यह लेख Article 265 (अनुच्छेद 265) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 265 (Article 265) – Original
भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (साधारण) |
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265. विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना— कोई कर विधि के प्राधिकार से ही अधिरोपित या संगृहीत किया जाएगा, अन्यथा नहीं। |
Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (General) |
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265. Taxes not to be imposed save by authority of law— No tax shall be levied or collected except by authority of law. |
🔍 Article 265 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | वित्त (Finance) | Article 264 – 291 |
II | उधार लेना (Borrowing) | Article 292 – 293 |
III | संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) | 294 – 300 |
IV | संपत्ति का अधिकार (Rights to Property) | 300क |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।
संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;
- कर व्यवस्था (Taxation System)
- विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
- संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
- भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
- संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।
संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Sub-Chapters Title | Articles |
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साधारण (General) | Article 264 – 267 |
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) | Article 268 – 281 |
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) | 282 – 291* |
इस लेख में हम अनुच्छेद 265 को समझने वाले हैं; जो कि साधारण (General) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations) |
| अनुच्छेद 265 – विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना (Taxes not to be imposed save by authority of law)
अनुच्छेद 265 के तहत विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना (Taxes not to be imposed save by authority of law) का वर्णन है।
अनुच्छेद 265 के तहत कहा गया है कि कोई कर विधि के प्राधिकार से ही अधिरोपित या संगृहीत किया जाएगा, अन्यथा नहीं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 265 में कहा गया है कि “कानून के अधिकार के अलावा कोई भी कर लगाया या एकत्र नहीं किया जाएगा।” इसका मतलब यह है कि सरकार तब तक कोई कर नहीं लगा सकती या एकत्र नहीं कर सकती जब तक कि उसे विधायिका द्वारा पारित कानून द्वारा ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं किया जाता है।
अनुच्छेद 265 सरकार द्वारा मनमाने ढंग से कर लगाने के विरुद्ध एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकार अपने नागरिकों पर उनकी सहमति के बिना कर नहीं लगा सकती।
कर लगाने की शक्ति एक संप्रभु शक्ति है, और यह सरकार की सबसे महत्वपूर्ण शक्तियों में से एक है। करों का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रक्षा जैसी आवश्यक सरकारी सेवाओं के वित्तपोषण के लिए किया जाता है।
अनुच्छेद 265 यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि सरकार जिम्मेदारी से कर लगाने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करती है। यह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और सरकार को अत्यधिक शक्तिशाली बनने से रोकने में भी मदद करता है।
यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि अनुच्छेद 265 कैसे लागू किया जाता है:
◾ विधायिका में कानून पारित किये बिना सरकार कोई नया कर नहीं लगा सकती।
◾ विधायिका में कानून पारित किये बिना सरकार मौजूदा कर की दर नहीं बढ़ा सकती।
◾ सरकार विधायिका में कानून पारित किए बिना कुछ लोगों या व्यवसायों को करों का भुगतान करने से छूट नहीं दे सकती है।
◾ सरकार उन लोगों से कर एकत्र नहीं कर सकती जिन्हें भुगतान करना कानूनन आवश्यक नहीं है।
यदि सरकार इनमें से किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करती है, तो करदाता सरकार की कार्रवाई को अदालत में चुनौती दे सकता है।
Q. विधि के प्राधिकार (authority of law) का क्या मतलब है?
इसका मतलब होता है विधिमान्य विधि। यानी कि कर (Tax) लगाने का जो प्रस्ताव है वह कर लगाने वाले विधानमंडल की विधायी क्षमता के भीतर होना चाहिए।
जब भी कोई कर लगाए जाते हैं तो उसे अनुच्छेद 13 के शर्तों से सुसंगत होनी चाहिए। यानी कि किसी कर व्यवस्था से मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
कराधान (Taxation) तभी विधिमान्य होता है जब वह विधि द्वारा प्राधिकृत तो ही साथ ही कठोरता के साथ उसे उद्गृहित या संग्रहीत किया गया हो।
यहाँ पर ये भी याद रखिए कि अगर विधि में जिन वस्तुओं पर कर लगना है उसे गिनाया गया है तो अधीनस्थ अधिकारी (subordinate officer) उसमें कुछ और नहीं जोड़ सकता है।
Q. अगर अनुच्छेद 265 का उल्लंघन करके कर (Tax) लगाया जाता है तो क्या होगा?
चूंकि यह मूल अधिकार नहीं है इसीलिए अनुच्छेद 265 के उल्लंघन के आधार पर अनुच्छेद 32 के तहत न्यायालय तभी जाया जा सकता है जब मूल अधिकार का भी उल्लंघन हुआ हो। फिर जाकर परमादेश जैसे रिट (Writ) की मांग की जा सकती है।
कुल मिलाकर, अनुच्छेद 265 सरकार द्वारा मनमाने ढंग से कर लगाने के विरुद्ध एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकार अपने नागरिकों पर उनकी सहमति के बिना कर नहीं लगा सकती।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 265 कराधान से संबंधित सिद्धांतों से संबंधित है। यहाँ मुख्य बिंदु हैं:
कराधान के सिद्धांत: अनुच्छेद 265 में कहा गया है कि कानून के अधिकार के अलावा कोई भी कर लगाया या एकत्र नहीं किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि कर लगाने की शक्ति उपयुक्त विधायी निकाय द्वारा पारित कानून से प्राप्त होती है, चाहे वह केंद्रीय करों के लिए संसद हो या राज्य करों के लिए राज्य विधानमंडल।
कराधान पर सीमाएं: लेख कराधान के लिए कानूनी प्राधिकरण के महत्व को रेखांकित करता है, यह सुनिश्चित करता है कि करों का अधिरोपण और संग्रह कानून के अनुसार किया जाता है। इस सीमा का उद्देश्य मनमाने या अनधिकृत कराधान को रोकना है।
कोई पूर्वव्यापी कराधान नहीं: अनुच्छेद 265 का तात्पर्य है कि कर पूर्वव्यापी (retrospective) रूप से नहीं लगाया जा सकता है। कर दायित्व उत्पन्न होने से पहले कर कानून लागू होने चाहिए, जो करदाताओं को निश्चितता और निष्पक्षता प्रदान करें।
समानता और एकरूपता: हालांकि अनुच्छेद 265 में स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, कि कराधान में समानता और एकरूपता के सिद्धांत अंतर्निहित हैं कि नहीं, लेकिन संविधान, अनुच्छेद 14 और 301 सहित विभिन्न प्रावधानों में इस बात पर जोर देता है कि कराधान में गलत तरीके से भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और व्यापार और वाणिज्य के मुक्त प्रवाह में बाधा नहीं डालनी चाहिए।
मौलिक अधिकारों की रक्षा में भूमिका: अनुच्छेद 265 नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सुनिश्चित करके कि कर केवल कानूनी प्राधिकार के माध्यम से लगाए जाते हैं, यह नागरिकों को मनमाने या अन्यायपूर्ण कर बोझ से बचाता है।
संक्षेप में, अनुच्छेद 265 करों को लगाने और एकत्र करने के लिए संवैधानिक आधार स्थापित करता है, इस बात पर जोर देता है कि ऐसा अधिकार कानून से प्राप्त होना चाहिए। यह कराधान के क्षेत्र में वैधता, गैर-पूर्वव्यापीता और निष्पक्षता के सिद्धांतों को दर्शाता है।
तो यही है अनुच्छेद 265 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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1. What does Article 265 of the Indian Constitution primarily address?
a) Principles of judicial review
b) Principles of taxation
c) Principles of federalism
d) Principles of emergency powers
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2. According to Article 265, under what authority can taxes be levied and collected?
a) Executive authority
b) Judicial authority
c) Legislative authority
d) Administrative authority
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3. What does Article 265 imply regarding the retroactive imposition of taxes?
a) Retroactive taxation is permitted
b) Retroactive taxation is prohibited
c) Retroactive taxation is subject to judicial discretion
d) Retroactive taxation requires the approval of the President
Click to Answer
4. What fundamental rights does Article 265 contribute to protecting?
a) Right to freedom of speech
b) Right to property
c) Right to equality
d) Right to education
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Q.5 Which of the following is NOT a power of the Union Government under Indian Constitution?
(a) To levy taxes on income other than agricultural income.
(b) To levy taxes on capital value of assets, exclusive of agricultural land.
(c) To levy taxes on the sale or purchase of goods other than newspapers and books.
(d) To levy taxes on agricultural land.
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Q.6 Which of the following is an example of a tax that the Union Government can levy?
(a) Income tax
(b) Goods and Services Tax (GST)
(c) Property tax
(d) All of the above
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⚫ अनुच्छेद 266 – भारतीय संविधान |
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⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |