यह लेख Article 271 (अनुच्छेद 271) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 271 (Article 271) – Original
भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण) |
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271. कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार— अनुच्छेद 269 और अनुच्छेद 270 में किसी बात के होते हुए भी, संसद, 1[अनुच्छेद 246क के अधीन माल और सेवा कर के सिवाय,] उन अनुच्छेदों में निर्दिष्ट शुल्कों या करों में से किसी में किसी भी समय संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार द्वारा वृद्धि कर सकेगी और किसी ऐसे अधिभार के संपूर्ण आगम भारत की संचित निधि के भाग होंगे। 272. [कर जो संघ द्वारा उदगृहित और संगृहीत किए जाते हैं तथा जो संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जा सकेंगे।] —संविधान (अस्सीवां संशोधन) अधिनियम, 2000 की धारा 4 द्वारा (9-6-2000 से) लोप किया गया। |
Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (Distribution of revenues between the Union and the States) |
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271. Surcharge on certain duties and taxes for purposes of the Union— Notwithstanding anything in articles 269 and 270, Parliament may at any time increase any of the duties or taxes referred to in those articles 1[except the goods and services tax under article 246A,] by a surcharge for purposes of the Union and the whole proceeds of any such surcharge shall form part of the Consolidated Fund of India. [272. Taxes which are levied and collected by the Union and may be distributed between the Union and the States.] —Omitted by the Constitution (Eightieth Amendment) Act, 2000, s. 4. (w.e.f. 9-6-2000). |
🔍 Article 271 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | वित्त (Finance) | Article 264 – 291 |
II | उधार लेना (Borrowing) | Article 292 – 293 |
III | संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) | 294 – 300 |
IV | संपत्ति का अधिकार (Rights to Property) | 300क |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।
संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;
- कर व्यवस्था (Taxation System)
- विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
- संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
- भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
- संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।
संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Sub-Chapters Title | Articles |
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साधारण (General) | Article 264 – 267 |
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) | Article 268 – 281 |
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) | 282 – 291* |
इस लेख में हम अनुच्छेद 271 को समझने वाले हैं; जो कि संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations) |
| Article 271 – कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार (Surcharge on certain duties and taxes for purposes of the Union)
अनुच्छेद 271 के तहत कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार का वर्णन है।
अनुच्छेद 271 के तहत कहा गया है कि अनुच्छेद 269 और अनुच्छेद 270 में किसी बात के होते हुए भी, संसद, अनुच्छेद 246क के अधीन माल और सेवा कर के सिवाय, उन अनुच्छेदों में निर्दिष्ट शुल्कों या करों में से किसी में किसी भी समय संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार द्वारा वृद्धि कर सकेगी और किसी ऐसे अधिभार के संपूर्ण आगम भारत की संचित निधि के भाग होंगे।
संसद, टैक्स की व्यवस्था वाले अनुच्छेदों में निर्दिष्ट शुल्कों या करों में से किसी में किसी भी समय संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार (Surcharge) लगा सकती है। और इस सरचार्ज से जो भी रकम प्राप्त होंगे वो सब भारत के संचित निधि का भाग होगा।
यहां पर दो बातें याद रखने योग्य हैं;
1) यह जो व्यवस्था है इस पर अनुच्छेद 269 और अनुच्छेद 270 का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यानि कि इन दोनों अनुच्छेदों में जो भी लिखा हुआ है इसके बावजूद भी संसद सरचार्ज लगा सकती है।
2) अनुच्छेद 246A के अधीन माल और सेवा कर को इससे अलग रखा गया है। यानि कि इस पर सरचार्ज नहीं लगाया जा सकता है।
यहाँ ये याद रखना जरूरी है कि 101वें संविधान संशोधन अधिनियम 2016 के तहत जीएसटी के कुछ विशेष प्रावधान के लिए अनुच्छेद 246क नामक एक नया अनुच्छेद बनाया गया था। इसके तहत की गई व्यवस्थाएं ऐसी है-
▪️ अनुच्छेद 246 और अनुच्छेद 254 में किसी बात के होते हुए भी, संसद को, संघ द्वारा या राज्य द्वारा लगाए गए जीएसटी के संबंध में विधियाँ बनाने की शक्ति होगी।
▪️ जहां माल का या सेवाओं का अथवा दोनों का सप्लाय अंतर्राज्यिक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में होता है वहाँ संसद को, माल और सेवा कर के संबंध में विधियाँ बनाने की अनन्य (Unique) शक्ति प्राप्त है। हालांकि राज्य विधानमंडल भी विधियाँ बना सकती है, लेकिन अंतर्राज्यिक व्यापार और वाणिज्य वाली स्थिति में एवं संसद के अधीन रहकर।
सेस और सरचार्ज में अंतर
सेस और सरचार्ज में अंतर बस इतना होता है कि सेस जब लगाया जाता है तो जिस काम के लिए लगाया जाता है उसी काम में इसे खर्च करना पड़ता है। जैसे कि मान लीजिये कि बच्चों के स्कूल में मिड डे मिल के लिए अगर सरकार सेस लगती है तो जब पैसा आ जाएगा तो उसे उसी में खर्च करना पड़ेगा।
वहीं सरचार्ज के लिए ऐसी बाध्यता नहीं नहीं। उस पैसे को जहां मन हो वहाँ खर्च कर सकते हैं।
सेस और सरचार्ज दोनों ही टैक्स के ऊपर टैक्स होते हैं लेकिन सेस जहां सभी करदाताओं पर लागू होता है वहीं सरचार्ज एक सीमा से अधिक आमदनी वाले करदाताओं पर ही लागू होता है।
याद रखिए कि अनुच्छेद 270 के तहत राज्य को भी इसमें हिस्सा मिलता है, जैसा वित्त आयोग सिफ़ारिश करें। 2021-22 बजट में व्यवस्था किया गया है कि सेस का राज्यों को क्षतिपूर्ति देने में इस्तेमाल किया जाएगा।
तो यही है अनुच्छेद 271, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि ◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Article 272 Explanation
कर जो संघ द्वारा उदगृहित और संगृहीत किए जाते हैं तथा जो संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जा सकेंगे। —संविधान (अस्सीवां संशोधन) अधिनियम, 2000 की धारा 4 द्वारा (9-6-2000 से) इस अनुच्छेद को समाप्त कर दिया गया।
Related MCQs with Explanation
Question 1: Article 271 of the Indian Constitution deals with:
(a) The power of the Union Government to levy surcharges on the taxes levied by the State
(b) The power of the State Governments to levy taxes on goods and services
(c) The power of the Union Government to collect and distribute the Compensation Cess
(d) The distribution of the proceeds of taxes levied by the Union Government between the Union Government and the State Governments
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Question 2: What is the purpose of levying surcharges on taxes under Article 271 of the Indian Constitution?
(a) To increase the revenue of the Union Government
(b) To reduce the tax burden on taxpayers
(c) To promote uniformity in the taxation of goods and services across the country
(d) All of the above
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| Related Article
⚫ अनुच्छेद 272- भारतीय संविधान |
⚫ अनुच्छेद 270 – भारतीय संविधान |
⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |