यह लेख Article 262 (अनुच्छेद 262) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 262 (Article 262) – Original
भाग 11 [संघ और राज्यों के बीच संबंध] जल संबंधी विवाद |
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262. अंतरराज्यिक नदियों या नदी-दूनों के जल संबंधी विवादों का न्यायनिर्णयन — (1) संसद, विधि द्वारा, किसी अंतरराज्यिक नदी या नदी-दून के या उसमें जल के प्रयोग, वितरण या नियंत्रण के संबंध में किसी विवाद या परिवाद के न्यायनिर्णयन के लिए उपबंध कर सकेगी। (2) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, संसद, विधि द्वारा, उपबंध कर सकेगी कि उच्चतम न्यायालय या कोई अन्य न्यायालय खंड (1) में निर्दिष्ट किसी विवाद या परिवाद के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग नहीं करेगा। |
Part XI [RELATIONS BETWEEN THE UNION AND THE STATES] Disputes relating to Waters |
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262. Adjudication of disputes relating to waters of inter-State rivers or river valleys— (1) Parliament may by law provide for the adjudication of any dispute or complaint with respect to the use, distribution or control of the waters of, or in, any inter-State river or river valley. (2) Notwithstanding anything in this Constitution, Parliament may by law provide that neither the Supreme Court nor any other court shall exercise jurisdiction in respect of any such dispute or complaint as is referred to in clause (1). |
🔍 Article 262 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 11, अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 263 तक कुल 2 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | विधायी संबंध (Legislative Relations) | Article 245 – 255 |
II | प्रशासनिक संबंध (Administrative Relations) | Article 256 – 263 |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग केंद्र-राज्य सम्बन्धों (Center-State Relations) के बारे में है। जिसके तहत मुख्य रूप से दो प्रकार के सम्बन्धों की बात की गई है – विधायी और प्रशासनिक।
भारत में केंद्र-राज्य संबंध देश के भीतर केंद्र सरकार और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच शक्तियों, जिम्मेदारियों और संसाधनों के वितरण और बंटवारे को संदर्भित करते हैं।
ये संबंध भारत सरकार के संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसा कि भारत के संविधान में परिभाषित किया गया है। संविधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की शक्तियों और कार्यों का वर्णन करता है, और यह राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करते हुए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।
अनुच्छेद 256 से लेकर अनुच्छेद 263 तक केंद्र-राज्य प्रशासनिक सम्बन्धों (Centre-State Administrative Relations) का वर्णन है। और यह भाग केंद्र-राज्य संबन्धों से जुड़े बहुत सारे कॉन्सेप्टों को आधार प्रदान करता है; जिसमें से कुछ प्रमुख है;
- राज्यों की ओर संघ की बाध्यता (Union’s obligation towards the states)
- राज्यों पर संघ का नियंत्रण (Union control over states)
- जल संबंधी विवाद (Water disputes)
इस लेख में हम अनुच्छेद 262 को समझने वाले हैं; लेकिन अगर आप इस पूरे टॉपिक को एक समग्रता से (मोटे तौर पर) Visualize करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लेख से शुरुआत कर सकते हैं;
⚫ अंतर्राज्यीय जल विवाद (Inter-state water dispute), |
| अनुच्छेद 262 – अंतरराज्यिक नदियों या नदी-दूनों के जल संबंधी विवादों का न्यायनिर्णयन (Adjudication of disputes relating to waters of inter-State rivers or river valleys)
अनुच्छेद 262 के तहत अंतरराज्यिक नदियों या नदी-दूनों के जल संबंधी विवादों का न्यायनिर्णयन का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड हैं;
