यह लेख Article 260 (अनुच्छेद 260) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 260 (Article 260) – Original
भाग 11 [संघ और राज्यों के बीच संबंध] |
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260. भारत के बाहर के राज्यक्षेत्रों के संबंध में संघ की अधिकारिता — भारत सरकार किसी ऐसे राज्यक्षेत्र की सरकार से, जो भारत के राज्यक्षेत्र का भाग नहीं है, करार करके ऐसे राज्यक्षेत्र की सरकार में निहित किन्हीं कार्यपालक, विधायी या न्यायिक कृत्यों का भार अपने ऊपर ले सकेगी, किन्तु प्रत्येक ऐसा करार विदेशी अधिकारिता के प्रयोग से संबंधित तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन होगा और उससे शासित होगा। |
Part XI [RELATIONS BETWEEN THE UNION AND THE STATES] |
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260. Jurisdiction of the Union in relation to territories outside India— The Government of India may by agreement with the Government of any territory not being part of the territory of India undertake any executive, legislative or judicial functions vested in the Government of such territory, but every such agreement shall be subject to, and governed by, any law relating to the exercise of foreign jurisdiction for the time being in force. |
🔍 Article 260 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 11, अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 263 तक कुल 2 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | विधायी संबंध (Legislative Relations) | Article 245 – 255 |
II | प्रशासनिक संबंध (Administrative Relations) | Article 256 – 263 |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग केंद्र-राज्य सम्बन्धों (Center-State Relations) के बारे में है। जिसके तहत मुख्य रूप से दो प्रकार के सम्बन्धों की बात की गई है – विधायी और प्रशासनिक।
भारत में केंद्र-राज्य संबंध देश के भीतर केंद्र सरकार और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच शक्तियों, जिम्मेदारियों और संसाधनों के वितरण और बंटवारे को संदर्भित करते हैं।
ये संबंध भारत सरकार के संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसा कि भारत के संविधान में परिभाषित किया गया है। संविधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की शक्तियों और कार्यों का वर्णन करता है, और यह राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करते हुए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।
अनुच्छेद 256 से लेकर अनुच्छेद 263 तक केंद्र-राज्य प्रशासनिक सम्बन्धों (Centre-State Administrative Relations) का वर्णन है। और यह भाग केंद्र-राज्य संबन्धों से जुड़े बहुत सारे कॉन्सेप्टों को आधार प्रदान करता है; जिसमें से कुछ प्रमुख है;
- राज्यों की ओर संघ की बाध्यता (Union’s obligation towards the states)
- राज्यों पर संघ का नियंत्रण (Union control over states)
- जल संबंधी विवाद (Water disputes)
इस लेख में हम अनुच्छेद 260 को समझने वाले हैं; लेकिन अगर आप इस पूरे टॉपिक को एक समग्रता से (मोटे तौर पर) Visualize करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लेख से शुरुआत कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य प्रशासनिक संबंध Center-State Administrative Relations) |
| अनुच्छेद 260 – भारत के बाहर के राज्यक्षेत्रों के संबंध में संघ की अधिकारिता (Jurisdiction of the Union in relation to territories outside India)
अनुच्छेद 260 के तहत भारत के बाहर के राज्यक्षेत्रों के संबंध में संघ की अधिकारिता का वर्णन है।
अनुच्छेद 260 के तहत कहा गया है कि भारत सरकार किसी ऐसे राज्यक्षेत्र की सरकार से, जो भारत के राज्यक्षेत्र का भाग नहीं है, करार करके ऐसे राज्यक्षेत्र की सरकार में निहित किन्हीं कार्यपालक, विधायी या न्यायिक कृत्यों का भार अपने ऊपर ले सकेगी, किन्तु प्रत्येक ऐसा करार विदेशी अधिकारिता के प्रयोग से संबंधित तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन होगा और उससे शासित होगा।
भारत सरकार को किसी भी ऐसे क्षेत्र की सरकार के साथ समझौता करने का अधिकार है जो भारतीय क्षेत्र का हिस्सा नहीं है। यह समझौता भारत सरकार को ऐसे क्षेत्र की सरकार में निहित किसी भी कार्यकारी, विधायी या न्यायिक कार्य करने की अनुमति देता है।
हालाँकि, ऐसा कोई भी समझौता उस समय लागू विदेशी क्षेत्राधिकार के प्रयोग से संबंधित किसी भी कानून के अनुसार और उसके द्वारा शासित होना चाहिए।
अनुच्छेद 260 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है क्योंकि यह भारत सरकार को विदेशी सरकारों के साथ सहयोग करने और जहां आवश्यक हो, उन्हें सहायता प्रदान करने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए, भारत सरकार पुलिस सहायता प्रदान करने, अपराधियों के प्रत्यर्पण या निर्णय लागू करने के लिए विदेशी सरकारों के साथ समझौते करने के लिए अनुच्छेद 260 का उपयोग कर सकती है।
अनुच्छेद 260 एक लचीला प्रावधान है जिसका उपयोग भारत सरकार देश की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए कर सकती है। यह भारत सरकार के लिए विदेशी सरकारों के साथ सहयोग करने और जहां आवश्यक हो, उन्हें सहायता प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
तो यही है अनुच्छेद 260 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |