Article 270 of the Constitution | अनुच्छेद 270 व्याख्या

यह लेख Article 270 (अनुच्छेद 270) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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Article 270 अनुच्छेद 270

📜 अनुच्छेद 270 (Article 270) – Original

भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण)
1[270 . उदगृहित कर और उनका संघ तथा राज्यों के बीच वितरण— (1) क्रमशः 2[अनुच्छेद 268, अनुच्छेद 269 और अनुच्छेद 269क] में निर्दिष्ट शुल्कों और करों के सिवाय, संघ सूची में निर्दिष्ट सभी कर और शुल्क ; अनुच्छेद 271 में निर्दिष्ट करों और शुल्कों पर अधिभार और संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए उदगृहित कोई उपकर भारत सरकार द्वारा उदगृहित और संगृहीत किए जाएंगे तथा खंड (2) में उपबंधित रीति से संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जाएंगे।

3[(1क) अनुच्छेद 246क के खंड (1) के अधीन संघ द्वारा संगृहीत कर भी, संघ और राज्यों के बीच खंड (2) में उपबंधित रीति में वितरित किया जाएगा।

(1ख) अनुच्छेद 246क के खंड (2) और अनुच्छेद 269क के अधीन संघ द्वारा उदगृहित और संगृहीत ऐसा कर, जिसका उपयोग अनुच्छेद 246क के खंड (1) के अधीन संघ द्वारा उदगृहित कर का संदाय करने के लिए किया गया है, और अनुच्छेद 269क के खंड (1) के अधीन संघ को प्रभाजित रकम भी, संघ और राज्यों के बीच खंड (2) में उपबंधित रीति में वितरित की जाएगी।]

(2) किसी वित्तीय वर्ष में किसी ऐसे कर या शुल्क के शुद्ध आगमों का ऐसा प्रतिशत, जो विहित किया जाए, भारत की संचित निधि का भाग नहीं होगा, किन्तु उन राज्यों को सौंप दिया जाएगा जिनके भीतर वह कर या शुल्क उस वर्ष में उदग्रहणीय है और ऐसी रीति से और ऐसे समय से, जो खंड (3) में उपबंधित रीति से विहित किया जाए, उन राज्यों के बीच वितरित किया जाएगा।

(3) इस अनुच्छेद में, “विहित” से अभिप्रेत है

(i) जब तक वित्त आयोग का गठन नहीं किया जाता है तब तक राष्ट्रपति द्वारा आदेश द्वारा विहित ; और

(ii) वित्त आयोग का गठन किए जाने के पश्चात्‌ वित्त आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के पश्चात्‌ राष्ट्रपति द्वारा आदेश द्वारा विहित।]
===============
1. संविधान (अस्सीवां संशोधन) अधिनियम, 2000 की धारा 3 द्वारा (9-6-2000 से) प्रतिस्थापित।
2. संविधान (अट्ठासीवां संशोधन) अधिनियम, 2003 की धारा 3 द्वारा (प्रवृत नहीं हुआ और पुनः प्रतिस्थापित होने पर) “अनुच्छेद 268 और अनुच्छेद 269” शब्दों के स्थान पर “अनुच्छेद 268, अनुच्छेद 268क और अनुच्छेद 269” प्रतिस्थापित किए. जाएंगे।
3. संविधान (एक सौ एकवां संशोधन) अधिनियम, 2016 की धारा 10 द्वारा (16-9-2016 से) प्रतिस्थापित।

अनुच्छेद 270 हिन्दी संस्करण

Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (Distribution of revenues between the Union and the States)
1[270. Taxes levied and distributed between the Union and the States— (1) All taxes and duties referred to in the Union List, except the duties and taxes referred to in 2[articles 268, 269 and 269A], respectively, surcharge on taxes and duties referred to in article 271 and any cess levied for specific purposes under any law made by Parliament shall be levied and collected by the Government of India and shall be distributed between the Union and the States in the manner provided in clause (2).

3[(1A) The tax collected by the Union under clause (1) of article 246A shall also be distributed between the Union and the States in the manner provided in clause (2).

(1B) The tax levied and collected by the Union under clause (2) of article 246A and article 269A, which has been used for payment of the tax levied by the Union under clause (1) of article 246A, and the amount apportioned to the Union under clause (1) of article 269A, shall also be distributed between the Union and the States in the manner provided in clause (2)]

(2) Such percentage, as may be prescribed, of the net proceeds of any such tax or duty in any financial year shall not form part of the Consolidated Fund of India, but shall be assigned to the States within which that tax or duty
is leviable in that year, and shall be distributed among those States in such manner and from such time as may be prescribed in the manner provided in clause (3).

(3) In this article, “prescribed” means, —
(i) until a Finance Commission has been constituted, prescribed by the President by order, and
(ii) after a Finance Commission has been constituted, prescribed by the President by order after considering the recommendations of the Finance Commission.]
==============
1. Subs. by the Constitution (Eightieth Amendment) Act, 2000, s. 3, for art. 270 (w.e.f. 1-4-1996).
2. Subs. by the Constitution (Eighty-eighth Amendment) Act, 2003, s. 3, for “articles 268 and 269” (not enforced) and further subs. by the Constitution (One Hundred and First Amendment) Act, 2016, s. 10, for arts. 268, 268A and 269 (w.e.f. 16-9-2016).
3. Ins. by s. 10, ibid. (w.e.f. 16-9-2016).

Article 270 English Version

🔍 Article 270 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iवित्त (Finance)Article 264 – 291
IIउधार लेना (Borrowing)Article 292 – 293
IIIसंपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS)294 – 300
IVसंपत्ति का अधिकार (Rights to Property)300क
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।

संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;

  • कर व्यवस्था (Taxation System)
  • विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
  • संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
  • भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
  • संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।

संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Sub-Chapters TitleArticles
साधारण (General)Article 264 – 267
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)Article 268 – 281
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions)282 – 291*
* अनुच्छेद 291 को 26वें संविधान संशोधन अधिनियम 1971 की मदद से निरसित (Repealed) कर दिया गया है।

इस लेख में हम अनुच्छेद 270 को समझने वाले हैं; जो कि संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;

केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध Center-State Financial Relations)
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| अनुच्छेद 270 – उदगृहित कर और उनका संघ तथा राज्यों के बीच वितरण (Taxes levied and distributed between the Union and the States)

अनुच्छेद 270 के तहत उदगृहित कर और उनका संघ तथा राज्यों के बीच वितरण का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल तीन खंड आते हैं;

Article 270 Clause 1

अनुच्छेद 270 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि क्रमशः अनुच्छेद 268, अनुच्छेद 269 और अनुच्छेद 269क में निर्दिष्ट शुल्कों और करों के सिवाय, संघ सूची में निर्दिष्ट सभी कर और शुल्क ; अनुच्छेद 271 में निर्दिष्ट करों और शुल्कों पर अधिभार और संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए उदगृहित कोई उपकर भारत सरकार द्वारा उदगृहित और संगृहीत किए जाएंगे तथा खंड (2) में उपबंधित रीति से संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जाएंगे।

इस खंड के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि कुछ प्रकार के टैक्स है जिसे कि भारत सरकार द्वारा लगाया जाएगा और एकत्रित भी भारत सरकार द्वारा किया जाएगा लेकिन उस रकम को संघ और राज्यों के बीच बांटा जाएगा, वो भी वित्त आयोग के सिफ़ारिशों के अनुसार।

इसके तहत आने वाला टैक्स कुछ इस प्रकार हैं;

1) संघ सूची में निर्दिष्ट सभी कर और शुल्क (All taxes and duties specified in the Union List);

लेकिन जिन टैक्स या शुल्कों का वर्णन अनुच्छेद 268, अनुच्छेद 269 और अनुच्छेद 269A में किया गया है; उसको छोड़कर। संघ सूची की बात करें तो उसमें ढेरों Taxes का वर्णन मिलता है जिसे कि आप Entry no. 82 से 92 के बीच देख सकते हैं।

हालांकि उसमें से कई सारे टैक्स अनुच्छेद 268, 269 एवं 269A के तहत आता है, जैसे कि स्टम्प ड्यूटि एवं अन्तर्राजीय व्यापार एवं वाणिज्य के दौरान लगने वाला टैक्स।

शक्तियों का पृथक्करण (Separation of Power)
आपको पता होगा कि अनुच्छेद 246 के तहत एक अनुसूची 7 बनाई गई है। इस अनुसूची के तहत तीन सूचियां बनाई गई है।

1. संघ सूची से संबन्धित किसी भी मसले पर कानून बनाने की संसद को विशिष्ट शक्ति प्राप्त है। इसमें कोई राज्य हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
इस सूची में लगभग 100 विषय है, जैसे – रक्षा, बैंकिंग, विदेश मामले, मुद्रा, आण्विक ऊर्जा, बीमा, संचार, केंद्र-राज्य व्यापार एवं वाणिज्य, जनगणना, लेखा परीक्षा आदि। 
2. राज्य सूची के विषयों पर राज्य विधानमण्डल को कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है। जिस समय संविधान बनाया गया था उस समय तो इसमें 66 विषय था पर अब इसमें 61 विषय है। जैसे- सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस, जन-स्वास्थ्य एवं सफाई, कृषि, जेल, स्थानीय शासन, मतस्य पालन, बाजार आदि। 
3. समवर्ती सूची के संबंध में संसद एवं राज्य विधानमंडल दोनों कानून बना सकते है। इस सूची में इस समय 52 विषय मूल रूप से इसमें मात्र 47 विषय था। जैसे- आपराधिक कानून प्रक्रिया, सिविल प्रक्रिया, विवाह एवं तलाक, जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन, बिजली, श्रम कल्याण, आर्थिक एवं सामाजिक योजना, दवा, अखबार, पुस्तक एवं छापा प्रेस, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के अतिरिक्त सभी न्यायालयों का गठन एवं अन्य।
तीनों सूचियों का पीडीएफ़ यहाँ से डाउनलोड करें – In Hindi↗️– In English↗️

Article 270 information Snippet

2) अनुच्छेद 271 में निर्दिष्ट करों और शुल्कों पर अधिभार (Surcharge on taxes and duties specified in article 271); और,

3) संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए उदगृहित कोई उपकर (Cess);

सेस और सरचार्ज भी इसी के अंतर्गत आता है। इन दोनों में कुछ अंतर है;

सेस और सरचार्ज में अंतर (Difference between cess and surcharge):
सेस और सरचार्ज में अंतर बस इतना होता है कि सेस जब लगाया जाता है तो जिस काम के लिए लगाया जाता है उसी काम में इसे खर्च करना पड़ता है। जैसे कि मान लीजिये कि बच्चों के स्कूल में मिड डे मिल के लिए अगर सरकार सेस लगती है तो जब पैसा आ जाएगा तो उसे उसी में खर्च करना पड़ेगा।
वहीं सरचार्ज के लिए ऐसी बाध्यता नहीं नहीं। उस पैसे को जहां मन हो वहाँ खर्च कर सकते हैं। सेस और सरचार्ज दोनों ही टैक्स के ऊपर टैक्स होते हैं लेकिन सेस जहां सभी करदाताओं पर लागू होता है वहीं सरचार्ज एक सीमा से अधिक आमदनी वाले करदाताओं पर ही लागू होता है।
जैसा कि हमने अभी पढ़ा कि अनुच्छेद 270 के तहत राज्य को भी इसमें हिस्सा मिलता है, जैसा वित्त आयोग सिफ़ारिश करें। 2021-22 बजट में व्यवस्था किया गया है कि सेस का राज्यों को क्षतिपूर्ति देने में इस्तेमाल किया जाएगा।

सरचार्ज एक संवैधानिक व्यवस्था है जिसे कि अनुच्छेद 271 के तहत बताया गया है।

Article 270 information Snippet

इस खंड के बारे में कुछ और भी बातें है जिसे याद रखना जरूरी है;

(1) अनुच्छेद 246A के खंड (1) के अधीन संघ द्वारा संगृहीत (collected) कर, संघ और राज्यों के बीच वित्त आयोग के सिफ़ारिशों के अनुसार ही बांटे जाएंगे।

(2) दो और अनुच्छेद 246A के खंड (2) और अनुच्छेद 269क के अधीन संघ द्वारा लगाए गए और एकत्रित किए गए ऐसा कर, जिसका उपयोग अनुच्छेद 246क के खंड (1) के अधीन संघ द्वारा लगाए गए कर का भुगतान करने के लिए किया गया है, और अनुच्छेद 269क के खंड (1) के अधीन संघ को प्रभाजित रकम भी, संघ और राज्यों के बीच खंड (2) में उपबंधित रीति में वितरित की जाएगी।

यानि कि अनुच्छेद 246ए के खंड (2) और अनुच्छेद 269ए के तहत संघ द्वारा लगाया और एकत्र किया गया कर, जिसका उपयोग अनुच्छेद 246ए के खंड (1) के तहत संघ द्वारा लगाए गए कर के भुगतान के लिए किया गया है, और अनुच्छेद 269ए के खंड (1) के अधीन संघ को प्राप्त रकम को भी वित्त आयोग के सिफ़ारिशों के अनुसार संघ और राज्यों के बीच वितरित किया जाएगा।

यहां यह याद रखिए कि अनुच्छेद 246A के खंड (1) की बात करें तो इसके तहत कहा गया है कि अनुच्छेद 246 और अनुच्छेद 254 में किसी बात के होते हए भी, संसद्‌ को, और इसी अनुच्छेद के खंड (2) के अधीन रहते हुए प्रत्येक राज्य के विधान-मंडल को, संघ द्वारा या उस राज्य द्वारा अधिरोपित माल और सेवा कर के संबंध में विधियां बनाने की शक्ति होगी।

अनुच्छेद 246A के खंड (2) के तहत कहा गया है कि संसद के पास माल और सेवा कर के संबंध में कानून बनाने की विशेष शक्ति है जहां माल, या सेवाओं, या दोनों की आपूर्ति अंतर-राज्य व्यापार या वाणिज्य के दौरान होती है।

इसी तरह से Article 269A के खंड (1) के तहत कहा गया है कि अंतर-राज्यीय व्यापार या वाणिज्य के दौरान आपूर्ति पर माल और सेवा कर (GST) भारत सरकार द्वारा लगाया और एकत्र किया जाएगा। और इस तरह के कर को संघ और राज्यों के बीच वस्तु और सेवा कर परिषद (GST Council) की सिफारिशों पर संसद द्वारा कानून द्वारा प्रदान किए गए तरीके से विभाजित किया जाएगा।

Article 270 Clause 2

अनुच्छेद 270 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि किसी वित्तीय वर्ष में किसी ऐसे कर या शुल्क के शुद्ध आगमों का ऐसा प्रतिशत, जो विहित किया जाए, भारत की संचित निधि का भाग नहीं होगा, किन्तु उन राज्यों को सौंप दिया जाएगा जिनके भीतर वह कर या शुल्क उस वर्ष में उदग्रहणीय है और ऐसी रीति से और ऐसे समय से, जो खंड (3) में उपबंधित रीति से विहित किया जाए, उन राज्यों के बीच वितरित किया जाएगा।