अनुच्छेद 262 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि संसद, विधि द्वारा, किसी अंतरराज्यिक नदी या नदी-दून के या उसमें जल के प्रयोग, वितरण या नियंत्रण के संबंध में किसी विवाद या परिवाद के न्यायनिर्णयन के लिए उपबंध कर सकेगी।
एक संघीय व्यवस्था (Federal System) वाले देश में राज्य और राज्य के मध्य विवाद हो सकता है, केंद्र और राज्य के मध्य विवाद हो सकता है और इस विवाद के ढेरों कारण हो सकते हैं। इसी संदर्भ में नदी जल विवाद राज्य और राज्य के मध्य विवाद का एक प्रमुख कारण है। इसी के परिपेक्ष्य में अनुच्छेद 262 संसद को अंतर-राज्यीय नदियों या नदी घाटियों के जल से संबंधित विवादों के न्यायनिर्णयन की सुविधा के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 262 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, संसद, विधि द्वारा, उपबंध कर सकेगी कि उच्चतम न्यायालय या कोई अन्य न्यायालय खंड (1) में निर्दिष्ट किसी विवाद या परिवाद के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग नहीं करेगा।
अनुच्छेद के इस खंड के तहत संसद यह भी व्यवस्था कर सकती है कि ऐसे किसी विवाद में न ही उच्चतम न्यायालय तथा न ही कोई अन्य न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करें। यानी कि सीधे-सीधे कहें तो संसद इस मामले में न्यायालय की भूमिका निभा सकता है।
Article 262 in Nutshell
अनुच्छेद 262 के तहत संसद, कानून बनाकर अंतर्राज्यीय नदियों तथा नदी घाटियों के जल के प्रयोग, बँटवारे तथा नियंत्रण से संबन्धित किसी विवाद पर शिकायत का न्यायनिर्णयन (Adjudication) कर सकती है। साथ ही संसद यह भी व्यवस्था कर सकती है कि ऐसे किसी विवाद में न ही उच्चतम न्यायालय तथा न ही कोई अन्य न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करें। यानी कि सीधे-सीधे कहें तो संसद इस मामले में न्यायालय की भूमिका निभा सकता है।
इसी अनुच्छेद का इस्तेमाल करते हुए संसद ने दो कानून बनाए। (1) नदी बोर्ड अधिनियम (1956) (2) अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम (1956)।
(1) नदी बोर्ड अधिनियम (1956) – इसका काम है अंतरराज्यीय नदियों तथा नदी घाटियों के नियंत्रण तथा विकास के लिए नदी बोर्ड (River board) की स्थापना करना।
यहाँ याद रखने वाली बात ये है कि नदी बोर्ड की स्थापना संबन्धित राज्यों के निवेदन पर केंद्र सरकार द्वारा उन्हे सलाह देने हेतु की जाती है।
(2) अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम (1956) – इस कानून का इस्तेमाल करके केंद्र सरकार दो या अधिक राज्यों के मध्य नदी जल विवाद के न्यायनिर्णयन हेतु एक अस्थायी न्यायालय (ट्रिब्यूनल) का गठन कर सकता है।
◾ न्यायाधिकरण (Tribunal) का निर्णय अंतिम तथा विवाद से संबन्धित सभी पक्षों के लिए मान्य होता है।
इसका मतलब ये नहीं है इस मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय नहीं ले जाया जा सकता है। इस सब मसले में अगर कानूनी दाव-पेंच का मामला आ जाता है तो उच्चतम न्यायालय को यह अधिकार है कि वह राज्यों के मध्य जल विवादों की स्थिति में उनसे जुड़े मामलों की सुनवाई कर सकता है।
इस संदर्भ में कावेरी जल विवाद बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है और काफी दिलचस्प भी है क्योंकि ये विवाद 1892 से चल रहा है जब भारत आजाद भी नहीं था।
कई बार समझौते हुए और तोड़े गए, यहाँ तक कि आजादी के बाद भी इस पर कई समझौते हुए या न्यायालय द्वारा फैसले दिये गए पर ये कभी भी ठीक से लागू नहीं हो पायी। इस दिलचस्प घटनाक्रम को पढ़ने और समझने के लिए कावेरी जल विवाद↗️ अवश्य पढ़ें।
कुल मिलाकर अनुच्छेद 262 जल संसाधनों से संबंधित विवादों को हल करने के लिए एक तंत्र प्रदान करके संघीय सिद्धांत को दर्शाता है, जो राज्यों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह कई राज्यों से जुड़े विवादों के प्रबंधन और निर्णय के लिए एक केंद्रीय प्राधिकरण की आवश्यकता को स्वीकार करता है।
तो यही है अनुच्छेद 262 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |