation) Act, 1971 (81 of 1971) s. 71, for “Part A” (w.e.f. 21-1-1972).
2. Ins. by the Constitution (Twenty-second Amendment) Act, 1969, s. 3 (w.e.f. 25-9-1969).

Article 275 English Version

🔍 Article 275 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iवित्त (Finance)Article 264 – 291
IIउधार लेना (Borrowing)Article 292 – 293
IIIसंपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS)294 – 300
IVसंपत्ति का अधिकार (Rights to Property)300क
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।

संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;

  • कर व्यवस्था (Taxation System)
  • विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
  • संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
  • भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
  • संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।

संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Sub-Chapters TitleArticles
साधारण (General)Article 264 – 267
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)Article 268 – 281
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions)282 – 291*
* अनुच्छेद 291 को 26वें संविधान संशोधन अधिनियम 1971 की मदद से निरसित (Repealed) कर दिया गया है।

इस लेख में हम अनुच्छेद 275 को समझने वाले हैं; जो कि संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;

केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations)
Closely Related to Article 274

| अनुच्छेद 275 – कुछ राज्यों को संघ से अनुदान (Grants from the Union to certain States)

अनुच्छेद 275 के तहत कुछ राज्यों को संघ से अनुदान (Grants from the Union to certain States) का वर्णन है। टैक्स में राज्यों को हिस्सा मिलने के बावजूद भी कई राज्यों को केंद्र सरकार से अनुदान (Grants) मिलता है। यह अनुच्छेद इसी के बारे में है। इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड आते हैं;

Article 275 Clause 1 Explanation:

अनुच्छेद 275 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि संसद चाहे तो विधि बनाकर कुछ राज्यों को अलग से कुछ खास रकम दे सकती है। जितनी भी रकम दी जाएंगी वो सब प्रत्येक वर्ष भारत की संचित निधि से ली जाएंगी। संसद चाहे तो भिन्न-भिन्न राज्यों के लिए भिन्न-भिन्न राशियां नियत कर सकेंगी;

चूंकि इसे संसद द्वारा विधि बनाकर तय किया जाता है इसीलिए इसे विधिक अनुदान (legal grant) भी कहा जाता है।

हालांकि इसके संबंध में कुछ बातें है जिसे याद रखना आवश्यक है;

1) किसी राज्य के राजस्वों में सहायता अनुदान के रूप में भारत की संचित निधि में से ऐसी पूंजी और आवर्ती राशियां भुगतान की जाएंगी जो उस राज्य को उन विकास स्कीमों के खर्चों को पूरा करने में समर्थ बनाने के लिए आवश्यक हों जिन्हें उस राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण की अभिवृद्धि करने या उस राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन स्तर को उस राज्य के शेष क्षेत्रों के प्रशासन स्तर तक उन्‍नत करने के प्रयोजन के लिए उस राज्य द्वारा भारत सरकार के अनुमोदन से हाथ में लिया जाए;

हालांकि असम राज्य के अनुसूचित जनजातियों के कल्याण की अभिवृद्धि करने या उस राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन स्तर बनाए रखने के बारे में कुछ विशेष उपबंध किया गया है;

असम राज्य के राजस्व के अनुदान के रूप में भारत की समेकित निधि से निम्नलिखित के बराबर पूंजी और आवर्ती भुगतान किया जाएगा

(क) छठी अनुसूची के पैराग्राफ 20 से जुड़ी तालिका के भाग I में निर्दिष्ट जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले के दो वर्षों के दौरान राजस्व पर व्यय की औसत अधिकता के बराबर; और

(ख) विकास की ऐसी योजनाओं की लागत के बराबर जो उक्त क्षेत्रों के प्रशासन के स्तर को उस राज्य के बाकी क्षेत्रों के प्रशासन के स्तर तक बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार की मंजूरी के साथ शुरू की जा सकती है।

छठी अनुसूची के पैराग्राफ 20 भाग 1
1. उत्तरी कछार पहाड़ी जिला
2. कार्बी अंगलोंग जिला
3. बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिला
https://www.india.gov.in/sites/upload_files/npi/files/constitution/SIXTH-SCHEDULE.pdf

2) अनुच्छेद 244A के तहत यह व्यवस्था की गई है कि संविधान में किसी बात के होते हुए भी, संसद, कानून द्वारा, असम राज्य के भीतर एक स्वायत्त राज्य का गठन कर सकती है जिसमें छठी अनुसूची के पैराग्राफ 20 से जुड़ी तालिका के भाग 1 में निर्दिष्ट सभी या किसी आदिवासी क्षेत्र को शामिल किया जा सकता है।

इसी स्वायत्त राज्य के गठन पर और उसके बाद से

(i) खंड (1) के तहत असम राज्य के लिए जो विशेष व्यवस्था की गई है उसमें जो प्रावधान “(क)” है (छठी अनुसूची के पैराग्राफ 20 से जुड़ी तालिका के भाग I में……), इस प्रावधान (क) के अधीन दी जाने वाली कोई रकम स्वशासी राज्य को उस दशा में भुगतान की जाएंगी जब उसमें निर्दिष्ट सभी जनजाति क्षेत्र उस स्वशासी राज्य में समाविष्ट हों;

लेकिन यदि स्वशासी राज्य में उन जनजाति क्षेत्रों में से केवल कुछ ही समाविष्ट हों तो वे राशियां असम राज्य और स्वशासी राज्य के बीच ऐसे विभाजित की जाएंगी जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा बताएगा;

(ii) स्वशासी राज्य के राजस्वों में सहायता अनुदान के रूप में भारत की संचित में से ऐसी पूंजी और आवर्ती राशियां भुगतान की जाएंगी जो उन विकास स्कीमों के खर्चा के बराबर है जिन्हें स्वशासी राज्य के प्रशासन स्तर को शेष असम राज्य के प्रशासन स्तर तक उन्नत करने के प्रयोजन के लिए स्वशासी राज्य द्वारा भारत सरकार के अनुमोदन से हाथ में लिया जाए।

Article 275 Clause 2 Explanation:

अनुच्छेद 275 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि जब तक संसद खंड (1) के अधीन उपबंध नहीं करती है तब तक उस खंड के अधीन संसद को प्रदत्त शक्ति राष्ट्रपति के आदेश द्वारा, लागू होंगी और राष्ट्रपति द्वारा इस खंड के अधीन किया गया कोई आदेश संसद्‌ द्वारा इस प्रकार किए गए किसी उपबंध के अधीन रहते हुए प्रभावी होगा;

हालांकि यहां यह याद रखिए कि वित्त आयोग का गठन किए जाने के पश्चात्‌ राष्ट्रपति द्वारा इस खंड के अधीन कोई आदेश वित्त आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के पश्चात्‌ ही किया जाएगा, अन्यथा नहीं।

तो यही है Article 275, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

Related MCQs with Explanation

Question 1: Article 275 of the Indian Constitution deals with:

(a) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(b) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) Grants-in-aid from the Union Government to the State Governments




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Answer: (d) Explanation: Article 275 of the Indian Constitution empowers the Union Government to grant financial assistance to the State Governments in the form of grants-in-aid. The purpose of these grants is to help the State Governments meet their financial needs and to promote the development of the country as a whole.


Question 2: What is the main purpose of grants-in-aid from the Union Government to the State Governments under Article 275 of the Indian Constitution?

(a) To help the State Governments meet their financial needs
(b) To promote the development of the country as a whole
(c) To reduce the regional disparities in India
(d) All of the above




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Answer: (d) Explanation: All of the above are purposes of grants-in-aid from the Union Government to the State Governments under Article 275 of the Indian Constitution.


Question 3: Which of the following is NOT a challenge associated with grants-in-aid from the Union Government to the State Governments under Article 275 of the Indian Constitution?

(a) Grants-in-aid can be used by the Union Government to interfere in the autonomy of the State Governments.
(b) Grants-in-aid can lead to corruption and misuse of funds.
(c) Grants-in-aid can create a dependency of the State Governments on the Union Government.
(d) Grants-in-aid can be used to promote the political agenda of the Union Government.




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Answer: (d) Explanation: Grants-in-aid cannot be used to promote the political agenda of the Union Government. The purpose of grants-in-aid is to help the State Governments meet their financial needs and to promote the development of the country as a whole.


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अनुच्छेद 276 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 274 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 275
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।