इस खंड के तहत व्यवस्था की गई है कि किसी वित्तीय वर्ष में किसी ऐसे कर या शुल्क के शुद्ध आगमों का ऐसा प्रतिशत, जो तय किया जाए, भारत की संचित निधि का भाग नहीं होगा। यह रकम उन राज्यों को सौंप दिया जाएगा जिनके भीतर वह कर या शुल्क उस वर्ष में लगाए है।

किस मेथड से यह बांटा जाएगा और कौन यह तय करेगा इसी के बारे में इसी अनुच्छेद के खंड (3) में बताया गया है।

Article 270 Clause 3

अनुच्छेद 270 के खंड (3) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि किसी वित्तीय वर्ष में टैक्स या शुल्क के रूप में जो शुद्ध प्राप्तियाँ होती है उसका कुछ हिस्सा राज्यों को देना होता है। कितना हिस्सा देना है उसे कौन तय करेगा उसके बारे में इस खंड में दो बातें कही गई है;

(i) जब तक वित्त आयोग का गठन नहीं किया जाता है तब तक राष्ट्रपति के आदेश द्वारा तय किया जाएगा ; और

(ii) वित्त आयोग का गठन किए जाने के पश्चात्‌ वित्त आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के पश्चात्‌ राष्ट्रपति द्वारा आदेश द्वारा तय किया जाएगा।

चूंकि साल 1951 में ही पहला वित्त आयोग बना दिया गया था और उसके लगभग हर पांच साल बाद राष्ट्रपति द्वारा वित्त आयोग का गठन किया जाता रहा है तो ऐसे में वित्त आयोग ही तय करता है। अभी की बात करें तो 15वां वित्त आयोग चल रहा है जिसकी अध्यक्षता N K Singh द्वारा की जा रही है।

विस्तार से समझने के लिए पढ़ें – वित्त आयोग (Financial Commission) (Art 280)

तो यही है Article 270 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

वित्त आयोग (Financial Commission) (Art 280)
Related to Article 270

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

Related MCQs with Explanation

Question 1: Article 270 of the Indian Constitution deals with:

(a) The distribution of taxes between the Union Government and the State Governments
(b) The power of the Union Government to levy taxes on goods and services
(c) The power of the State Governments to levy surcharges on the taxes levied by the Union Government
(d) The power of the Union Government to collect and distribute the Integrated GST (IGST)




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Answer: (a) Explanation: Article 270 of the Indian Constitution deals with the distribution of taxes between the Union Government and the State Governments. It states that the Parliament may, by law, provide for the distribution of the proceeds of taxes levied by the Union Government between the Union Government and the State Governments.


Question 2: Which of the following is a principle that guides the distribution of taxes between the Union Government and the State Governments under Article 270 of the Indian Constitution?

(a) The principle of fiscal equity
(b) The principle of fiscal autonomy
(c) The principle of administrative efficiency
(d) All of the above




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Answer: (d) Explanation: All of the above principles guide the distribution of taxes between the Union Government and the State Governments under Article 270 of the Indian Constitution.


Question 3: Which of the following is NOT a factor that is considered when determining the distribution of taxes between the Union Government and the State Governments under Article 270 of the Indian Constitution?

(a) The population of each State
(b) The financial needs of each State
(c) The geographical conditions of each State
(d) The tax collection efficiency of each State




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Answer: (d) Explanation: The tax collection efficiency of each State is not a factor that is considered when determining the distribution of taxes between the Union Government and the State Governments under Article 270 of the Indian Constitution.


Question 4: What is the main challenge associated with the distribution of taxes between the Union Government and the State Governments under Article 270 of the Indian Constitution?

(a) It is difficult to balance the competing interests of the Union Government and the State Governments.
(b) The distribution formula is complex and difficult to understand.
(c) There is a lack of transparency in the distribution process.
(d) All of the above




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Answer: (d) Explanation: All of the above are challenges associated with the distribution of taxes between the Union Government and the State Governments under Article 270 of the Indian Constitution.


| Related Article

अनुच्छेद 271 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 269 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 270
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।